मुहब्बत जब सचमुच दिल को छू लेती है, मुहब्बत जब सचमुच एक अहसास का पिरोया बन जाती है फ़िर मुहब्बत करने वालों के लिए सितम भी मुहब्बत से कम नहीं लगते! मगर ये सितम करने को मुहब्बत भी तो चाहिए दिल में...शाख जब चरमरा के टूट ही जाती है तो फ़िर पेड़ भी मायूस होकर सूख ही जाता है! और यह सूखानापन इतना खतरनाक भी हो सकता है कि अस्तित्व का भी नामोनिशान मिट जाए!!! यही सूखानापन यही असंवेदना आज देश को कई अहम् मुद्दों पर लचर घोषित कर रही है...क्योंकि इसके वासी (इसकी बहुमूल्य शाखाएँ, इसकी पत्तियाँ) स्वंय ही अपनी-अपनी उड़ान पर हैं? बेशक उनकी जड़ खोखली होकर मिट्टी होती रहे!
बहुमुखी प्रतिभा की धनी व सफर की फोटोग्राफी का शौक़ रखने वाली "प्रियंका तैलंग" ने काव्यमय "
एक चिट्ठी देश के नाम" में यही इशारा किया है कि क्या हुआ अगर हमसे ही अँधेरा हो गया, क्या हुआ अगर हमारे हाथ जंजीरों में जकड़ दिए गए, क्या हुआ अगर हम
लाचारी की हद तक थक गए हैं- क्या हुआ अगर हमें हमारे ही मन ने पतन तक पहुंचा दिया है...क्या हम फ़िर से सिर्फ़ एक कोशिश नहीं कर सकते, सिर्फ़ एक कोशिश ... तो हो जाइए इस कोशिश में शामिल और बन जाइए फ़िर से अखंड भारत की मजबूत शाखाएं, हरी-भरी वो पत्तियाँ जिन्हें न वाहरी तूफ़ान का डर हो, न हो मुरझाने की तासीरें चेहरों पर!
स्वतन्त्रता के उपरांत *-*
देश से बहार निकला तो यह खबर हुई
कि मेरे देश की हालत खस्ता बहुत हुई
चंद पैसों की खातिर बन गए हैं दुश्मन सभी अपने
कि गैरों की बात क्या करें, अपनों की हद हुई
लगता है ज़रुरत पड़ेगी अब फरिश्तों की
मसीहा खुद ही लूट रहे हैं अस्मत जो ज़मीं की
मेरे करने से कौन सा फर्क पड़ेगा?
हर एक नौजान की सोच आखिर ऐसी क्यूँ हुई?बिक गया है देश सियासी खेल के हाथों
क्या आज की जनता को यह खबर भी ना हुई?
अब यूँ ही बैठना तो मुमकिन नहीं होगा
कोशिश करे कोई तो क्या हासिल नहीं होगा
पर कोशिश करने की कोशिश ही भला क्यूँ कम हुई?जय हिंद*-*
लेखिका का ब्लॉग:
स्वतंत्र...खोजआपकी प्रतिक्रया ही नहीं आपकी सवेदना का बहुत छोटा सा टुकड़ा भी अपने देश के योगदान में जाकर आपको गर्व महसूस करा सकता है! [
उल्टा तीर]
Amit ji,abhi aap ka saath kiya facebook par aur blog dekha ,pasand aaya,dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंI am dr.bhoopendra Singh,professor in hindi in govt.t.r.s.college and research centre rewa mp and my mobile no is 9425898136,emailbksrewa@gmail.com
res.add-6,gopalpur tower,tala house campus rewa mp 486001.
my blog-jeevansandarbh.blogspot.com
I will write a post in a month.
Pl guide me and inform in detail.
Better u talk to me in person
with regards,
dr.bhoopendra.
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प्रिय बंधु
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग पसंद आया,एक मिशन है ये ऐसा लगा /
मै प्रोफ़ेसर हूँ हिंदी का यहाँ रीवा म. प्र में /
मेरा ईमेल बी के एस रीवा @ जीमेल .कॉम और मोबाइल नंबर ९४२५८९८१३६ है /
मै आपके लिए हर माह एक पोस्ट लिखूंगा .
आशा है आपके साथ से निरंतर लिखूं गा /
मेरा ब्लॉग है जीवन सन्दर्भ जो ब्लॉगर पैर है उसे आप देख हो /
मेरी शुभ कामनाएं लीजिये /
आपका ही
डॉ. भूपेन्द्र ,रीवा
आपकी लेखन शैली का कायल हूँ. बधाई.
जवाब देंहटाएंजी हाँ! आपके ब्लोग पर लिख्ना चाहुंगी। आपका निमंत्रण स्वीकार्य है।
जवाब देंहटाएंसोचने पर मजबूर कर दिया आपने......
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना........
सोचने पर मजबूर कर दिया आपने......
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना........
धन्यवाद आपने मेरी रचना को इतने अच्चे मंच पे प्रकाशित
जवाब देंहटाएंकिया. आपकी लेखी वास्तव मैं प्रशंसनिया है और उससे भी अधिक
प्रभावी है आपके इस ब्लॉग का उद्देश्य ...
बहुत बहुत बधाइयां
प्रियंका जी...आपकी ओजस्वी कविता को पढकर बहुत ही अच्छा लगा...आपकी कविता पढने से ऐसा प्रतीत हुआ मानो कोई मेरी भावनाओ का कविता पाठ कर रहा हो|
जवाब देंहटाएंअमित जी ...मेरी तरफ़ से आपको कोटिशः बधाइयां....क्योंकि आपने लेखकों को एक मन्च पर एकत्र करने का अथक परिश्रम किया और पाठको तक उत्तम सामग्री पहुचा रहे हैं।
साभार
शैलेन्द्र
मेरे करने से कौन सा फर्क पड़ेगा?
जवाब देंहटाएंहर एक नौजान की सोच आखिर ऐसी क्यूँ हुई?
केवल ये सोच बदल कर देखो फिर नेता,सिपाही ,अधिकारी सभी सही रस्ते पर आजायेंगे और देश समाज सब उस रूप मे होंगे जो आपने अपने सपनो मे देखा होगा