"उल्टा तीर" ब्लॉग शुरू करते हुए मैं तरह तरह के विचारो से दो चार हो रहा था। शायद इसलिए भी इसकी भूमिकाको लिखने में मुझे एक लंबा अरसा लगा। अब जबकि आज "उल्टा तीर" की पहली पोस्ट आपके सामने आ रही है, तो मैं पहले ही स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि " उल्टा तीर" उत्तेजक विचारों का मंच है, जहाँ आप खुलकर अपनेविचारों को रख सकते है।
देश दुनिया राजनीति या अपने बारे मे या फ़िर ब्लोग्गिंग जगत के बारे में जो भी आपके विचार हैं, इस ब्लॉग मेंउनका तहे-दिल से इस्तकबाल किया जाएगा। आप अपने विचारों को (कविता, शेर-औ"शायरी, ग़ज़ल, लेख-आलेख आदि) किसी भी अंदाज़ में लिख सकते हैं. खुल कर लिखिए, खुलकर कहिये; क्योंकि ये आपका अपनामंच है। भाषा की कोई बाध्यता नही है, किसी भी भाषा में अपनी अभिव्यक्ति कीजिए. सम्प्रति, ब्लोग्गिंगजगत मे आए दिन कुकुरमुत्ते की तरह ब्लॉग आ रहे हैं, ये ब्लॉग उन पर भी अपनी पैनी नज़र रखेगा. आपसे भीयही अपेक्षा है कि आप भी सजग रहें! मुझे दुष्यंत याद आ रहे हैं... " हाथों मे अंगार लिए सोचता हूँ, कोई मुझे अंगार की तासीर बताये"।
साथ ही मैं आभारी हूँ अपने मित्रों; सुनील कुमार अलेडिया (संपादक अभी इंडिया), करमवीर पवार (सहायकसम्पादक अभी इंडिया,...), रामकृष्ण डोंगरे (अमर उजाला क्षेत्रीय डेस्क), अवनीश शुक्ला (समाज विद/शिक्षाविद) प्रभात पाण्डेय (आई बी एन ७), प्रेम परिहार (दिल्ली दूरदर्शन-वीडियो जर्नलिस्ट, कवी) व मेरे परम स्नेही मित्रभाई अमिताभ फौजदार (ब्लॉगर/स्वतंत्र लेखक/...) का, जिनका मार्गदर्शन और स्नेह मुझे हमेशा मिलता रहताहै। मैं दिल से आभारी हूँ उन सभी का जिनका जिक्र यहाँ नही कर पा रहा हूँ...लेकिन वो ये बात अच्छी तरह जानतेहैं। साथ ही आप सभी का भी आभारी हूँ...ब्लॉग पे आते रहिये...अपना सक्रिय योगदान दीजिये।
इसी आशा के साथ आपका
*अमित के. सागर
भाई बधाई और शुभकामनाये !! लगे रहो !!
जवाब देंहटाएंआइए आप भी जुट जाइए।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत शुरुआत है.......शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंचलिए अमित साहब, ब्लॉग की दुनिया मे पदार्पण तो हुआ आपका, स्वागत है यहां शुभकामनाओं के साथ
जवाब देंहटाएंSwagat, Amit ji.
जवाब देंहटाएंहाथों मे अंगार लिए सोचता हूँ, कोई मुझे अंगार की तासीर बताये"इन शब्दों की गर्मी तो जनाब गजब की है लेकिन आप के ब्लोग मैं विचार के प्रकाशन के बाद ही कुछ कहा जा सकता ही लेकिन इस उम्मीद मैं की दुनिया जहा से जुद्दा हर इन्सान नहीं होता लेकिन जो होता है वो कुछ कुछ खुदा होता है प्रयाश जारी रखे जाग्रत अवस्था मैं
जवाब देंहटाएंशुभ सन्देश
मंगल देश
जय जवान, जय किसान
AMIT JI AB HAM BHI AAPKE BLOG KA EK HISSA BAN GAYE HAIN.
जवाब देंहटाएंAap ek achha prayaas kar rahe hain, ummeed karta hun ki ye prayaas nirantar jaari rahega !
जवाब देंहटाएंDeepak Gogia.
nahi nariwad ka wichar koi purushon ki den nnahi hai ye to nariyon ke dwara hi paida kiya hua hai nariya khud hi apne aap ko purushon se aage dekhna chahti hai or ye sab uska hi karan hai par shyad nariya apna astitav bhoolti ja rahi hai ki wo kabhi sita ke roop mein bhi is dharti par aain thi or unko aaj pura samaj devi ki tarak poojta hai agar nnri chahti hai ki wo bhi unki hi tarah poojyaniya bane to usko purushon se hod band ka sita ki tarah rahna seekhna hoga
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम मित्र !
जवाब देंहटाएंक्षितिज़ से ही सूरज की तपिश का अंदाज़ा हो रहा है ।
बेहतरीन !! आछा लगा पड़ के...
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