"उल्टा तीर" की हमेशा यही कोशिश रही है कि इस मंच पर हम सभी मिलकर उन मुद्दों पर खुल कर बहस करें, जो लंबे अर्से से हमें और हमारे समाज को उद्वेलित करते रहे है। हमारी कोशिश अब धीरे धीरे ही सही रंग ला रही है। फिर मुझे ये कहने में कोई झिझक नही कि समाज आज भी ऐसे किसी भी मुद्दे पर बोलने में संकोच करता है। जो कि उसे सबसे ज्यादा परेशान करता है। अब कानून की बहस को उदाहरण के रूप में ले लीजिये, कानून से हम सबका सीधा और प्रत्यक्ष वास्ता है। बावजूद इसके इस मुद्दे पर समाज में बोलने वालों का लगता है टोटा पड़ गया है । उल्टा तीर पर कोई भी बहस आप सबके के लिए ही है। इसमें आपकी जितनी ज़्यादा भागीदारी होगी उतना ही हम सार्थकता की और बढ़ पाएंगे।
कानून की नुमायन्दगी करने वाले भी मानते है कि ज्यादातर कानून बदलते वक्त में अपनी प्रासंगिकता खो रखे हैं। ये बहस वक्त की नज़ाक़त भी है। इसलिए ये बेहद ज़रूरी है कि समाज के हलक से अब आवाज़ निकले।उन कानूनों पर खुल के चर्चा हो जिन्हें अब बदल देना ही चाहिए। उल्टा तीर का विस्तार हो रहा है। भावी कल के लिए एक सुखद संकेत है। साथ ही मैं आप सभी को इस पोस्ट के माध्यम से आमंत्रण भी दे रहा हूँ।
अगस्त के महीने में उल्टा तीर पूरे महीने आजादी का जश्न मनायेगा। आप सभी से अनुरोध है कि इस जश्ने-आज़ादी-२००८ में अपने लेख, विचार, कविताये, विश्लेषण आदि अपनी तस्वीर के साथ २५ जुलाई २००८ तक भेज कर आज़ादी के जश्न में खुल कर शिरकत करें।
"उल्टा तीर" आपका अपना मंच है।
इसमे खुल कर भाग लीजिये। और क़ानून पर अभी बहस जारी है मेरे दोस्त !!
सादर;
अमित के. सागर
amit ji aapka mail mila. jankar khushi hui ki aap samaj ke ek jagrook person hain. iske sath hi samaj ke prtyek pahluon k liye hamari jemmedari badhati ja rahi hai. mai aapke vicharo ka poorn roop se samrthan karta hoon. sath ji aapke ujjval bhavishya ki kamna karte hue aapke blog per apne vicharon se avgat karata rahoonga.
जवाब देंहटाएंdhanyvad.
Thanks Amit for informing me about your blog.
जवाब देंहटाएंI will be very delighted to read and place comments on your article. So, please do keep on writing such wonderful blogs, am surely participate.
gud going amit bhai
जवाब देंहटाएंreally gud I m giving u a new subject which is accourding to time in next month,
tht is about education.
sagarji,
जवाब देंहटाएंi have sent my article at your mail.just check it.aapko khat nahi bhej pa rahi hu.sorry.
Dear amit, meri gazlon ko padne aur un ko sarahne ke liye behad shukriya. aapke vichaar padhe, acche lage. nayi pidhee mein adab ke prati itna josh-o-khulus dekh ker acha lagta hai.isee tarah apne hoslon ko banaye rakho aur behtar likhte raho.
जवाब देंहटाएं"ALLAH kare zore kalam aur ziyaadah"
ummeed hai mere blog par mere taza qlaam padhte rahoge aur apne khayaal zaahir karte rahoge.
subhkaamnayen.
बह्स आम जनता को जगाने के लिए फिर परहेज क्यूँ क्या तुम खुद सोये हो ये अहेम मुद्दा आता है बिना बह्स के कोई बात नहीं खुलती ,ऐसा क्यूँ है बह्स क्यूँ नहीं सब मौन क्यूँ हैं क्यूँ हैं सोये क्यूँ बने हैं कठपुतली उनके हाथो कि जो खुद हमारे दम से हैं फिर डर कैसा क्यूँ बोलने से कुछ घबराते हो मेरे दोस्तों जितना भी गुबार हो दिल मे दबा सब बाहर निकाल दो तभी कुछ होगा जिसकी सभी उम्मीद करते लेकिन पूर्ण विश्वास नहीं विश्वास बिना समर्पण के नहीं आएगा कुछ बोलोगे तभी कुछ जानोगे वरना सब बेकार.......
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