*उल्टा तीर लेखक/लेखिका अपने लेख-आलेख ['उल्टा तीर टोपिक ऑफ़ द मंथ'] पर सीधे पोस्ट के रूप में लिख प्रस्तुत करते रहें. **(चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक, ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिखें )***आपके विचार/लेख-आलेख/आंकड़े/कमेंट्स/ सिर्फ़ 'उल्टा तीर टोपिक ऑफ़ द मंथ' पर ही होने चाहिए. धन्यवाद.
-फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स विषय बहस पर मेल द्वारा भेजी गई [डॉ. श्याम गुप्ता] की टिपण्णी-
शायद 'फ्रेंड्स विद बेनेफिट' का अर्थ सब लोग सिर्फ शारीरिक सम्बन्ध के लिए रिश्ता, फ्री सेक्स स लगा रहे हैं ? वस्तुतः फ्रेंड्स विद बेनेफिट का यह अर्थ नहीं है. इसी सीरीज़ के एक लेख में लेखक ने कितना सही कहा है कि हम नकलची हें, हम वास्तव में अभी तक नक़ल की ही बात कर रहे हैं, विषय की गहराई तक पहुँच बिना|
फ्रेंड्स विद बेनेफिट भारतीय समाज में न जाने कब से चला आरहा है. ममेरी, फुफेरी बहनें, चाचियाँ, मामियां (सामान्य आदरणीय रिश्ते), भाभियाँ, बहनों के सखियाँ, भाइयों के मित्र, सालियाँ, सलहजें (हंसी मज़ाक वाले रिश्ते)गली मोहल्ले व गाँव की बहनें, बेटियों के रिश्ते के आदि रिश्ते. वास्तव में यही 'फ्रेंड्स विद बेनेफिट' होते थे जो एक दूसरे व्यक्ति, परिवार, समाज, गाँव के आपसी सामंजस्य व उभय पक्षीय सहयोग पर आधारित था. हाँ सेक्स के लिए उसमें कोइ स्थान नहीं था | हाँ कभी-कभी गुमराही के कारण हंसी मज़ाक वाले रिश्तों में सेक्स का आविर्भाव भी होजाता था. मानवीयता की कमजोरी वश; जानबूझकर, प्री -प्लांड नहीं विश्रंखलित व असंयमित व्यक्तित्व, समाज व मानसिकता की वज़ह नहीं |
यही 'फ्रेंड्स विद बेनेफिट' का अर्थ होना चाहिए |
*-*-*
"फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" पर चली बहस/चर्चा का निष्कर्ष जल्द ही "उल्टा तीर निष्कर्ष" पर जरूर पढें व दें अपना निष्कर्ष भी.
उल्टा तीर वह मंच है जहां जलती हुए जुबानों को भी सलाम किया जाएगा! बशर्ते बस पहुचंह सकें हम इक बेहतर निषकर्ष पर!
अरे भाई किसने इस रिश्ते को सेक्स के साथ और कैसे जोड़ा ये एक शोध का विषय है"बेनिफ़िट" शब्द का व्यापक अर्थ है,इसके अनेक पहलु हैं,इस हिसाब से यह जो माह भर गाल बजाये (चर्चा चली)गये,सेक्स के नाम पर, वो व्यर्थ ही थे, इस तरह "बेनीफ़िट" तो आप प्रत्येक संबंधों से ले रहे हो,"खोदा पहाड़ निकली चुहिया" या मुझे कम समझ मे आया होगा।
अगर भारतीय समाज में रिश्तों में ही सेक्स हो जाता था या होता है जैसा कि भारतीय परिवेश के सन्दर्भ में हमें नकलची न कहकर कहां गया कि सेक्स हो जाता है मानवीय कमजोरी वश तो यह कितना घिनौना नही है इसलिए लोग रिश्तों से नफरत न करते होगे इस बारे में जानकर भारतीय समाज की गलत तस्वीर ही सामने आती है इससे अच्छा तो पश्चिमी समाज ही सही है वो जो करते है खुलकर तो करते है।....
ललित जी की बात से मै पुरी तरह सहमत हुं विषय ही बदल गया बहस का अमित जी टिप्पणी अगर कोई करता है तो उसे लेख मे न जोडियें अन्यथा बहस अपने विषय से भटक जायेगी.....
