
गुरुवार, 11 मार्च 2010
क्या जरूरी है शादी से पहले बातचीत?

शादी से पहले बातचीत जरूरी है या नही यह बहस का विषय है सच तो यह है कि समय परिवर्तन व जीवनशैली में आने वाले बदलावों का असर हमारे संबधों रीति -रिवाजों तौर तरीको पर भी पडता है । जब लडका-लडकी खुले शहरी वातावरण में पले हो तो यह सोचना असंभव सा है की है वह बिना बातचीत किए शादी कर लेगे । कुछ जगहों पर अभी भी शादी से पहले बातचीत नही की जाती पर अब वह समय नही रहा जीवन की जटिलताओ में शादी कर दो अजनबियों को विवाह बंधन में बांध जिन्दगी गुज़ारने के लिए नही छोडा जा सकता ।
नई पीढी से इस संबंध में बात करे तो वह यह नही मान सकते की बिना किसी से बात करे शादी कैसे कर ले एक बार बात कर फैसला करना वह ज्यादा ठीक समझते है कि शादी करनी है या नही बिना बात करे शादी कैसे कर ले यह गुजरे जमाने की बात हो गयी है ।यदि लडकी पढी लिखी व समझदार है तो मां-बाप भी चाहते है कि उनकी लडकी एक बार अपने होने वाले जीवन साथी से बात कर ले।
जो लोग शादी से पूर्व लडका लडकी की बातचीत शादी से पहले नही करवाते उनमें हमेशा यह अंसतोष बना रहता है काश वह एक बार विवाह पूर्व बात कर लेते इसके लिए एक उदाहरण देती हूं मेरी एक सहेली की शादी माता-पिता की मर्जी से हई लडकी पढ रही थी शादी तय करने से पहले कोई बातचीत नही हई बस शादी कर दी गयी लडका आई ए एस की तैयारी कर रहा था जो बन नही सका काई रोजगार न होने के कारण लडकी के घर में ही घरजंमाई बन गया क्योंकि शहर की लडकी उस लडके के घर जो की गांव में था नही रह पायी वह हमेशा कहती थी कि उसका पति बेरोजगार है जिसकी वजह से उसे बहुत तकलीफ होती है घर के लोग कुछ नही कह सकते थे क्योकि शादी उन्होने ही करवायी थी ।
एक अन्य उदाहरण में एक ऎसी लडकी के बारे में है जिसने शादी से पहले लडके से बात नही की इसका मलाल उसे इसलिए रहा कि वह उच्चशिक्षित है लेकिन अपने पति के रहन सहन वह आदतों से दुखी थी आखिरकार दोनो का तलाक हो गया वह भी सिर्फ इसलिए कि उस लडकी के पिता ने कहो कि अब इस आदमी के साथ नही रहना व उसे घर ले आये वह तो जैसे तैसे निर्वाह कर ही रही थी खामियाजा उसके साथ उसकी दो बेटियों को भी झेलना पड रहा है जो पिता के प्यार से वंचित अपने नाना के घर पर रह रही है.
इसमें भी उस महिला का कहना है काश वह एक बार शादी से पहले अपने भावी पति से बात की होती तो वह ऎसे आदमी से विवाह कभी न करती बातचीत से काफी हद तक पता चल जाता है किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा है तभी जीवन संग गुजारने की राय बन पाती है यही सब लडको पर भी लागू होता वह भी चाहते है कि शादी से पहले एक दुसरे से बातचीत कर ले आज के दौर में सभी यह चाहते है बिना बात किए शादी करना गुजरे जमाने की बात हो गयी है...।
[सुनीता शर्मा]
स्वतंत्र पत्रकार
11 टिप्पणियां:
आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
--
बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
--
आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
--
आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]
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जिनके व्यक्तित्व में लचीलापन हो .. उसे विवाह के पहले बात करने की अधिक आवश्यकता नहीं .. पर जिनको दूसरों से समायोजन करने में दिक्कत होती हो .. उन्हें तो विवाह से पहले अवश्य बात कर लेनी चाहिए !!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल आवश्यक है....
जवाब देंहटाएंभाई अपना-अपना ख्याल होगा इस विषय पर। अनुभव ही बता सकता हूं। हमारी तो शादी से पहले न बात हुई थी न देखना और हम २२ साल तो साथ गुज़ारे ही हैं।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट हर समाज हर वर्ग के लिये पढने लायक है।
जवाब देंहटाएंरजिया जी आपने ठीक कहा कुछ लोग जो यह मानते है कि उनकी बात नही हई पर साथ है लेकिन उनको यह सोचना चाहिए यह कितनी पुरानी बात है आज की पीढी के नजरिये व उनके विचारों को जान यह पोस्ट लिखी गयी है।
जवाब देंहटाएंजिसके साथ ज़िन्दगी बिताना है उसके साथ बातचीत अनिवार्य है ।
जवाब देंहटाएंbahut hi achchhi post.
जवाब देंहटाएंshandar udaharn.
badhai sunita ji
सुनीता जी
जवाब देंहटाएंआप आज की बात कर रही है लेकिन यदि आज कोई बच्चा अपने माँ बाप से उल्टा बोलता है तब भी उसे सही नहीं कहा जाता ऐसे ही ये सच्चाई है की आज कल के नाम पर सभी बात को स्वीकारोक्ति नहीं दी जा सकती हा संगीता जी ने जरूर सही कहा है की ऐसे दो व्यक्ति जिनका अपना अहम् महत्व पूर्ण है ऐसे लड़के लड़की को बेहिचक शादी से पूर्व बात करनी चाहिए है
बात यह महत्वपूर्ण है कि शादी से पहले बातचीत क्या जरूरी है बहुत सी बाते बडों को नागवार हो सकती है पर शादी से पहले बातचीत करने में कोई बुराई नही, बातचीत बडों की मौजुदगी में भी हो सकती है अहम का
जवाब देंहटाएंकोई मुद्दा नही होना चाहिए । जहां अहम होता है वहां रिश्तें नही पनप सकते।
100 प्रतिशत सहमत.....जहां इतना बदलाव आ रहा है तो कम से कम बड़ो के सामने या आसपास तो बात करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए..
जवाब देंहटाएंnice
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