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गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस]

~!~उल्टा तीर पर हिंदी ब्लोग्स में पहली बार एक रिश्ते पर साहसिक बहस 
"फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स~!~



हिन्दुस्तान ही नहीं दुनिया के हर कौने में आम सामाजिक रिश्तों को हम सभी जानते व निभाते हैं. जब भी समाज में कभी आम रिश्तों से हटकर किसी रिश्ते ने जन्म लिया है, वह किसी न किसी रूप में बहस का मुद्दा बना है. समाज और हमारे कानून ने इस तरह के रिश्तों को अनुमति दी है या नहीं, यह इस काल में भी चर्चा और बहस का मुद्दा रहा है. जहां कानून अपने हस्ताक्षर कर किसी रिश्ते को अनुमति देता है तो वहीं समाज के एक बड़े वर्ग में सहमति और असहमति बनी ही रहती है.

फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स एक ऐसा शारीरिक रिश्ता है जिसकी परिभाषा खुद में विलक्षण सी है. एक ऐसा रिश्ता जिसे हम में से बहुत से लोग निभा रहे होंगे मगर शायद ही वो जानते हैं कि यह क्या कहलाता है? फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स यानी २ मित्रों के बीच लाभ भरा एक तयशुदा रिश्ता. जिसके अपने कायदे-कानून हैं. जिसमें न कोई बंधन है न कोई वचनबद्धता, कुछ ऐसा है यह रिश्ता.

फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स एक परिभाषा के रूप में- दो लोगों जो मित्र हैं और जिनके बीच शारीरिक आकर्षण है, एक शारीरिक सम्बन्ध या रिश्ता रखने के लिए एक सहमती. इसमें दोनों ही वर्ग एक दूसरे से किसी भी तरह से वचनबद्ध नहीं हैं जैसे कि इस रिश्ते के होने के बाद भी दोनों मित्रों में से कोई भी अपनी स्वेच्छा से पूरी आज़ादी के साथ किसी भी और के साथ एक नए रिश्ते के लिए आगे बढ़ सकता है बिनी एक-दूसरे को बताए. जो लोग इस तरह के सम्बन्ध में संलग्न हैं वो इस सम्बन्ध को किसी भी रिश्ते का नाम नहीं देते. साधारणतः बिना किसी एक-दूसरे से भावनात्मक जुडाव के दो मित्रों के बीच एक शारीरिक सम्बन्ध, बिना किसी प्रतिबद्धता के.

इस रिश्ते में महिलाओं की अपेक्षा पुरुष वर्ग की संलग्नता थोडी सी ज्यादा है. इसमें पुरुष वर्ग लाभीय केंदित महिला वर्ग की अपेक्षा अधिक होता है वहीं महिला अधिकांशतः मित्रवत केन्द्रित होती हैं. इसमें कोई आर्श्चय नहीं है कि इस सम्बन्ध के दोनों वर्ग महिला व पुरुष मानते हैं कि बिना प्रेम के शारीरिक सम्बन्ध होना असहज नहीं है.

इस रिश्ते का एक अजीब सा पहलू यह है कि जो लोग जलन की भावना से अधिक प्रभावित होते हैं वह

इस तरह के रिश्तों में अधिक पाए जाते हैं. असल में इस तरह के लोगों के अन्दर इसके पीछे की धारणा होती है कि जब वह अपने मित्र के साथ शारीरिक सम्बन्ध बना रहे होते हैं तो उन्हें ये जानने की अभिलाषा होती है कि उनका मित्र अन्य और कितने ऐसे मित्र रखता है? और क्या वो ख़ास है?

आयु वर्ग की बात करें तो २० वर्ष से कम आयु के महिला-पुरुष इस रिश्ते में कम पाए जाते हैं. वहीं उम्र में अधिक वाले महिला-पुरुष इस रिश्ते से अधिक जुड़े होते हैं. इस रिश्ते में एक और खासियत यह भी होती है कि जो भी इस तरह के रिश्ते से इक बार जुड़ जाता है वह अनेकों ऐसे ही रिश्ते और भी बनाता है.

एक अन्य रोचक पहलू- इस रिश्ते की दोनों कड़ियों में से एक कड़ी या फिर दोनों कड़ियाँ धन समृद्धित मित्र खोजती हैं. जबकि स्वंय इस रिश्ते में पैसा का कोई भी किसी भी प्रकार से लेना-देना नहीं है. ये बताता है कि इस रिश्ते के प्रवाहक सफल व्यक्ति खोजते हैं जोकि जीविका अर्जित करने में ज्यादा केन्द्रित हैं परिवार या किसी अन्य प्राथमिकता की बजाय.

दिलचस्प से इस रिश्ते के बारे में हकीकत की कुछ और कड़ियाँ अगली पोस्ट में.

