
उल्टा तीर पर इस महीने बहस का विषय है सम्प्रति "क्या आज़ादी अपने आप में एक बड़ी बहस है? " । कानून पर बहस का निष्कर्ष पढने के लिए "उल्टा तीर निष्कर्ष" पर पढ़ना न भूले । आज़ादी के महान अवसर पर आप सभी को उल्टा तीर की ओर से ढेर सारी शुभकामनायें। विचारों और बहस के उत्तेजक मंच पर आप सभी का स्वागत है । नई बहस में खुल कर भाग लीजिये । अपनी आवाज़ मुखर कीजिए...क्योंकि बहस शुरू हो चुकी है मेरे दोस्त...
achchi post...
जवाब देंहटाएंयह सच है की बहस किसी भी मुद्दे पर नही हो सकती लकिन आपका मुद्दा ख़ुद ही इस बात को साबित करता है की हम आजाद है इसको इस सवाल से अच्छा जवाब नही हो सकता की गुलामी (अंग्रेजी ) के वक्त भी हम गरीब समाज को देख कर उसके लिए नमक पर कर को काला कानून कह कर विरोध किया और आज वही नमक आज़ादी के बाद कर चुकाने के बाद ही मिल सकता है ?
जवाब देंहटाएंक्या यही है आज़ादी और यही है तो इससे अच्छी तो गुलामी ही थी ये बात भी सच हो सकती है की हमने वो गुलामी नही देखि इसलिए हम उसको अच्छा कहते हो लकिन मेरे गाँव के बुजर्ग ने भी कोई ऐसा कोई भी वाकया हमे नही बताया की अंग्रेज ने उन पर ये अत्याचार किया
क्या जनरल डायर ने जो जलियावाला बाग़ मे किया वो हम आज़ादी के बाद कितनी बार अपनी पुलिश और सरकार के द्वारा करते हुए देख चुके है भारत मे हुए सभी दंगे इस बात को साबित करते है और पुरे भारत मे बढता आतंकवाद जिसे अलग अलग नाम सरकार देती है जैसे कही माओवादी ,कही पाक समर्थित ,अल्पसख्यक और जातिवाद सबसे बड़कर बहुसंख्यक वर्ग हिंदू को तो अत्याचारी कोम साबित कर रही है पंजाब का आतंकवाद भी इसकी जीती जाती मिसाल है आज भी उस दौर के पुलिश अधिकारी और भोगी इस आज़ादी की चुगली करते है भाई मेरे विचारो को पड़कर कही आप को आज़ादी पर ही शक न हो इस लिए मे चुप करता हूँ लकिन सवाल वही रहेंगे
मेरी पुकार मुझे आजादी चाहिए
जवाब देंहटाएंमेरा अधिकार मुझे आजादी चाहिए
समाज के अंधे नजरिये से उनकी गलत मति से आज़ादी चाहिए
१४ साल की शादी को १५ साल की माँ को आजादी चाहिए
दहेज़ देकर बिकती नारी को आग मैं जलती साडी को आज़ादी चाहिए
बेटी को बाप से बलात्कार के श्राप से आज़ादी चाहिए
ऐसे रिश्तो की छाप से आँखों मैं उठती भाप से आजादी चाहिए
कानून के अंधे न्याय से गवाहों के झूठे बयां से आजादी चाहिए
वकीलों की झूठी दलीलों से झूठ के बड़ते शूलो से आज़ादी चाहिए
रिश्तों की झूठी बनावट से मतलब निकलने की चाहत से आज़ादी चाहिए
कुर्सी पर बैठे अधिकारों से अनसुनी पुकारो से आजादी चाहिए
शतरंज खेलती सत्ता से रोज के बड़ते भत्ता से आजादी चाहिए
बेटे की फटकार से अटूट रिश्तो की ट्क्रार से आज़ादी चाहिए
इस सिसकती लाचारी से बेघर होने की बीमारी से आजादी चाहिए
भूखी पड़ी कामयाबी से बेरोजगारों की अकाली से आजादी चाहिए
र्रिश्वत्खोरो की फर्मानी से नेताओं की मनमानी से आज़ादी चाहिए
हिन्दुस्तान,भारत=इंडिया ........ये क्या है इसका क्या अर्थ है क्यूँ भारत को इंडिया बनाया गया क्यूँ अंग्रेजी शब्द का प्रयोग किया गया क्यूँ आज हम भारतीय नहीं इंडियन कहेलाये जाते
जवाब देंहटाएंहैं हर किसी कि जुबान पर भारत या हिन्दुस्तान नहीं इंडिया होता है क्या कोई जानता है इंडिया का क्या मतलब है बिना मतलब का नाम जिसका कोई अर्थ नहीं तब भी इसे इसी नाम से पुकारा जाता है क्यूँ क्यूँ क्यूँ???????? बता सकते हैं आप/......अक्षय-मन
बहस के आलावा भी कोई कम हो सकता है तो हम आपके साथ है आज़ादी अनेक लोगो के बलिदान का फल है जो हमे केवल किस्मत के भरोशे से मिला है हमने इसके लिए अभी तक तो सायद ही कुछ किया हो
जवाब देंहटाएंआजादी का अर्थ सही क्या है, उनको बतलाना है भाई साब जो आज़ादी पर सवाल खड़े करते है
hi sir...apki ek achhi post ke liye .....
जवाब देंहटाएंnatmastak....
but sir ek chhoti si baat....
sirf english ya hindi ka use karne se...kuch nahi badal jata ....
kisi ne likha hai ..bharat ko bharat ya hindushatan kyun nahi kahte india kyun kahte hai ....
so
agar hindustan kahne lagenge to kya artha badal jayega ...ya bhav badal jayenge .....
name kuch bhi lo....name lene wale ke man mein us name ka kya samman hai ...sabkuch uspar depend karta hai.....
kuch gala ho to maaf kariyega ..main bahut chhota hun abhi
"उल्टा तीर" पर आप सभी के अमूल्य विचारों से हमें और भी बल मिला. हम दिल से आभारी हैं. आशा है अपनी सहभागिता कायम रखेंगे...व् हमें और बेहतर करने के लिए अपने अमूल्य सुझाव, कमेंट्स लिखते रहेंगे.
जवाब देंहटाएंसाथ ही आप "हिन्दी दिवस पर आगामी पत्रका "दिनकर" में सादर आमंत्रित हैं, अपने लेख आलेख, कवितायें, कहानियाँ, दिनकर जी से जुड़ी स्मृतियाँ आदि हमें कृपया मेल द्वारा १० सितम्बर -०८ तक भेजें । उल्टा तीर पत्रिका के विशेषांक "दिनकर" में आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
साथ ही उल्टा तीर पर भाग लीजिये बहस में क्योंकि बहस अभी जारी है। धन्यवाद.
अमित के. सागर
आजादी बड़ी बहस के घेरे में इसलिए आ जाती है क्यूंकि अभी भी हमारे देश का कोना कोना आजादी की ज्योति से जगमगा नही पाया है . गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लाखों लोगों के लिए आजादी एक मजाक है . जब तक विषमता की खाई पाटी नही जा सकेगी तब तक आजादी बहस का मुद्दा रहेगी .
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