बी.पी.ओ सेक्टर में नौकरी पाने के बाद कुछ नए बने मित्रों के जरिये मुझे "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" के बारे में पता चला. मेरी ज़रूरत और आजादी के हिसाब से मुझे यह रिश्ता इतना भा गया कि मैं अपने लिए इस तरह के मित्र की खोज करने लगा. मेरी पहली मित्र सहकर्मी थी. जिसके साथ मेरा पहली ही मुलाक़ात से अच्छा शारीरिक आकर्षण था. सही कार्यकर्ता होने के कारण मेरी इस मित्र से बातचीत बढ़ी और बहुत जल्द हमारी बात-चीत "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" में बदल गई. और इस एक रिश्ते के बाद अगले ३ वर्षों में (आज तक) मेरी कई अन्य ऐसी ही मित्र बनीं.
मग़र इस रिश्ते में अपने इक़ मित्र के लिए (जिसके साथ मैं फ्र्न्ड्स विद बेनेफिट्स" रिश्ते में थी) जब भावनाएं महसूस कीं तो यह मेरे लिए सोच का विषय बना. मैंने अपने मित्र के सामने जब अपनी भावनाएं प्रकट की तो उसने बहुत रूखा सा जवाब दिया कि " हम इस तरह के रिश्ते में कतई नहीं हैं जहां प्यार और इसकी वचनबद्धता आती हो) और यह कहकर वो फिर मुझसे आजतक कभी नहीं मिला. मैं इस रिश्ते की मर्यादा तोड़ रही थी शायद. यह मेरे लिए दुखी करने जैसा था. जिसके चलते मैं आगामी ६-७ महीनों तक मानसिक रूप से डिप्रेसन (विषाद) में रही.
इन तीनों कहानियों से और इस तरह के रिश्तों में अन्य लोगों से की गई बातचीत के तौर पर यह तो साफ़ हो गया है कि यह रिश्ता "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" एक ऐसा अनाम रिश्ता है जिसके अनुसरण करता खुद भी इसे कोई नाम नहीं देते. साफ़ है कि यह रिश्ता सिर्फ और सिर्फ सेक्स (शारीरिक सुख) प्रधान है. जिसमें आप अपने मित्र से शारीरिक शुख तो प्राप्त करते हैं मग़र भावनात्मक तौर पर न आप अपने मित्र के लिए कोई मायने रखते हैं और न आपके मित्र आपके लिए.रिश्तों की बढ़त या गहराई में जिसकी कोई पकड़ नहीं. कोई जिम्मेदारी नहीं. यह सामाजिक या निजी तौर पर पूरी तरह से खुद को आजाद रखते हुए व इसी रिश्ते के सन्दर्भ में किसी भी तरह की वर्तमान या भविष्य की जिम्मेदारी से बचते हुए शारीरिक सुख पाते रहना का जरिया है. परन्तु इसकी नकारात्मकता यह है कि हो सकता है कि आप अपने इसी तरह के मित्र के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने लगें. जोकि आपके लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से हानिकारक है. जैसा कि प्रिया के साथ हुआ. और यकीनन यह रिश्ता आने वाले रिश्ते में भी प्रभाव डाल सकता है. जैसा कि राजीव बताते हैं- मैं अक्सर सोचता हूँ कि जब मेरी शादी होगी तब क्या मैं अपने विवाहित रिश्ते में ढल पाऊंगा या नहीं.क्या मैं एक अच्छा पति साबित हो सकूंगा! मैं यह भी अक्सर सोचता हूँ कि जिन लड़कियों के रिश्ते मुझसे हैं- उनका क्या होगा...क्या वो अपने आने वाले विवाहित रिश्ते में सामंजस्य बिठा पाएंगीं.
फ्रेंड्स विद बेनेफ्ट्स रिश्ते की यह एक साफ़ तस्वीर है. साफ़-साफ़ शब्दों में यह रिश्ता सिर्फ शारीरिक सुख (सेक्स सम्बन्ध) कोई पाने का एक ऐसा जरिया है, जिसमें न कोई बंधन है और न भावनाओं की कोई जगह. आप सिर्फ त्वरित क्षण में जीते हैं. न अतीत में न भविष्य में. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स पर उल्टा तीर ने कुछ पहलुओं पर बड़ी गंभीरता से प्रकाश डाला है, चूँकि यह रिश्ता गतिमान है पर स्वीकारोक्ति व नकारने की अवस्था में नहीं है. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स समाज का ही एक हिस्सा है और आप सामाजिक प्राणी होने के नाते इसके बारे में क्या सोचते हैं? इस रिश्ते को लेकर आपकी क्या भावनाएं हैं? प्रकट करें.
रिश्ते की पड़ताल करता हुआ यह आलेख पढ़ने वाले में नैतिक ऊहापोह पैदा करता है, तयशुदा प्रपत्तियां हिलाती हुई ऐसी रचना कम ही मिलती हैं। बाक़ी नो कमेंट्स।
जवाब देंहटाएं"इसकी नकारात्मकता यह है कि आप अपने मित्र के साथ भावनात्मक रूप से जुडने लगे" विदाउट बेनेफिट रिश्ते मे क्या यह सकारात्मकता नही होगी ?
जवाब देंहटाएंजिन लोगो की भावनाएं खत्म हो जाती है या अपने पार्टनर के लिए समय नही है उनके लिए यह रिश्ता ठीक है पर जिनके भावनाएं अभी जिन्दा वह इससे दुर ही रहे क्योकि बाद में जिन्दगी के बदले मौत ही नजर आती है.....
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