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शनिवार, 19 सितंबर 2009

बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग "एक चिट्ठी देश के नाम"

 



[प्रेम परिहार] दिल्ली दूरदर्शन.
सदियों से हमारी फिजा में संवाद की प्रक्रिया विद्धमान है. एक चिट्ठी देश के नाम लिखना असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है, फिर भी अपनों से संवाद बनाना मनुष्य की आदत का एक अंग है. चिट्ठियों के इतिहास काफी पुराना है. ख़त-ओ-खिताबत की इस अदा ने सारी वसुधा को अपने अंक में समेटकर रखा है. चिट्ठी देश के नाम लिखने का विनम्र प्रयास कर रहा हूँ. पाठकों के साथ मेरा तीन दशक का निजी सम्बन्ध है और आजीवन उनकी मुहब्बत ही मेरा संबल है. मेरे तुम्हारे निजी ताल्लुकात में, पूरे देश को समेटना ही टेडी खीर है फिर भी विनम्र प्रयास आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ.

१५ अगस्त १९४७ में हमारे देश को आजादी की सौगात मिली. जिसकी वर्ष्गांठ ६२ वर्षों से पूरे मनोयोग से मनाते आ रहे हैं.


आज़ादी की वर्षगाँठ है लेकिन कुछ भी पास नहीं है
मावस बीत गई है कब की, पूनम का विश्वाश नहीं है
अमिट छाप छोडी है हमने, युग-युग की प्रतिछाया में
राजनीति ने हमें घुसेड़ा, अजब-गजब इस माया में.


समय के खाइयों को पार करते हुए हम २१ वीं सदी के ९ वर्ष पार कर चुके हैं. स्वतन्त्रता दिवस का समारोह हममें देशप्रेम की भावना भरता है. शहीदों को याद करने का यह एक अविस्मरनीय दिवस है. देश के नागरिकों के साथ हम हपनी बात बाँट लेने में कोई हर्ज महसूस नहीं करते. जीवन के झंझावातों से उलझती हमारे देश की जनता दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है. हम अपने मन की बात किससे कहें कोई सुनने को ही तैयार नहीं है. और हमारे देश की गुणवत्ता के चर्चे समाचार पत्रों एवं दूरदर्शन एवं निजी चैनलों पर बखूबी प्रस्तुत किए जाते हैं.



मुख्य-मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान आकर्षित करना जरूरी समझता हूँ.

युवाओं की भारत में स्तिथि- युवा हमारे देश की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा है. युवाओं में शिक्षा का स्तर अमीरों, राजनेताओं और उद्ध्योग्पतियों के लिए ही ठीक है. आम आदमी एक लिए बच्चों की शिक्षा और पूरे परिवार एक लिए नाकों चने चबाने पड़ते हैं. बेरोजगारी से हमारे देश का अधिकतम युवा झूझ रहा है. शहरी युवा और ग्रामीण युवा दोनों की समस्याएँ अलग-अलग प्रकार की हैं. शिक्षा के स्तर पर समाज का बड़ा हिस्सा आज भी दूर है. प्रजातंत्र के बड़े मंदिर में हम अपने भविष्य को क्या परोस रहे हैं? युवक और युवती अनेकों समस्याओं से जूझ रहे हैं. छ दशकों से हम अपनी महिलाओं के लिए अप्नेकों योजनाओं का प्रचालन कर चुके हैं परन्तु फिर भी ये सुविधाएं ऊँट के मुंह में जीरा कहावत को चरितार्थ करती हैं. भारत सरकार, प्रदेश सरकार एवं स्थानीय प्रशासन आंकडों का जिक्र करते हैं और हकीकत में सारी योजनाओं का वजूद ही नहीं है. अखबारों एवं चैनलों में दिखने वाली घटनाएं, महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों से बहुत कम होते हैं. 

बुजुर्गों की स्तिथि- शरीर पर स्वच्छ कपडे तो अब सभी के शरीर पर दिखाई देते हैं पर मानसिक स्तर पर हमारी दशा, दिशा और सम्भावना सोचनीय है. अपने ही बच्चों द्वारा अपन्मानित होना, सभी के लिए सोचने का विषय  है. वरिष्ठ नागरिकों के नाम भी अनेकों योजनायें bantee हैं परन्तु सभी का लाभ उन तक नहीं पहुँच पता. शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्तर पर बुजुर्ग होना मुश्किलों से दो-दो हाथ करने के लिए ही है.


बच्चों की दयनीयता- कल के देश के नागरिक ही आज के बच्चे हैं. इस देश में लाखो बचे तो पैदा होने से पूर्व ही गर्भ में ही गर्त में गिरा दिए जाते हैं. बच्चे ठीक से पैदा हो पाए इसके लिए आधी आबादी (महिलायें) का अधिकतम हिस्सा भूख से ही जूझता है और बच्चों को ठीक से जन्म लेने से पूर्व ही मौत के साये में चले जाते हैं. बचपन की गवाही महानगरों एवं बड़े शहरों में छोटे-छोटे बच्चे मांगकर, गाकर, करतब दिखाकर भीख मांग रहे हैं. लाखों बच्चे देश की आजादी के ६२ वर्ष बाद भी पढाई जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से परे रहते हैं.


