* उल्टा तीर लेखक/लेखिका अपने लेख-आलेख ['उल्टा तीर टोपिक ऑफ़ द मंथ'] पर सीधे पोस्ट के रूप में लिख प्रस्तुत करते रहें. **(चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक, ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिखें ) ***आपके विचार/लेख-आलेख/आंकड़े/कमेंट्स/ सिर्फ़ 'उल्टा तीर टोपिक ऑफ़ द मंथ' पर ही होने चाहिए. धन्यवाद.
**१ अप्रैल २०११ से एक नए विषय (उल्टा तीर शाही शादी 'शादी पर बहस')के साथ उल्टा तीर पर बहस जारी...जिसमें आपका योगदान अपेक्षित है.*[उल्टा तीर के रचनाकार पूरे महीने भर कृपया सिर्फ और सिर्फ जारी [बहस विषय] पर ही अपनी पोस्ट छापें.]*अगर आप उल्टा तीर से लेखक/लेखिका के रूप में जुड़ना चाहते हैं तो हमें मेल करें या फोन करें* ULTA TEER is one of the well-known Hindi debate blogs that raise the issues of our concerns to bring them on the horizon of truth for the betterment of ourselves and country. आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं! *आपका - अमित के सागर | ई-मेल: ultateer@gmail.com

बुधवार, 7 अक्तूबर 2009

बिन भावनाओं के सेक्स [ Friends With Benefits ] बहस- ४




भारतीय परिवेश मे "फ्रेंड्स विद  बेनिफिट्स" एक नया शब्द है. मै नहीं जानता कितने लोग खुल कर बात करेंगे पर इतना जरूर है कि ये शुरुआत तो नई है ही यह वाक्य फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स का मतलब है दो लोग जो बिना संवेदना, दायित्वबोध या जिम्मेदारी के शारीरिक आनंद के लिए सेक्स सम्बन्ध बनने को राजी हों. हम चूंकि एक बंद समाज  हैं  इसलिए इस के नैतिक पक्ष की ओर भी ध्यान देना होगा.

भारत मे तो सेक्स को केवल आनंद का मार्ग ही नहीं वरन वंश वृद्धि के दायित्व की पूर्ती का साधन माना  गया है, ऐसे मे इस तरह के मात्र आनंद प्रधान प्रस्ताव या चर्चा कहाँ तक मान्य होगी ये देखने वाली बात है. बात सिर्फ मौज मजे की होती तो कोई बात नहीं पर अपने में यह कई नए बिंदु खडा करती है विमर्श और चर्चा के. आखिर सेक्स पर ही बात आकर क्यों रुक जाती है ? क्या सेक्स करने के बाद आदमी अपने अपने रस्ते जा सकता है बिना किसी भावना के, अनुभूति या संवेदना के?


शायद यह कल्पना मे भी संभव न हो कि  आनंद, उल्लास, असफलता, ग्लानी या विजय की भावनाएं न जगती हों शारीरिक संबंधों के बाद. शायद पशुओं मे ऐसा हो सकता हो पर मनुष्य जाती में संभावनाएं कम ही बनती है इस आत्मकेंद्रित परिवेश और समाज मे भी. फिर मनुष्य सामाजिक प्राणी है, आवश्यकता पूर्ती के बाद पल्ला झाड़ कर चल भी दिया तो कुछ न कुछ पुरस्कार प्रतिदान वह देता ही है. शारीरिक सम्बन्ध कभी कभी ऐसे हो जाते है कि फ्रेंड्स विद बेनिफिट की परिधि में आने लगते हैं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता. 

आजकल इन्टरनेट की मित्रता के दौर में काफी कुछ ऐसा हो सकता है पर जितना मै जानता हूँ उसके आधार पर कह सकता हूँ कि ऐसे तात्कालिक संबंधों में भी कहीं न कहीं भावनात्मकता तो होती ही है. पहले प्रेम, संपर्क या भावः फिर शारीरिक लगाव ,शायद ऐसा ही होता होगा  / सवाल सैद्धांतिक विवेचना का नहीं, सही और गलत का है, पर अपना मत भी मन भी कम महत्त्व पूर्ण नहीं. बहस की शुरुआत हो चुकी है, आने वाले दिनों में बात बढेगी, सवाल उठाये जायेंग , पुराने सम्बन्ध नए लेबल में देखे जायेंगे!


