शनिवार, 25 सितंबर 2010
लौटी फिर से "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" [FWB ] बहस- १२
दोस्तों,
बहुत लम्बे अरसे के बाद उल्टा तीर के जागरूक पाठक "साहब सिंह" जी ने "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" मुद्दे पर अपनी राय मुझे मेल के जरिये भेजी है जिसे ज्यों का त्यों यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ:
संभतः उल्टा तीर पर "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" मुद्दे पर चली यही इक़ लम्बी बहस साबित है! और उम्मीद है कि हम इक़ बार फिर से इस संवेदनशील देश के महाशक्ति युवा वाले मुद्दे पर जरूर चर्चा करेंगे:
*-*-*
मुझे आपका निमंत्रण कोई २ वर्ष पश्चात् मिला लेखन मेरा उद्श्य नहीं वरन एक मार्ग है जिसपर चलकर हम एक वास्तविक आजाद विशाल और समृद्ध भारत का निर्माण करेंगे!
विषय friends with benefits पर मेरे विचार भेजता हूँ कृपया गौर करें.
-
एक कहावत है की मित्र वही जो मुसीबत में काम आये!
काम वासना व् इसकी पूर्ति मनुष्य के लिए उतनी ही जरूरी है जितनी की हवा पानी व् भोजन! हर राष्ट्र में व् हर सभ्यता में इसके लिए प्रबंध हैं! भारत में इसके लिए जो प्रबंध थे वो पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आकार समाप्त कर दिए गए! वे प्रबंध थे बाळ विवाह, देवदासी प्रथा व् योग शिक्षा उस काल में या उसके बाद भी, आजादी के बाद तक गावों में प्रत्येक लड़की को बहन के तौर पर आदर मिलता था!
योग शिक्षा से मनुष्य काम वासना को अपने वश में कर सकते थे! अन्यथा जब भी काम इच्छा प्रबल होने लगती थी तो तुरंत शादी का इंतजाम था! या तो देवदासिया इसके लिए तत्पर थी! तब लाभ हानि मनुष्य के चरित्र मर्यादा से बड़ी न थी! आज लाभ ही सब तय करता है चरित्र मर्यादा से हमारा सरोकार केवल किताबी हो गया है!
दुसरे आज देश में युवा की स्थिति बेहद दयनीय है! पहले २० वर्षो तक पढाई करने के बाद अपने पुरे करियर की चिंता उसे होती है! करीर का मतलब है जॉब? ...नहीं, वरन ऐसी जॉब की वो सोसाइटी के हिसाब से अपना व अपने बच्चों का भरण पोषण कर सके? और यह लक्ष्य उतना ही मुश्किल है जितना की मेंडक तोलना, एक को तराजू में रखेंगे दो कूद जाएँगे दो को रखेंगे तो एक ...जब जॉब मिलेगी तो महंगाई बढ़ जाएगी सेलरी बढ़ेगी तो अमेरिका में रेससन आ जाएगा तो शादी कैंसल फिर सस्ते मीडिया इन्टरनेट और सिनेमा के नाम पर खुली सेक्स की दुकाने युवा वर्ग के लिए एक मुसीबत खड़ी कर देती हैं! आवश्यकता अविष्कार की जननी है! देश लीडरशिप के अदूरदर्शिता के परिणाम सवरूप देश में व्याप्त अन्य अनेक समस्याओं के साथ इस समस्या के लिए भी आज के युवा वर्ग ने जाने अनजाने ये रास्ता निकाल लिया है!
जो बलात्कार, दैहिक शोषण,काम कुंठा व् अप्राकृतिक समाधानों से निश्चित रूप से अच्छा व् समान जनक है! अंततः यह पाश्चत्य संस्कृति का अनुकरण भी है!
परन्तु जमाखोरी, रिश्वतखोरी व् नशाखोरी ही की तरह ये भी भारतीय समाज के लिए एक समस्या है जिसका समाधान शायद मोजुदा शिक्षा व्यवस्था, सरकार, और लीडरशिप के पास नहीं है! इसके लिए तो एक जनक्रांति की आवश्यकता है जो इसी युवा वर्ग के इस संघर्ष से पैदा होगी!
वन्दे मातरम
[साहब सिंह]इसी विषय "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" पर अब तक हुई चर्चाओं के लिंक:
Posted by
Amit K Sagar
at
2:27:00 pm
Labels:
again,
amit k sagar,
debate,
Friends With Benefits,
FWB,
once more,
sahab singh,
ulta teer,
ultateer
4 टिप्पणियां:
आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
--
बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
--
आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
--
आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
"एक चिट्ठी देश के नाम"
(हास्य-वयंग्य)
***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे
**विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका
१५ अगस्त
8th march
अखबार
आओ आतंकवाद से लड़ें
आओ समाधान खोजें
आतंकवाद
आतंकवाद को मिटायें..