पुण्यभूमि भारत देश आज अपने ही राजनेताओं, उद्ध्योपतियों एवं अपराधियों के चंगुल में फंस गया है. आमजन के जीवन से खुशियाँ आज भी हजारों कोस दूर खादी हैं. अपने से अपनी बात करना हमरा स्वाभाव है. मन की गुत्थियां खोलने पर हमें कोई समाधान मिल सकता है. "उल्टा तीर" के माध्यम से अपने मन के भावों को आप सबसे बांटकर हल्का महसूस कर रहा हूँ. आपके मन में भी हजारों भाव आते-जाते रहते होंगे, जहां समस्या है मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वाश है कि वहाँ समाधान भी होते ही हैं. समग्र चिंतन से ही युग सम्रद्धि अभियान को दशा, दिशा एवं सम्भावना प्रदान की जा सकती है.

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लेखक के बारे में- लेखक अपनी साहित्यिक सक्रियता के लिए चिर परिचित हैं। दिल्ली दूरदर्शन में कार्यरत व कई सामाजिक संगठनों के संचालक हैं.
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प्रिय पाठको, लेखकों आपके अपने मंच उल्टा तीर पर चिट्ठियों के प्रकाशन के अंतिम पढ़ाव की यह पहली चिट्ठी पढिये और अपनी राय दीजिए. अगर आप उल्टा तीर के लेखक/लेखिका बनाना चाहते/चाहती हैं तो जल्द से जल्द हमें मेल करें. 

7 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम जी आपका ये प्रयास सराहणीय है हालात इतने खराब हो गयी हैं कि निकट भविष्य मे भी कोई समाधान दिखाई नहीं दे रहा। इसका सब से बडा कारण हमारी संवेदनायें मर रही हैं चरित्र गिरावट के अं तिम छोर तक पहुँच गये हैं भ्रषटाचा हमारी रग रग मे समा चुका है जब तक अपनी संस्कृति और अपने आचरण को हर आदमी सही नहीं कर लेता तब तक किसी बदलाव की आशा नेहीं की जा सकती और ये बदलाव जनता के बीच जा जा कर उनके हृ्द्यों को झकझोरे बिना नहीं हो सकता दूसरी सब से बडी समस्या है अनपढता। शिक्षा का गिरता स्तर और मंहगी शिक्षा जब देश के नेता ही इसके कारण हैं तो किस बदलाव की आशा करें । फिर भी आपका प्रयास बहुत बडिया है शुभकामनायें

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  2. समग्र चिंतन से ही युग सम्रद्धि अभियान को दशा, दिशा एवं सम्भावना प्रदान की जा सकती है. ।
    आभार ।

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  3. अमित जी,
    सादर नमस्कार
    आपके विचार बहुत ही अच्छे है आज सचमुच हमारे देश को सांस्कृतिक, आथिक ,सामाजिक व राजनैतिक बुराइयों से बचाने के लिए एक क्रान्ति की सही में आवशयकता है ।
    कठिन है राह
    पर मुझे तो चलना है
    नही है डर कांटो का
    वो तो मेरे साथी है।

    आपने जो आगाज किया है उसमें बहुत लोग साथ है।

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  4. सादर नमस्कार सुनीता जी,
    बहुत-बहुत धन्यवाद आपके इस साथ और हौसले के लिए.
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    कठिन है राह
    पर मुझे तो चलना है
    नही है डर कांटो का
    वो तो मेरे साथी है।
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    इन लाइनों में बहुत शक्ति है, बस इस शक्ति और सकारात्मकता को ही बनाए रखकर हम सफल हो सकेंगे! ज़ज्बा कमजोर न होने पाए...बस बढ़ते ही जाना है. और यकीनन हम कर दिखाएँ!
    आप सबका साथ, मजबूत इरादों वाला संगठन ही विजयी होने का विश्वास है.
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    सादर हेमंत जी, निर्मला जी बहुत-बहुत शुक्रिया.
    बने रहिये हर कदम! मंजिल पाहि लेंगे कदम!

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  5. बहुत खुब, इस लाजवाब रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई। नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें.........

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  6. Bas ham kya kar sakte hain, yahee sochna hai..jo ho gaya wo itihaas hai..bhavishy hamare haathon me hai..pichhalee baten chhod aage badhna hai, tabhi astitv bana rakh payenge!

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  7. प्रेम जी लेखनी गजब की है वो विषय की गहराई मे जाकर और मन से लिखते है उनका लिखना कितना सही और गलत इस पर ने जाकर मे उनके मनो भावः को समझने का प्रयाश किया उन्होंने लगभग सभी देश्वशियो की स्थिति का वर्णन किया और इसका कारन भी लिखा आपको हमारी तरफ से बधाई
    जय श्री राम

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आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
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बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
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आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
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आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)