अगर आप पास हैं अपने निजी अनुभव, या है आपका कोई मित्र या जानकर 'फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स' के रिश्ते में, तो हमें लिख भेजिए 

उल्टा तीर के लिए
[डॉ. भूपेन्द्र कुमार सिंह]

10 टिप्‍पणियां:

  1. यहाँ चित्र लगाने की सुविधा है लेकिन यह चित्र आप न भी लगाते तो आप अपनी बात बेहतर तरीके से कह ही रहे है । इसलिये कि बहस इसी पर केन्द्रित हो जायेगी और मूल मुद्दा रह जायेगा ।

    जवाब देंहटाएं
  2. भूपेंदर जी,

    आपने फ्रेंड विथ बेनेफिट में बिना भावनाओ के सेक्स का जो मुद्दा उठाया है वह बहुत महत्वपूर्ण है, मेरे कई सारे ऐसे मित्र है जो लगातार ये करते आ रहे है जो की कॉल सेण्टर में काम करते है, इसके साथ दो और चीजे है जहाँ पर इसी के सम्बंधित कुछ देखने में मिलता है , पहली पडोसियो के साथ और दूसरी परिवार में ही जिसमे भाई- बहन अपने मनोरंजन के लिये शारीरिक सम्बन्ध बनाते है. इसमें मैं ये कहना चाहता हूँ की इसमें कोई भावनाए नहीं होती, जैसा की भूपेंदर जी कह रहे थे, एक भाई की बहन के साथ क्या भावनाए होंगी? या फिर एक बहन की अपने भाई के साथ क्या भावनाए होंगी. साथ में अगर कॉल सेण्टर या फिर कही की भी बात की जाए, क्या उन सब लड़कियों के बॉय फ्रेंड या फिर उन सब लड़को के गर्ल फ्रेंड नहीं होंगे? होंगे! जरूर होंगे, लेकिन ये सिर्फ मनुष्य के अन्दर की प्यास बुझाने का एक माध्यम बन कर रह गया है..


    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. भूपेंदर जी,

    आपने फ्रेंड विथ बेनेफिट में बिना भावनाओ के सेक्स का जो मुद्दा उठाया है वह बहुत महत्वपूर्ण है, मेरे कई सारे ऐसे मित्र है जो लगातार ये करते आ रहे है जो की कॉल सेण्टर में काम करते है, इसके साथ दो और चीजे है जहाँ पर इसी के सम्बंधित कुछ देखने में मिलता है , पहली पडोसियो के साथ और दूसरी परिवार में ही जिसमे भाई- बहन अपने मनोरंजन के लिये शारीरिक सम्बन्ध बनाते है. इसमें मैं ये कहना चाहता हूँ की इसमें कोई भावनाए नहीं होती, जैसा की भूपेंदर जी कह रहे थे, एक भाई की बहन के साथ क्या भावनाए होंगी? या फिर एक बहन की अपने भाई के साथ क्या भावनाए होंगी. साथ में अगर कॉल सेण्टर या फिर कही की भी बात की जाए, क्या उन सब लड़कियों के बॉय फ्रेंड या फिर उन सब लड़को के गर्ल फ्रेंड नहीं होंगे? होंगे! जरूर होंगे, लेकिन ये सिर्फ मनुष्य के अन्दर की प्यास बुझाने का एक माध्यम बन कर रह गया है..
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. सबसे पहले शरद जी से सहमत हु और हर्षजी से थोरा असहमत....हर्षजी ने जो भाई बहिन को बात कही..उसमे अगर "चचेरे- ममेरे" शब्द लगा देते तो बात में वज़न होता......मन की इस नए प्रकार के सेक्स में भावनाएं नहीं होती.....पर " भाई-बहिन" के प्रेम की भावनाएं इस प्रकार भी नहीं बहा करती..."

