शनिवार, 24 अक्तूबर 2009
वर्जनाएं टूट रही हैं 'friends with benefits' बहस-८
मित्रों "उल्टा तीर" पर कई दिनों से "फ्रेंडस विद बेनिफिट" चर्चा चल रही है. नए ज़माने की चर्चा है, मेरे लिए एकदम से नया विषय, लेकिन सोचता हूँ कि मुझे भी इस विषय पर कुछ कहना चाहिए. मेरे अपने विचार इसके पक्ष या विपक्ष में हैं, इसका आंकलन आप पाठकों को ही करना है.
इसमें तीन शब्द हैं, पहला "फ्रेंडस" जिसे हम इसके मायने दोस्त (आज कल इसका दायरा बढ़ गया है-समलिंगी-विषमलिंगी कोई भी हो सकता है) के रूप में जानते हैं, दूसरा शब्द है "विद" यानी 'साथ' में. तीसरा शब्द है "बेनिफिट" यानी लाभ. दोस्तों के बीच एक दूसरे को लाभ पहुचने की स्थिति को ये शब्द बयान करता है. इस शब्द को आपसी यौन व्यवहार के साथ कैसे जोड़ा गया मैं इस पर नहीं जाता. अपनी शारीरिक यौन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया गया एक अनुबंध है. जिसमे कोई भावना, प्रेम का आधार नहीं है. बिना प्रेम और भावना से जुड़े किया गया सेक्स वैसे है जैसे आज कल "लव डाल" के साथ, ये शहरों में चल रहा हैं, आज समाज में सारी वर्जनाएं टूट रही हैं.
स्त्रियाँ भी अपनी यौन सुख लेकर काफी संवेदनशील जागरूक हो गयी है. अब वो समय लद गया कि पति महोदय तीन चार साल से बाहर कमाने गए हैं और पत्नी घर पर रह कर मनी आडर के सहारे बच्चों की परवरिश करते हुए जीवन काट लेती थी. गांव से ही शहर बसे हैं. पहले और आज भी होता है यदि किसी का पति पत्नी दोनों में से कोई भी मृत्यु को प्राप्त होता है या पागल -गुम हो जाता है तो दोनों में से कोई भी नये साथी का वरण कर लेता है. जिसे "चूड़ी पहनना" कहते हैं. फिर इस जोड़े को सामाजिक मान्यता मिल जाती है.
क्या इस तरह के "बेनिफिट' वाले रिश्ते को सामाजिक मान्यता है? क्या इस तरह बिना शादी के चोरी-छुपे रह रहे लोग अपने परिजनों को बता सकते हैं कि हम आपस में पति -पत्नी की तरह रह रहे हैं? अगर समाज के समक्ष सम्बन्ध जाहिर हो जाते हैं तो इसे सकारात्मक रूप ले लिया जा सकता है? आखिर जो कुछ भी हो रहा है वो समाज से छुपकर ही हो रहा है. कालांतर में इसके घातक परिणाम ही निकलने की सम्भावना है. ये सिर्फ अभी जो वर्तमान में चोरी-छुपे चल रहा है इसी तरह चलता रहेगा. ये सदियों से चलता आया है. इस तरह पति-पत्नी के रूप में सामान लाभ यानी "संतान विषय में" प्राप्त करने के लिए वैदिक काल में 'नियोग" प्रथा का उल्लेख स्वामी दयानंद ने अपने ग्रन्थ "सत्यार्थ प्रकाश" में उल्लेख किया है. उन्होंने बताया है कि बिना विवाह किये भी स्त्री पुरुष यदि ब्रम्हचर्य का पालन ना कर सकें तो उन्हें नियोग करना चाहिए. ये प्रथा विवाह से अलग है. ये कार्य भी विवाह की तरह सामाजिक मान्यता से ही होता है. मेरी दृष्टि में "फ्रेंड्स विद बेनिफिट" एक तरह की जिम्मेदारी रहित यौन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गढ़ी गयी एक नयी स्वछंदता है. अगर गंभीरता से लें तो इसके परिणाम सकारात्मक नहीं हो सकते. लेकिन फिर भी ये चलता ही रहेगा. कोई काहू में मगन, कोई काहू में मगन.
फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स बहस अपने अंतिम पढाव पर है. कृपया अपनी अमूल्य राय जरूर दीजिये ताकि हमसब के लिए विषय का कोई निष्कर्ष निकल सके.
---
अगर आप पास हैं अपने निजी अनुभव, या है आपका कोई मित्र या जानकर 'फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स' के रिश्ते में, तो हमें लिख भेजिए.उल्टा तीर के लिए
[ललित शर्मा]
Posted by
ब्लॉ.ललित शर्मा
at
2:55:00 pm
Labels:
debate,
Friends With Benefits,
lalit sharma,
vaidik kal etc.
3 टिप्पणियां:
आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
--
बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
--
आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
--
आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]
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main is tarah ke rishto ko bhartiya pripeksh me jyada sahi va tikau nahi maanta. is tarah ke rishte bhartiya sabhyata ke liye nuksaandaayak hain
जवाब देंहटाएंhttp/jyotishkishore.blogspot.com
ललित जी आपने बहुत सही लिखा है सभी बातों को स्पष्ट भी किया है। पर अमित जी के लिए यह बता दूं यह बहस आैर आगे जायेगी......
जवाब देंहटाएंLALIT JI, AAPNE "NIYOG" kaa arth galat samajhaa hai, niyog ka arth hai,purush nirveeryataa kee sthiti men(jo us yuddha pradhaan kaal men pray hotee thee , injury aadi se ), patnee kisee anya purush se santaan praapt kar sakatee hai vinaa koee kaam sambandh rakhehue. paandavon ka janm Niyog se hee huaa thaa.ise aajkal chikitsaa vigyaan ke IVF, yaa semen donor takniqe se taadaamy kiyaa jaa sakataa hai .
जवाब देंहटाएं