tag:blogger.com,1999:blog-7695654499245448037.post6260556821608442895..comments2024-01-23T17:57:45.300+05:30Comments on उल्टा तीर: सवाल हिन्दी भाषियों की अग्रेजी सोच का!उल्टा तीर [अमित के सागर - अकेसा]http://www.blogger.com/profile/02851512989313528812noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7695654499245448037.post-48945909876320535152008-09-10T14:28:00.000+05:302008-09-10T14:28:00.000+05:30जिस देश के निवासियों में आत्मसम्मान व स्वाभिमान की...जिस देश के निवासियों में आत्मसम्मान व स्वाभिमान की भावना हो ही न, वहां इन सब की कोई गुंजाइश ही नहीं है, हिन्दी विरोधी अपने तर्क खोज लेंगे अंग्रेजी और अंग्रेजियत के पक्ष में, सीखना है तो जापानियों से सीखिये.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7695654499245448037.post-73118863131606187402008-09-06T21:27:00.000+05:302008-09-06T21:27:00.000+05:30यदि समाज को कोइ भाषा समाज को जोड़ती है तब तो ठीक ह...यदि समाज को कोइ भाषा समाज को जोड़ती है तब तो ठीक है लकिन यदि वह शोषण का कर्ण बनती हो तो उस भाषा का न होना ही व्यक्ति और समाज दोनों के हित मे होता है इसी प्रकार अंग्रेजी भाषा है वह केवल उन लोगो के दोवारा अधिकांस ताकतवर तबका जो अंग्रेज सरकार के वफादार थे और अंग्रेजो के लिए हिन्दी भाषी लोगो की मुखबरी करते थे ऐसे लोगो ने ही आज की अंगेरजी की नीव रखी है आज भी जब अंगेरजी की वकालत की जाती है ऐसे ही उदाहरण दिए जाते है की अंगेरजी देश को देखो वो अंग्रेजी के बल पर कहा पहुच गए है और नाना प्रकार अंग्रेजी की तरफदारी करते है लकिन यदि हम हिन्दी या मात्र भाषा मे भी समाज को ज्ञान दे सके तो चीन जापान फ्रांश जर्मन और भी अनगिनत देशो की तरह तरीके कर सकते है <BR/>आपके सावल के जवाब जरूर मिलने की आशा मेUnknownhttps://www.blogger.com/profile/01221471874013839224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7695654499245448037.post-17715335001881372172008-09-04T21:49:00.000+05:302008-09-04T21:49:00.000+05:30आपने स्वयम आज़ादी वाले सवाल मे पुछा था और मैंने बहु...आपने स्वयम आज़ादी वाले सवाल मे पुछा था और मैंने बहुत से सवाल किए थे और उनका एक सवाल ये भी है की जब हम आज तक आजाद ही नही है तो अपनी जबान मे कैसे बात कह कर तररकी हो सकती है लेकिन आज भी आम भारतीय जिस भाषा मे अपनी भावना पर्दिशित करते है वो हिन्दी ही है और ये किसी भी अन्य किसी के दया के पात्र नही है बल्कि हम सब का जीवन हैkarmowalahttps://www.blogger.com/profile/13293541237818023254noreply@blogger.com