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सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

तीन कहानियां: "friends with benefits" रिश्ते के अनुभव- बहस-७




रोहित वर्मा, बी.पी.ओ एक्जीक्यूटिव. उम्र २९ साल. निवास स्थान- दिल्ली शहर. यह लेखा किसी थाने से लिया गया या अदालत में विचाराधीन केस का नहीं है. रोहित वर्मा, जोकि पिछले ४ वर्षों से दिल्ली शहर में रह रहे हैं...इनका सीधा ताल्लुक "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" से है. इनके लिए इस रिश्ते की शुरुआत खुद को चौंकाने  वाली थी! यह इकदम बहुत नया था. शायद मेरी कल्पना से भी जादा नया.    चूँकि रोहित वर्मा स्थाई रूप से छोटे शहर से ताल्लुक रखते हैं. मग़र बकौल रोहित- इस तरह के रिश्ते में पड़ना यानी खुद को पूरी आज़ादी और और शारीरिक सुख का पूरा आनंद वो भी बिना किसी बंधन के, यह रोहित को इतना भागया कि एक के बाद एक कई अन्य रिश्तों में जुड़ते चले गये!  बौकौल रोहित-  मैं जब अकेला दिल्ली शहर आया तो आजादी मेरे साथ-साथ चलती आई. इस आजादी को  मैं कुछ इस तरह देखता हूँ जैसे यहाँ पर अकेले रहना और सब कुछ अपनी मर्जी के मुताबिक करना. यहाँ पर घर कोई का नहीं. इसलिए यहाँ मुझे किसी कोई कोई जवाब नहीं देना होता है, मेरे व्यक्तिगत जीवन में यह आज़ादी बहुत महत्त्व रखती है.

बी.पी.ओ सेक्टर में नौकरी पाने के बाद कुछ नए बने मित्रों के जरिये मुझे "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" के बारे में पता चला. मेरी ज़रूरत और आजादी के हिसाब से मुझे यह रिश्ता इतना भा गया कि मैं अपने लिए इस तरह के मित्र की खोज करने लगा. मेरी पहली मित्र सहकर्मी थी. जिसके साथ मेरा पहली ही मुलाक़ात से अच्छा शारीरिक आकर्षण था. सही कार्यकर्ता होने के कारण मेरी इस मित्र से बातचीत बढ़ी और बहुत जल्द हमारी बात-चीत "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" में बदल गई. और इस एक रिश्ते के बाद अगले ३ वर्षों में (आज तक) मेरी कई अन्य ऐसी ही मित्र बनीं.
 
दिल्ली की २६ साल की प्रिया एक एम एन सी में कार्यरत है. उसके अनुसार- कार्य का तनाव और अकेलेपन की चुभन ने उसे ऐसे रिश्तों में पहुंचाया. अकेलेपन से बचने के लिए मैंने इस तरह के रिश्ते में हाथ बढाया. चूँकि किसी भी वचनबद्ध रिश्ते के लिए मेरे पास न समय था न मानसिक तैयारी. करियर मेरे लिए महत्वपूर्ण था. यह रिश्ता मुझे इन्हीं बातों के मद्देनजर बहुत जंचा. और मैं इक़ के बाद इक़ नए रिश्ते में पड़ती चली गई. इस तरह के रिश्ते में कभी का एक दौर ऐसा भी रहा कि इक़ ही समय में ५-५ रिश्तों में रही. लम्बे घंटों के अकेलेपन और थकान के बाद एक बहुत अच्छा शारीरिक सुख और समय ने मुझे बहुत सुकून दिया और कहीं से भी यह मेरे करियर या जिंदगी के किसी और रास्ते में आड़े नहीं आया. इस रिश्ते में मेरे बने रहने की यह बात भी महत्वपूर्ण रही.  

मग़र इस रिश्ते में अपने इक़ मित्र के लिए (जिसके साथ मैं फ्र्न्ड्स विद बेनेफिट्स" रिश्ते में थी) जब भावनाएं महसूस कीं तो यह मेरे लिए सोच का विषय बना. मैंने अपने मित्र के सामने जब अपनी भावनाएं प्रकट की तो उसने बहुत रूखा सा जवाब दिया कि " हम इस तरह के रिश्ते में कतई नहीं हैं जहां प्यार और इसकी वचनबद्धता आती हो) और यह कहकर वो फिर मुझसे आजतक कभी नहीं मिला. मैं इस रिश्ते की मर्यादा तोड़ रही थी शायद. यह मेरे लिए दुखी करने जैसा था. जिसके चलते मैं आगामी ६-७ महीनों तक मानसिक रूप से डिप्रेसन (विषाद) में रही.

 

मुंबई शहर में रहने वाले २७ साल के राजीव शुरू से ही रंगीन मिजाज़ प्रवृति के हैं. इस रिश्ते में आने से पहले जो भी लकड़ी इनकी मित्र हुआ करती थी, यह उस हर लडकी से शारीरिक रिश्ता कायम करने की इच्छा रखते थे. जिसमें कई बार राजीव को कामयाबी मिली. कहते हैं कि हम जिस चीज़ को तलाशना चाहते हैं दरअसल कभी कभी वाह चीज़ हमें ही तलाश रही होती है. कुछ ऐसे ही जब राजीव को "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" के बारे में पता चला तो जैसे मन की मुराद पूरी हुई. और तब से अब तक सेक्स सुख के इस फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स में बहुत से रिश्ते बनाए हैं. जिनमें न तो कुछ जुड़ने जैसा होता है और न टूटने जैसा होता है. बस आने वाला आता है और जाने वाला जाता है.