 इस अलहदा से मगर तेजी से फैलते हुए रिश्ते "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" के बारे में आप क्या सोचते हैं? इस रिश्ते के क्या मूल कारण हो सकते हैं? और यह हमें किस दिशा-दशा में ले जा रहा है? क्या हमारे समाज में इस रिश्ते की पैठ स्वीकार की जायेगी? इस तरह के रिश्ते का हमारे स्वंय पर, हमारी आत्मिक भावनाओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस तरह के कई अन्य और भी सवाल हैं जो हमसे जवाब मांग रहे हैं! आपकी कही गई इक बात हो सकता है एक विषय का सार...तो बेझिझक कह दीजिये अपनी बात! ...कर लीजिये बहस अभी "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" पर...क्योकि बहस अब शुरू हो चुकी है मेरे दोस्त...

इस तरह के रिश्ते में अगर आपके पास हैं अपने अनुभव या है कोई आपका मित्र, जानकार जुड़ा हुआ है इस रिश्ते में तो हमें लिख भेजिए! [उल्टा तीर]

8 टिप्‍पणियां:

  1. hmmm......
    क्या कहे इस पर आज कल तो यही हर जगह व्याप्त है......
    क्योकि अब प्यार/मोहब्बत जोकि शाश्वत होता था..... love/affair/live in relationship में बदल गया है..... जिसमे लोगो की बस एक ही चाहत होती है.... वो है बेनेफिट्स....
    अगर आप ही कही प्यार पर व्यक्तव्य देंगे तो कोई मिल जायेगा ऐसा कहने वाला की अरे २१वीं सदी में रहकर भी यही ठहरे हुए हो..... पता नही आप सुने हैं की नही लेकिन मै तो अक्सर सुन लेता हूँ..... इसी से प्रेरित मैंने भी अपने ब्लॉग "दो बातें एक एहसास की..." पर पोस्ट
    "निष्काम प्रेम बनाम रोमांटिक लव..."":
    और
    ""शाश्वत प्यार या फटाफट मोहब्बत..."":
    लिखी थी.... आपके कई प्रश्नों का उत्तर उसमे मौजूद भी है.....

    जवाब देंहटाएं
  2. hmmm......
    क्या कहे इस पर आज कल तो यही हर जगह व्याप्त है......
    क्योकि अब प्यार/मोहब्बत जोकि शाश्वत होता था..... love/affair/live in relationship में बदल गया है..... जिसमे लोगो की बस एक ही चाहत होती है.... वो है बेनेफिट्स....
    अगर आप ही कही प्यार पर व्यक्तव्य देंगे तो कोई मिल जायेगा ऐसा कहने वाला की अरे २१वीं सदी में रहकर भी यही ठहरे हुए हो..... पता नही आप सुने हैं की नही लेकिन मै तो अक्सर सुन लेता हूँ..... इसी से प्रेरित मैंने भी अपने ब्लॉग "दो बातें एक एहसास की..." पर पोस्ट
    "निष्काम प्रेम बनाम रोमांटिक लव..."":
    और
    ""शाश्वत प्यार या फटाफट मोहब्बत..."":
    लिखी थी.... आपके कई प्रश्नों का उत्तर उसमे मौजूद भी है.....

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  3. अमित जी
    आपने बहस के लिए एकदम ज्वलंत मुददा उठाया, ऎसे रिश्तों का अन्त दुखान्त ही होता है बिना किसी इमोशन के रिलेशन रख्नना या जैसा आपने बताया कि अधिक उम्र के लोग ज्यादा इन्वाल्व है ऎसे रिश्तों में
    वो शायद अपनी जरूरतों के लिए बिना किसी फायदे के शायद दूसरे का साथ चाहने या अकेलापन कम करने के लिए ऎसा करते हो.....
    पर युवा पीढी पर भी असर दिखने लगा है

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  4. एक सरोकार को आपने आकार दिया है, ऐसे विषय पर कम ही लेख मिलते हैं। बधाई।
    drbsingh.blogspot.com

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  5. अमित जी आपकी नया लेख बहुत कुछ आपके एक पुराने लेख की याद दिला रहा है लकिन ये भी सच है की आज भी बिना प्यार के शारीरिक सम्बन्ध बनते है दोनों विपरीत लैंगिक युवाओ मे आज भी जो भारतीय समाज मे शादी होती वो दो अनजान लोगो मे होती है और सुहागरात शादी के ठीक बाद प्यार धीरेधीरे बढता रहता है और भी बहुत कुछ जो आपके सभी लेख पड़ने के बाद ...........

    जवाब देंहटाएं
  6. लोकेन्द्र जी, आपकी राय के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया.
    मैंने आपके ब्लॉग पर "शास्वत प्यार या फ़टाफ़ट मोहब्बत पोस्ट" पढी है, आप कृपया इस जारी विषय पर "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" महत्वपूर्ण बिंदु यहाँ पर भी पोस्ट कर देंगे तो बहुत अच्छा होगा.
    ---
    आभार.

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  7. सादर सुनीता जी, राजभाई कौशिक, बी सिंह व करम भाई जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया.

    जब तक न पहुंचें हम किसी निष्कर्ष पर
    जारी रखिये विचार इस बहस पर...

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  8. ऐसे विषय पर बहुत ही कम लोग लिखते है
    आपका धन्यवाद्

    जवाब देंहटाएं

आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
--
बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
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आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
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आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)