    अब मूल मुद्दे पर आते है....
    मुझे पुणे शहर में आये कुछ दिन हुए थे की सामने वाले फ्लैट में रहने वाले लड़के-लड़की पर सहसा ही ध्यान गया....
    मैं मूल उदयपुर से हु, इसलिए इस शहर को समझने में थोरी देर हो गयी शायद.....
    मैं लगातार येही सोचता रहा की कोई बिना पूरी जान पहचान के इसतरह साथ कैसे रह सकते है....मैंने उस लड़के से दोस्ती बधाई...तो उसने "लिव इन रिलेशन शिप" की बात बताई....
    उसने बिना पूछे ही बता दिया की उन दोनों के बिच कैसा रिश्ता है.....लड़की पास में ही पलंद पर बैठी सब सुन रही थी...बिना किसी प्रतिक्रिया के ....

    बड़े शेहरो...खासकर उन शेहरो में ये प्रवान्जन्यें अब धीरे धीरे टूट रही है की सेक्स के लिए दोस्त होना भी ज़रूरी है.....लड़के के रूम में लड़की आती है......गाते खुलता है...बंद होता है.....१ घंटे बाद फिर खुलता है.....लड़की गयी....लड़का अपने काम में मसरूफ....
    यते नया जीवन है.......
    जहाँ तक " आनंद की बात है.....शायद इतना बुरा भी नहीं...जितना फिलहाल हम समझ रहे है.....शायद आने वाले ५ साल बाद ये बिलकुल नोर्मल होगा......
    बेहतर है....सेक्स पूरी तरह सुरक्षित रहे.....

    आपका आभार,
    आर्य मनु,
    पुणे/उदयपुर
    9923883490

    जवाब देंहटाएं
  5. अब मामला गंभीर है.......
    सब बस व्याप्त है...... अगर माटी में नही तो हवा में जरूर है......
    लोगो में एक प्रकार का आचरण देखने में आता है..... पुरातन काल से ही..... वो है आपने शासक की नक़ल करना..... जैसे जब आर्यों का शासन था और आम लोगो को संस्कृत बोलने पर पाबन्दी थी तो लोग इसका नक़ल करते थे..... जब मुगलों का शासन हुआ तो लोग उस प्रकार खुद को ढालने लगे....... लेकिन जो अभी ताजा-ताजा शासक गए है हमारे ऊपर से...... या जो बाजारवाद या व्यापारवाद या शक्ति से अभी भी किसी रूप में हम पर विराजमान है तो हम उनकी कैसे अनदेखी कर सकते है....... उन्ही का ही अनुसरण करेंगे.......
    जिसका बीज बोया गया था १८ वीं सदी के दौरान ही..... जब मैकाले जैसे आंग्लावादियों ने ईसाई धर्म के प्रचार में भारतीयों में अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार इस आशा से की.. की यहाँ एक ऐसी जनसँख्या का निमार्ण हो जो देखने में तो भारतीयों जैसी हो मगर मानसिकता अंग्रेजी हो...... आज उनका मिशन भी हमें पूर्ण दिख रहा है........
    एक बात मै कहता हूँ साहब की अगर विश्व में अंग्रेजो का शासन न होता बल्कि अफ्रीकियों का होता तो आज हम उनकी नक़ल करते मिलते.........
    ऐसी क्रीम खरीदते जो हमें गोरा नही काला करती या फिर उसी तरह अन्य उत्पाद भी....... क्योकि हम हो ही गए हैं पूर्ण नकलची......इसी पर मै थमता हूँ.........
    बस आगे तो सब खुशियों के लिए ही है......