भाई ललित जी, बेनेफिट प्रत्येक रिश्ते कहाँ देते हैं, सब मतलब के होते हैं या सहज जन्म जात जैसे माता-पिता , बेनेफिट फ्रेंड का अर्थ जो बिना लाग लपेट के साथ दे, जैसे कृष्ण -द्रौपदी फ्रेंडशिप | सुनीता जी को शायद ऐसे रिश्तों के बारे में पता नहीं , ये हर समाज में सदा से होते हैं | सभी अपने कपडों के नीचे नंगे होते हैं सब जानते हैं ,तो क्या नंगे होकर घूमें कि क्या फर्ख पङता है ? अनैतिकता को छुपाने से विस्तार रुकता है , भारतीय सभ्यता उच्चता की और प्रयाण का प्रयास है , गन्दगी का विस्तार व सामाजीकरण नहीं |
डा0 साहब अगर हम आपकी बात से सहमत हो भी जाये जैसा कि आपने ठीक ही लिखा मै एेसे रिश्तों के बारे में नही जानती शायद जानना भी नही चाहती क्या जैसे रिश्तों में आपने कहा सम्बंध बन जाते है मानवीय कमज़ोरी वश या प्रेम वश भी तो अगर कोई इसे शादी तक पहुँचाना चाहे तो क्या ये ठीक होगा आपकी क्या राय है.....
सुनीता जी , आपने एकदम एक सत्य तथ्य को उजागर कर दिया चाहे अनजाने में ही सही , आपका कथन कि " जानना भी नहीं चाहती ", इसी भाव को समाज में लाने व अनैतिक बातों को न फैलने देने के प्रक्रियाएं हैं भारतीय "वर्जनाएं ", कि और अधिक लोग जानने को उत्सुक न हों ,न जाने, न मानें तथा अंतिम स्तर-न प्रयोग में लायें और व्यक्ति की ,समाज व राष्ट्र की ऊर्जा गुणात्मक कार्यों में प्रयोग हो | ऐसे रिश्तों में जहां तक शादी आदि की बात है , ये कभी-कभी के होते हैं , जो विवाह पूर्व ,अविवाहितों में रिश्ते होते हैं वे शादी कर सकते हैं, करते भी हैं, प्रेम-विवाह की भांति |जो विवाहेतर सम्बन्ध हें वे चुप-चाप होते हैं ,जिनमें कोइ सामाजिक मान्यता नहीं होती, दोनों शादी -शुदा होते हैं प्रायः ,अतः शादी का कोइ सवाल नहीं उठता|
Amit ji bahas shuru karwane ke liye dhanyvad. Aaj kal Mahila hinsa ek mudda nahi ek mansikta ban gai gai . Aaj kal kayo?????? hajaro salon se . Mahilao ko dara kar rakhna , unhe doyam darje par rakhna , kirnayo me unhe shamil na karna unke ke khilaph ek sajish ke tahat kiya jata raha hai. Kyonki purush agar mahila ki khamtao ko sweekar kar le to wah swayam apni kshmtao par prashn chinha khada karta najar ayaega. Isli man ke andar kanhi dar ke bhaw kw sath wah mahila ko pichhe dhakelne ki anwarat koshish karta aa raha hai . Aur aurat simatati ja ri hai hasiye par , yah jan kar bhi samne ka pura vistar uski anant shaktiyo sthan hai. MAhilayen apni shakti ko apnni kamjori banakar purushon me jhuthe dambha bharti rahi hai Yahi unke khilaph ho rahi hinsa ka mool karan hai . Jis din mahilayen apni kshmtao ko pahchan kar apna vistar khud tay karengi , u nke khilaph hone wali hinsa khatm ho jayegi.
आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है. -- बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात. -- आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं! -- आभार [उल्टा तीर] के लिए [अमित के सागर]
१.नारीवाद २.समलैंगिकता३.क़ानून (LAW)
४. आज़ादी बड़ी बहस है?(FREEDOM)
५. हिन्दी भाषा (HINDI)
६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद
७. बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ "
८. आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS)
९. एक चिट्ठी देश के नाम
१०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS)
११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE)१२....क्या जरूरी है शादी से पहले?
१३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)
आतंकवाद और हम भारत के लोग
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[प्रणाम]
समूची दुनिया में हमारे मुल्क ने आतंक की भयावह त्रासदी को जितना अधिक झेला है
, उतना शायद विश्व के किसी और देश ने इस पीड़ा को नही झेला है । आतंकवाद...
हर विषय पर बहस करना ही नहीं बल्कि उल्टा तीर का उधेश्य बेहतरी को खोज निकालना है, परिवर्तन की बयार लाना है तो बनिए इस बयार के साथी! दीजिये उल्टा तीर को सहयोग- आओ बनें एक शक्ति!