आपका मत
आम चुनाव. मुद्दे
इक़ चिट्ठी देश के नाम
इन्साफ
इस बार बहस नही
उल्टा तीर
उल्टा तीर की वापसी
एक चिट्ठी देश के नाम
एक विचार....
कविता
कानून
घरेलू हिंसा
घरेलू हिंसा के कारण
चुनाव
चुनावी रणनीती
ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के
जनसत्ता
जागरूरकता
जिन्दगी या मौत?
तकनीकी
तबाही
दशहरा
धर्म संगठनों का ज़हर
नेता
पत्नी पीड़ित
पत्रिकारिता
पुरुष
प्रासंगिकता
प्रियंका की चिट्ठी
फ्रेंडस विद बेनेफिट्स
बहस
बुजुर्गों की दिशा व दशा
ब्लोगर्स
मसले और कानून
मानसिकता
मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला
युवा
राम
रावण
रिश्ता
व्यापार
शादी
शादी से पहले
श्रंद्धांजलि
श्री प्रभाष जोशी
संस्कृति
समलैंगिक
साक्षरता
सुमन लोकसंघर्ष
सोनी हसोणी की चिट्ठी
amit k sagar
arrange marriage
baby tube
before marriage
bharti
Binny
Binny Sharma
boy
chhindwada
dance artist
dating
debate
debate on marriage
DGP
dharm ya jaati
Domestic Violence Debate-2-
dongre ke 7 fere
festival
Friends With Benefits
friendship
FWB
ghazal
girls
http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems
indian marriage
law
life or death
love marriage
mahila aarakshan
man
marriage
marriage in india
my birth day
new blog
poetry of amit k sagar
police
reality
reality of dance shows
reasons of domestic violence
returning of ULTATEER
rocky's fashion studio
ruchika girhotra case
rules
sex
SHADI PAR BAHAS
shadi par sawal
shobha dey
society
spouce
stories
sunita sharma
tenis
thoughts
tips
truth behind the screen
ulta teer
ultateer
village
why should I marry? main shadi kyon karun
women
[बहस जारी है...]
१. नारीवाद
२. समलैंगिकता
३. क़ानून (LAW)
४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM)
५. हिन्दी भाषा (HINDI)
६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद
७. बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ "
८. आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS)
९. एक चिट्ठी देश के नाम
१०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS)
११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE)
१२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले?
१३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)
bahut hi achhe vichaar hain...
जवाब देंहटाएंhumse baantne ke liye dhanyawaad,....
मेरे ब्लॉग पर इस बार धर्मवीर भारती की एक रचना...
जरूर आएँ.....
किसी भी प्रकार से मै किसी की भावनाओं को आहात नहीं करना चाहता ,अगर ऐसा होता है तो क्षमा प्रार्थी हूँ !
जवाब देंहटाएंइस विषय के पिछले लेखों पर दृष्टि डाली , पूर्ण रूप से नहीं समझ पा रहा हूँ के "मुद्दा " क्या है. अगर आज युवा वर्ग प्रेम परिभाषाओं को नहीं समझ पा रहा है तो आश्चर्य क्यूँ? कहीं किसी पृष्ठ पर दृष्टि गयी थी .. लिखा था "प्रेम आत्मा की अभिव्यक्ति है , इसे अंगीकार करने के ले दो बरसात विरह आवश्यक है " अब मुझे कोई ये बताये के आज के दौर में किसी के पास "दो बरसात" रुकने का समय है ?
युवाओं का क्या दोष है ?वो इतनी भागमभाग में पैदा हुए है , उन्हें सिर्फ दौडना आता है , और इसमें तो कोई दोहराय नहीं की आज देश अगर उन्नति कर रहा है तो इन्ही की "बदौलत " है . शारीरिक संबद्ध आज ही नहीं पहले भी बिना प्रेम के बनाये जाते थे भले ही उनका मापदंड अलग रहा हो. आज बस "फर्क" केवल यही है के कोई हिचकिचाहट नहीं है . मै ये बात स्पष्ट कर दूँ के आज ३५ बरस के ऊपर के पुरुष या औरतों को ये बात नहीं हजम हो सकती के कैसे युवक युवतियां खुलें बाँहों में बाहें दल कर घूम सकते है ,शायद इसलिए की ये आजादी उनके समय में नहीं थी ,होती तो वो भी ऐसी ही किसी चर्चा का शिकार होते . "friends with benefits" कहा जा रहा है के भारतीय सभ्यता पर पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव है , लेकिन अगर गौर करें तो पाएंगे की ये हमारी है धरोहर है , ऐसा पहले भी था , जग जाहिर है लेकिन फिर कहना चाहूँगा के तरीका अलग था . ये जरूरी नहीं के पहले जो होता था वो अच्चा था और जो अब हो रहा है वो गलत है .
bahut hee sargabhit aalekh..bahut bahut badhai...
जवाब देंहटाएंbahut acha lekh hai..
जवाब देंहटाएंaise hi likhte rahiyega..
Please visit my blog..
Lyrics Mantra
Ghost Matter
Music Bol