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रविवार, 13 सितंबर 2009

आदमी या मशीन...? "एक चिट्ठी देश के नाम"

देश के अमीर कर्णधार और भी अमीर होने में बुराई नहीं समझते मगर देश की भूखी और लाचार जनता यह जरूर समझती है कि भूख और बीमारी से जाती हुई लाखों जानें कर्णधारों की तरल रहनुमाई से मुक्ति पा सकतीं हैं. विकासशील भारत के खांचे में बेरोजगारी से जूझ रहे देश की एक बड़ी ताकत यानी युवा को और भी बेरोजगार बनाने की कवायद भी सरकार चाहे-अनचाहे कर रही है. निचले स्तर पर कूड़ा उठाने से लेकर, सडकों पर झाडू लगाने तक का काम लाखों, कारोनों रुपयों की कीमती मशीनों से किया जा रहा है. क्या यह भूख और बीमारी, रोजगारी से जूझ रहा गरीब और पिछडा तबका और भी गरीब और लाचार होकर वक़्त से पहले ही अपनी जान नहीं छोड़ देगा या फिर वो किसी गैर कानूनी गतिविधि से अपना पेट पालने की कोशिश करेगा ? अंततः पिसेगा तो गरीब ही! जिस देश के कर्णधारों की दुनिया पैसों और सत्ता के खेल पर लचर हो गई है उसे किसी भी तरह से हमें ही संवारना होगा! देश के बहुत अहम् मुद्दों पर उबलती, रोती-सिसकती मगर जग उठने की प्रेरणा देती यह चिट्ठी उल्टा तीर को [जसवंती पंवार] ने भेजी है. पढें और शामिल हों एक नए भारत के निर्माण में.

यह देश है वीर जवानों का, मस्तानो का, अलबेलों का इस देश का यारो क्या कहना? मै कभी इन पंक्तियों पर विश्वास करती थी. आज ऐसा कुछ भी नज़र नहीं आता, आता भी है तो लोगो की दौलत की भूख नज़र आती है जिसे अपने देश के कर्णधार यानि नेता और अभिनेता सभी केवल उनको यही कहते है कि अमीर होने में कोई बुराई नहीं है जबकि उन्हें ये भी पता है कि देश में लाखो -करोडो लोग रोज़ गरीबी के कारण भूखे रह जाते है अथवा किसी बीमारी से मर जाते है और मान -सम्मान को बेच कर जिन्दा है?

ये कुछ भावनाए है मेरी शायद आज ये केवल मेरी जैसे कुछ लोगो की रह गयी हो जो ये सोचते है कि देश और सवतंत्र देश मै क्या फर्क होता है? आज हम पर कोई विदेशी राज नहीं कर रहा और ना ही कोई राजे- रजवाडे लकिन आज भी हमारे अधिकांश नेता आज उन्ही परिवार के लोग है और यदि किसी जन -जागरण या संविधान के कारण कहीं कोई रंक मंत्री या मुख्यमंत्री बना भी है तो उसे भी उन्हें पैसे के लालच ने जकड दिया है. इसके अनेक उदाहरण आज की राजनीती में स्पष्ट दिखाई देते है. जब कोई नेता अपने पूरे समाज से चंदा मांगता-मांगती है.

बड़ी -बड़ी अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संगठन आज बेरोजगार लोगो की और आँखे मूंदे हुए है. उन्हें मशीनो पर भरोसा है इनसानों पर नहीं. इनको तो अगर छोड भी दे तो आज जनकल्याणकारी सरकारी संगठन और सरकारे भी ऐसी ही नीतियों पर जनता का पैसा खर्च कर रही है. आज ही अखबार के द्वारा मालूम हुआ की मेट्रो जिस पर दिल्ली गर्व कर रही है उसमे भी स्वचलित मशीने लगाई जा रही है. टिकेट काटने के लिए इससे वह मानवीय कर्मचारी की लागत घटा रही है.
लिखना तो बहुत कुछ लकिन शायद आप पूरा पड़ने मै संकोच करे इसलिए केवल इतना ही कहना है कि देश तो आजाद ६२ वर्ष पूर्व अंग्रेजो से हो गया लकिन मानव शायद ही कभी आजाद हो पाए.

आपको भी पता है कि देश में आरक्षण, जातिवाद, अल्पसंख्यक, लोगो के बहाने देश को बाटने में लगे हुए कुछ लोग ही देश पर राज करते है. वह या तो भीड़ के द्वारा नहीं तो कुछ ताकतवर लोगो के द्वारा ही नियंत्रित है. जिस दिन देश में हर इंसान का बराबर दर्जा होगा वह दिन या तो दुनिया का अंतिम दिन होगा या फिर सतयुग का आरम्भ.

आपको स्वतंत्रता दिवस और श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाये।

*-*-*
एक छोटी सी चिंगारी यकीनन आग बन सकती है
इस
कोशिश में अगर भला देश का हो तो फ़िर क्या?
[
उल्टा तीर]


2 टिप्‍पणियां:

  1. आपको हिन्दी में लिखता देख गर्वित हूँ.

    भाषा की सेवा एवं उसके प्रसार के लिये आपके योगदान हेतु आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ.

    जवाब देंहटाएं
  2. गरीब और आमिर के बीच संघर्ष जीवन की सच्चाई है इससे कोई भी मुख नहीं मोड़ सकता लकिन इतना तो सरकार जो अपने आप को लोकतान्त्रिक सरकार कहती उसका फ़र्ज़ है की वो समाज के प्रत्येक व्यकित को बगैर जात-पात और धर्म अथवा किसी भी भेद के बगैर सम्मानजनक जीवन को मौका दे नहीं तो देश मे बड़ते नक्सलवाद को कभी भी काबू नहीं किया जा सकता बल्कि एक बार फिर साम्यवाद नए रूप मे हमारे बीच होगा और इस बार अपने सबसे खतरनाक रूप मे
    लेखिका ने हमे सावधान किया है

    जवाब देंहटाएं

आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
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बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
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आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
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आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)