आज पहली बार 'उल्टा तीर' पर कुछ लिखने का मौका मिला है। सबसे पहले तो ये विषय 'फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स' बहुत ही सेंसिटिव विषय है। क्योंकि दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो हर रिश्ते से बड़ा है, और अगर हम इस रिश्ते को इस नज़रिए से देखते हैं कि उस से कोई फायदा उठाया जाए तो ये हमारे लिए शर्म की बात है. और न ही सिर्फ़ दोस्ती कोई भी रिश्ता अगर हम किसी फायदे के लिए बनाते हैं तो उस रिश्ते की अहमियत ख़त्म हो जाती है, और ख़ास तौर पे हम नई जेनरेशन को इस मोड़ पर संभलने की ज़रूरत है. इस मोड़ पर राहत इन्दोरी साहब का एक शेर याद आता है-
" लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं,
इतना डरते हैं तो घर से निकलते क्यों हैं,
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए,
लोग इसी मोड़ पे आके फिसलते क्यों हैं"
और जहाँ तक मैंने अभी तक तजुर्बा किया है मैंने ये देखा है की आज की तारीख में प्यार, मोहब्बत, दोस्ती इन सब चीज़ों की कद्र करने वाले बहुत कम लोग हैं, और अमित जी ने ये बहुत अच्छा विषय चुना है अगर हम इस विषय पर गौर फरमाएं तो पता चलेगा कि आजकल ये कितना पोपुलर है, और आजकल दोस्त सिर्फ़ मतलब के लिए ही बनाये जाते हैं। आजके इस दौर में आपको सच्चे दोस्त बहुत कम देखने को मिलेंगे, क्योंकि आज के इस भौतिकवादी युग में हम पैसे के पीछे भाग रहे हैं लेकिन नैतिक मूल्यों की आजकल कोई अहमियत नही रह गई है। दोस्तों हमें सोचना चाहिए कि सबसे पहले हम इंसान हैं, और चीज़ें इंसान की ज़रूरत के लिए बनी हैं, इंसान प्यार करने के लिए बना है और चीज़ें इस्तेमाल के लिए, बात तब बिगड़ती है जब चीज़ों से प्यार किया जाए और इंसान को इस्तेमाल किया जाए। हमें इस विषय पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है।
उल्टा तीर के लिए
[गय्यूर अली अख्तर]
(दोहा, क़तर) अल्लाह हाफिज़
आज तो बस इतना ही कि ये मेरे पसन्दीदा शेर हैं ।
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