    जवाब देंहटाएं
  6. अब मामला गंभीर है.......
    सब बस व्याप्त है...... अगर माटी में नही तो हवा में जरूर है......
    लोगो में एक प्रकार का आचरण देखने में आता है..... पुरातन काल से ही..... वो है आपने शासक की नक़ल करना..... जैसे जब आर्यों का शासन था और आम लोगो को संस्कृत बोलने पर पाबन्दी थी तो लोग इसका नक़ल करते थे..... जब मुगलों का शासन हुआ तो लोग उस प्रकार खुद को ढालने लगे....... लेकिन जो अभी ताजा-ताजा शासक गए है हमारे ऊपर से...... या जो बाजारवाद या व्यापारवाद या शक्ति से अभी भी किसी रूप में हम पर विराजमान है तो हम उनकी कैसे अनदेखी कर सकते है....... उन्ही का ही अनुसरण करेंगे.......
    जिसका बीज बोया गया था १८ वीं सदी के दौरान ही..... जब मैकाले जैसे आंग्लावादियों ने ईसाई धर्म के प्रचार में भारतीयों में अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार इस आशा से की.. की यहाँ एक ऐसी जनसँख्या का निमार्ण हो जो देखने में तो भारतीयों जैसी हो मगर मानसिकता अंग्रेजी हो...... आज उनका मिशन भी हमें पूर्ण दिख रहा है........
    एक बात मै कहता हूँ साहब की अगर विश्व में अंग्रेजो का शासन न होता बल्कि अफ्रीकियों का होता तो आज हम उनकी नक़ल करते मिलते.........
    ऐसी क्रीम खरीदते जो हमें गोरा नही काला करती या फिर उसी तरह अन्य उत्पाद भी....... क्योकि हम हो ही गए हैं पूर्ण नकलची......इसी पर मै थमता हूँ.........
    बस आगे तो सब खुशियों के लिए ही है......

    जवाब देंहटाएं
  7. काफी अच्छी और सार्थक बहस है ...

    सभी साथियों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  8. नमश्कार!
    भाई साहब, आपने फ्रेंड विथ बेनेफिट में बिना भावनाओ के सेक्स का जो मुद्दा उठाया है वह बहुत महत्वपूर्ण है, आपकी इस बहस में हम भी आपके साथ हैं,...........

    जवाब देंहटाएं
  9. शायद यह कल्पना मे भी संभव न हो कि आनंद, उल्लास, असफलता, ग्लानी या विजय की भावनाएं न जगती हों शारीरिक संबंधों के बाद. पशुओं मे भी कुछ पल के लिए ऐसे समबद्ध बन जाते है की हफ्तों, महीने, सालो साथ रहते है फिर मनुष्य तो इन मे सर्वश्रेष्ट जाति है क्या आप कल्पना कर सकते है ऐशे किसी सम्बन्ध की जब दो अनजान मिले हो और सम्बन्ध बना कर दोबारा मिले और फिर सम्बन्ध बनाये हो और फिर एक दुश्रेसे कोई अपेक्षा न जुडी हो नहीं मैंने स्वयं बहस के आरम्भ मे कहा था की आज भी भारत देश मे दो अनजान लोगो की शादी होती है और शारीरिक संबंधो से सुरुआत करते हुए एक अटूट बधन बन जाता है मे इसे मानवीय प्यार कहता हूँ जो एक दुसरे के समर्पण से उत्पन्न होता है लकिन यह शायद ही संभव हो की दो व्यक्ति लम्बे समय तक सम्बन्ध बनाये और उनमे रिश्ता न बने.

    जवाब देंहटाएं
  10. Main is mudde ka swagat karta hoon kyuki har bar aisa hi hota hai ki koi bhi unmukt vichar se judi baaton ko hamare bharat me jyada tarjeeh nahi di jati jiska ki dushparinam bhi hamein bhawishya me dekhna padta hai. Aids ki samasya iska jwalant udahran hai, baharhaal badalte samaj ke pariwesh pariwesh me hamne ek nayi uplabhdhi ki hai "friends with befit ki". Waise mai isko purntaya uplabdhi nahi kah sakta hu kyuki hum ek band samaj se talluk rakhte hain aur jaisa ki pahle bhi maine kaha ki unmukt vicharon ko log pahle apnane se darte hain. Parantu aaj samay ki maang ke hisaab se agar dekhein to yah ek jaroorat banata jaa raha hai. Log jyada padhai karne ke liye apni aadhi zindagi nikaal dete hain taaki acche se acchi naukri paa sakein to is halaat mein sex jaisi ek jaroorat ko pura karne ka yah ek behtar madhyam hai jiske falaswroop hum dekh sakte hain ki samaj mein sex sambandi aapradhik ghatnaon mein kami kami aayi hai.

    जवाब देंहटाएं

आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
--
बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
--
आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
--
आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)