हम अपने ब्लॉग उल्टा तीर पर जिस शादी का चर्चा करने जा रहे हैं वो किसी नेता के लाड़ले या लाड़ली की शादी नहीं है, किसी बहुत बड़े बिसनेस मेन के बेटे या बेटी की शादी नहीं, ना हीं किसी बहुत चर्चित व्यक्ति की ये शादी है. फिर इसमें ऐसा ख़ास क्या है? ख़ास है शादी के लिए इन दोनों का अहसास! और इससे जुड़े तमाम सवाल!
समाज शास्त्र कहता है कि विवाह एक संस्था है. लेकिन हम इसमें थोडा सा बदलाव करेंगे. शादी एक आन्दोलन भी है. शादी एक आन्दोलन भी हो सकता है. उल्टा तीर पर छिंदवाडा मध्य प्रदेश में ३० अप्रैल २०११ को होने वाली एक बेहद आम लेकिन कई मायनों में बहुत खास भारती और रामकृष्ण डोंगरे की शादी के बहाने पूरे महीने हम और आप शादी, इससे जुड़े सवालों, मुद्दों, दिलचस्प वाक्यों से मुखातिब होंगे.आगामी ३० अप्रैल को रामकृष्ण डोंगरे (प्रिंट जर्नलिस्ट, अमर उजाला, दिल्ली) व (फैशन डिजाइनर, भारती) की शादी में हम इस बहस के मंच से आप सभी को शादी में शिरकत करने का भी न्यौता देते हैं.
मग़र जनाब/मोहतरमा, उससे पहले आप शादी को लेकर हमसे जो भी बातें शेयर करना चाहते हैं, वो इस मंच पर जरूर-जरूर करें. तो आइये हम सब चलें डोंगरे और भारती की शादी में...शादी के मुद्दे के तीरों को चलाते हुए.
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना. ये तो आपने सुना ही होगा. लेकिन शादी में कोई ब्लॉग दीवाना ऐसा पहली बार हो रहा है. इसीलिए आपसे गुजारिश है- उल्टा तीर पर इस पूरी महीने शादी बहस का ही नहीं समझ का भी विषय है.
क्या हमारा भारतीय समाज शादी को लेकर अपनी सोच को बदल पाया है? ऐसे तमाम और सवालों की पड़ताल इस मंच के जरिये शादी जैसे नाज़ुक मसले पर.तो शादी वही, सोच नई!
इस नारे के साथ यहाँ पर हम और आप चर्चा करें, बहस करें शादी पे. शादी से जुड़े हर मसले पर. लिख भेजिए अपने अनुभव, अपने विचार, अपनी बातें!
बदलते हुए हिन्दुस्तान में अब शादी की जिरहें खुलनी ही चाहिए! यकीनन इन जिरहों में छुपी हैं तमाम अनकहीं, अनसुनी, अनदेखी सी, कुछ बुरी सी, कुछ खट्टी-मीठी तो कुछ अच्छी सी गांठें....पर सब खुलेंगीं उल्टा तीर पर इस बार...हम और आप बतियाएंगे...शादी का हर राज!
दोस्तो, बहस शुरू हो चुकी है...
अप्रैल फूल बनाने का तरीका तो नहीं....
जवाब देंहटाएंऔर अगर वाकई बहस होगी तो हम जरूर मजा लेंगे....
वीना जी,
जवाब देंहटाएंशादी वाला यह मसला सच में 'बहस' ही है, अप्रैल फूल नहीं. ये बात और कि यह अप्रैल फूल यानी १ अप्रैल को शुरू हुई है.
आप अभी इसमें अपने विचारों से शामिल होंगी, उम्मीद है. चूँकि तभी कुछ सार्थक निकल सकेगा.
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Bahas me zaroor shamil hona chahungee! Is vishay pe to itna kachh kaha-likha jaa sakta hai,ki,samajh me nahee aata shuruaat kaise hogee!!
जवाब देंहटाएंसच में इस विषय पर कहने के लिए बहुत कुछ हो सकता है. शुरुआत करने के लिए बस ' कहीं से भी' लिखना शुरू कीजिए एक बार...
जवाब देंहटाएंsonchta hun is baare mein... man mein to bahut kuch aa raha hai... shabdon mein dhaalna v jaroori hai...
जवाब देंहटाएंजी, अवि जी,
जवाब देंहटाएंविषय बहस पर आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा!