कहने को तो आज साठ साल से ज़्यादा हो चुके हैं हमें पराधीनता की बेड़ियाँ तोड़ आज़ाद हुए, लेकिन क्या आज भी हम सही मायने में आज़ाद हैं? मेरे ख्याल से नहीं। बेशक!...हमने छोटे से लेकर बड़े तक...हर क्षेत्र में खूब तरक्की की है लेकिन क्यों आज भी हम इटैलियन पिज़्ज़ा खाने को तथा सिंगापुर, मलेशिया, बैंकाक तथा दुबई और मॉरिशस में छुट्टियाँ मनाने को उतावले रहते हैं?
* संचार क्रांति की बदौलत हमारे देश में मोबाईल धारकों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है लेकिन मोबाईल सैट अभी भी क्यों बाहरले देशों से ही बन कर आते हैं?
* आज सैंकड़ों देसी चैनल हमारे मनोरंजन के लिए उपलब्ध हैं लेकिन उनकी ब्राडकास्टिंग दूसरे देशों द्वारा उपलब्ध कराए गए उपग्रहों द्वारा ही क्यों होती है?
* ये सच है कि हमारे कल-कारखानों में एक से एक उम्दा से उम्दा आईटम तैयार होती है लेकिन फिर भी हम खिलौनों से लेकर कपड़े तक और प्लाईबोर्ड से लेकर रैडीमेड दरवाज़ों तक हर सामान को चीन से आयात कर गर्व तथा खुशी क्यों महसूस करते हैँ?
* क्यों आज हम में से बहुत से लोग हिन्दी जानने के बावजूद अँग्रेज़ी में बात करना पसन्द करते हैँ?
* हिन्दी के राष्ट्रीय भाषा होने के बावजूद क्यों हम अँग्रेज़ी के गुलाम बने बैठे हैँ?
* आज हमारे देश का आम आदमी अपने देश के लिए काम करने के बजाय क्यों बाहरले देशों में बस अपना भविष्य उज्जवल करना चाहता है?
* आज दुनिया भर के होनहार लोगों के होते हुए भी हमें आधुनिक तकनीक के लिए बाहरले देशों का मुँह ताकना पड़ता है तो क्यों?
* आज हमसे हमारी ही संसद में सवाल पूछने के नाम पे पैसा मांगा जाता है तो क्यों?
* क्यों खनिज पदार्थों के अंबार पे बैठे होने के बावजूद हमें बिजली उत्पादन के लिए यूरेनियम से लेकर तकनीक तक के लिए अमेरिका सहित तमाम देशों का पिच्छलग्गू बनना पड़ता है?
* आज अपनी मर्ज़ी से हम अपना नेता अपनी सरकार चुन सकते हैँ लेकिन फिर भी किसी वोटर को चन्द रुपयों और दारू के बदले बिकते देखना पड़ता है तो क्यों?
अपनी राय जरूर लिखें, हो सकता है आपकी राय ही किसी बड़े सवाल का हल हो!
[उल्टा तीर]
सभी प्रश्न सोचने लायक हैं !!!
जवाब देंहटाएंइन्हें अगर गौर किया जाये और समाधान की और सोचा जाये तो बहुत सी समस्याए हल हो सकती हैं !!!
अमित जी
जवाब देंहटाएंसादर वन्दे!
आपके सवालों का बस एक ही जबाब है,
इस देश के नौजवानों का देश प्रेम, और यकीं मानिये जिस दिन वास्तविक देश प्रेम जागेगा भारत में एक और क्रांति होगी और वो बिनाश की नहीं बल्कि बदलाव की क्रांति होगी, लेकिन पहल करने वाला कोई चंद्रशेखर आजाद या भगत सिंह तो पैदा हो वो कौन ..............................हम नौजवानों को यही सोचना है, बाकी सारी सोंचे निरर्थक है क्योंकि यह चंद्रशेखर आजाद या भगत सिंह का देश नहीं है ये नेहरू जैसे सौदेबाज का देश बनकर रह गया है जिसपर आज तक यही परिवार राज कर रहा है.
रत्नेश त्रिपाठी
सादर वन्दे त्रिपाठी जी,
जवाब देंहटाएंसबसे पहले आपकी अमूल्य राय के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
मैं तो बस यही कहना चाहूंगा कि चन्द्रशेखर या फिर भगत सिंह भी अब हम ही में से किसी को बनना पडेगा...
सोचने से जादा अब करने की बारी होनी चाहिए और फिर यकीन रखिये कि जो किया जाएगा...वह होकर ही रहेगा! एक्ट पर यकीन करने का समय आ गया है बंधू!
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अश्विन जी आपका बहुत-बहतु आभार आपने अपनी राय दी.
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पिछले दिनों से सभी चिट्ठियों को पढ रहा हूं...राजीव भाई ने बहुत ही सामयिक और सार्थक प्रश्न उठाये हैं....मुझे दुख है कि मैं ...कुछ निजि व्यस्तताओं के कारण आपके इस अभियान में भागीदारी नहीं निभा पाया...क्या अब भेज सकता हूं...यदि हां तो ...मुझे आपके इशारे का इंतज़ार रहेगा...
जवाब देंहटाएंअमित जी आपको देश के नाम एक चिठ्ठी के लिए बधाई इसमें आपने जितनी भी चिठ्ठी ली सब विशष महत्व लिए हुए है
जवाब देंहटाएंसवाल काफी ज्यादा है और जवाब शायद एक की यदि हम सब देश प्रेमी हो तो इन सब सवालो का जवाब सकारात्मक होगा
aapki rachanaa tareef ke kabil hai. maine bhi is pattern par samay darpan blog par likha tha.
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