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अरे भाई किसने इस रिश्ते को सेक्स के साथ और कैसे जोड़ा ये एक शोध का विषय है"बेनिफ़िट" शब्द का व्यापक अर्थ है,इसके अनेक पहलु हैं,इस हिसाब से यह जो माह भर गाल बजाये (चर्चा चली)गये,सेक्स के नाम पर, वो व्यर्थ ही थे, इस तरह "बेनीफ़िट" तो आप प्रत्येक संबंधों से ले रहे हो,"खोदा पहाड़ निकली चुहिया" या मुझे कम समझ मे आया होगा।
जवाब देंहटाएंअगर भारतीय समाज में रिश्तों में ही सेक्स हो जाता था या होता है जैसा कि भारतीय परिवेश के सन्दर्भ में हमें नकलची न कहकर कहां गया कि सेक्स हो जाता है मानवीय कमजोरी वश तो यह कितना घिनौना नही है इसलिए लोग रिश्तों से नफरत न करते होगे इस बारे में जानकर भारतीय समाज की गलत तस्वीर ही सामने आती है इससे अच्छा तो पश्चिमी समाज ही सही है वो जो करते है खुलकर तो करते है।....
जवाब देंहटाएंललित जी की बात से मै पुरी तरह सहमत हुं विषय ही बदल गया बहस का अमित जी टिप्पणी अगर कोई करता है तो उसे लेख मे न जोडियें अन्यथा बहस अपने विषय से भटक जायेगी.....
जवाब देंहटाएंभाई ललित जी, बेनेफिट प्रत्येक रिश्ते कहाँ देते हैं, सब मतलब के होते हैं या सहज जन्म जात जैसे माता-पिता , बेनेफिट फ्रेंड का अर्थ जो बिना लाग लपेट के साथ दे, जैसे कृष्ण -द्रौपदी फ्रेंडशिप | सुनीता जी को शायद ऐसे रिश्तों के बारे में पता नहीं , ये हर समाज में सदा से होते हैं | सभी अपने कपडों के नीचे नंगे होते हैं सब जानते हैं ,तो क्या नंगे होकर घूमें कि क्या फर्ख पङता है ? अनैतिकता को छुपाने से विस्तार रुकता है , भारतीय सभ्यता उच्चता की और प्रयाण का प्रयास है , गन्दगी का विस्तार व सामाजीकरण नहीं |
जवाब देंहटाएंडा0 साहब
जवाब देंहटाएंअगर हम आपकी बात से सहमत हो भी जाये जैसा कि आपने ठीक ही लिखा मै एेसे रिश्तों के बारे में नही जानती शायद जानना भी नही चाहती क्या जैसे रिश्तों में आपने कहा सम्बंध बन जाते है मानवीय कमज़ोरी वश या प्रेम वश भी तो अगर कोई इसे शादी तक पहुँचाना चाहे तो क्या ये ठीक होगा आपकी क्या राय है.....
सुनीता जी , आपने एकदम एक सत्य तथ्य को उजागर कर दिया चाहे अनजाने में ही सही , आपका कथन कि " जानना भी नहीं चाहती ", इसी भाव को समाज में लाने व अनैतिक बातों को न फैलने देने के प्रक्रियाएं हैं भारतीय "वर्जनाएं ", कि और अधिक लोग जानने को उत्सुक न हों ,न जाने, न मानें तथा अंतिम स्तर-न प्रयोग में लायें और व्यक्ति की ,समाज व राष्ट्र की ऊर्जा गुणात्मक कार्यों में प्रयोग हो |
जवाब देंहटाएंऐसे रिश्तों में जहां तक शादी आदि की बात है , ये कभी-कभी के होते हैं , जो विवाह पूर्व ,अविवाहितों में रिश्ते होते हैं वे शादी कर सकते हैं, करते भी हैं, प्रेम-विवाह की भांति |जो विवाहेतर सम्बन्ध हें वे चुप-चाप होते हैं ,जिनमें कोइ सामाजिक मान्यता नहीं होती, दोनों शादी -शुदा होते हैं प्रायः ,अतः शादी का कोइ सवाल नहीं उठता|
Amit ji bahas shuru karwane ke liye dhanyvad.
जवाब देंहटाएंAaj kal Mahila hinsa ek mudda nahi ek mansikta ban gai gai . Aaj kal kayo?????? hajaro salon se . Mahilao ko dara kar rakhna , unhe doyam darje par rakhna , kirnayo me unhe shamil na karna unke ke khilaph ek sajish ke tahat kiya jata raha hai. Kyonki purush agar mahila ki khamtao ko sweekar kar le to wah swayam apni kshmtao par prashn chinha khada karta najar ayaega. Isli man ke andar kanhi dar ke bhaw kw sath wah mahila ko pichhe dhakelne ki anwarat koshish karta aa raha hai . Aur aurat simatati ja ri hai hasiye par , yah jan kar bhi samne ka pura vistar uski anant shaktiyo sthan hai. MAhilayen apni shakti ko apnni kamjori banakar purushon me jhuthe dambha bharti rahi hai Yahi unke khilaph ho rahi hinsa ka mool karan hai . Jis din mahilayen apni kshmtao ko pahchan kar apna vistar khud tay karengi , u nke khilaph hone wali hinsa khatm ho jayegi.