इन तीनों कहानियों से और इस तरह के रिश्तों में अन्य लोगों से की गई बातचीत के तौर पर यह तो साफ़ हो गया है कि यह रिश्ता "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" एक ऐसा अनाम रिश्ता है जिसके अनुसरण करता खुद भी इसे कोई नाम नहीं देते. साफ़ है कि यह रिश्ता सिर्फ और सिर्फ सेक्स (शारीरिक सुख) प्रधान है. जिसमें आप अपने मित्र से शारीरिक शुख तो प्राप्त करते हैं मग़र भावनात्मक तौर पर न आप अपने मित्र के लिए कोई मायने रखते हैं और न आपके मित्र आपके लिए.रिश्तों की बढ़त या गहराई में जिसकी कोई पकड़ नहीं. कोई जिम्मेदारी नहीं. यह सामाजिक या निजी तौर पर पूरी तरह से खुद को आजाद रखते हुए व इसी रिश्ते के सन्दर्भ में किसी भी तरह की वर्तमान या भविष्य की जिम्मेदारी से बचते हुए शारीरिक सुख पाते रहना का जरिया है. परन्तु इसकी नकारात्मकता यह है कि हो सकता है कि आप अपने इसी तरह के मित्र के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने लगें. जोकि आपके लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से हानिकारक है. जैसा कि प्रिया के साथ हुआ. और यकीनन यह रिश्ता आने वाले रिश्ते में भी प्रभाव डाल सकता है. जैसा कि राजीव बताते हैं- मैं अक्सर सोचता हूँ कि जब मेरी शादी होगी तब क्या मैं अपने विवाहित रिश्ते में ढल पाऊंगा या नहीं.क्या मैं एक अच्छा पति साबित हो सकूंगा!  मैं यह भी अक्सर सोचता हूँ कि जिन लड़कियों के रिश्ते मुझसे हैं- उनका क्या होगा...क्या वो अपने आने वाले विवाहित रिश्ते में सामंजस्य बिठा पाएंगीं.


फ्रेंड्स विद बेनेफ्ट्स रिश्ते की यह एक साफ़ तस्वीर है. साफ़-साफ़ शब्दों में यह रिश्ता सिर्फ शारीरिक सुख (सेक्स सम्बन्ध) कोई पाने का एक ऐसा जरिया है, जिसमें न कोई बंधन है और न भावनाओं की कोई जगह. आप सिर्फ त्वरित क्षण में जीते हैं. न अतीत में न भविष्य में. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स पर उल्टा तीर ने कुछ पहलुओं पर बड़ी गंभीरता से प्रकाश डाला है, चूँकि यह रिश्ता गतिमान है पर स्वीकारोक्ति व नकारने की अवस्था में नहीं है. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स समाज का ही एक हिस्सा है और आप सामाजिक प्राणी होने के नाते इसके बारे में क्या सोचते हैं? इस रिश्ते को लेकर आपकी क्या भावनाएं हैं? प्रकट करें.


तीनों कहानियां सच्ची हैं मग़र पहचान छुपाने के लिए चरित्रों के नाम बदल दिए गये हैं.

उल्टा तीर पर आपके विचारों को आपकी बुलंद आवाज़ के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश हमेशा से ही की जाती रही है...कृपया इसे बल दें. आपकी प्रतिक्रया ही नहीं आपकी सवेदना का बहुत छोटा सा टुकड़ा भी समाज के योगदान में जाकर आपको गर्व महसूस करा सकता है
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अगर आप पास हैं अपने निजी अनुभव, या है आपका कोई मित्र या जानकर 'फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स' के रिश्ते में, तो हमें लिख भेजिए.
उल्टा तीर के लिए 
[अमित के सागर]

3 टिप्‍पणियां:

  1. रिश्ते की पड़ताल करता हुआ यह आलेख पढ़ने वाले में नैतिक ऊहापोह पैदा करता है, तयशुदा प्रपत्तियां हिलाती हुई ऐसी रचना कम ही मिलती हैं। बाक़ी नो कमेंट्स।

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  2. "इसकी नकारात्मकता यह है कि आप अपने मित्र के साथ भावनात्मक रूप से जुडने लगे" विदाउट बेनेफिट रिश्ते मे क्या यह सकारात्मकता नही होगी ?

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  3. जिन लोगो की भावनाएं खत्म हो जाती है या अपने पार्टनर के लिए समय नही है उनके लिए यह रिश्ता ठीक है पर जिनके भावनाएं अभी जिन्दा वह इससे दुर ही रहे क्योकि बाद में जिन्दगी के बदले मौत ही नजर आती है.....
    http://sunitakhatri.blogspot.com
    http://swastikachunmun.blogspot.com

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आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
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बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
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आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
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आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)