tag:blogger.com,1999:blog-7695654499245448037.post4851741123806325956..comments2024-01-23T17:57:45.300+05:30Comments on उल्टा तीर: लौटी फिर से "फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स" [FWB ] बहस- १२उल्टा तीर [अमित के सागर - अकेसा]http://www.blogger.com/profile/02851512989313528812noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7695654499245448037.post-69249068228310699652011-01-05T14:06:36.517+05:302011-01-05T14:06:36.517+05:30bahut acha lekh hai..
aise hi likhte rahiyega..
Pl...bahut acha lekh hai..<br />aise hi likhte rahiyega..<br />Please visit my blog..<br /><br /><a href="http://lyrics-mantra.blogspot.com/" rel="nofollow">Lyrics Mantra</a><br /><a href="http://ghostmatter.blogspot.com/" rel="nofollow">Ghost Matter</a><br /><a href="http://music-bol.blogspot.com/" rel="nofollow">Music Bol</a>ManPreet Kaurhttps://www.blogger.com/profile/17999706127484396682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7695654499245448037.post-72287536077641679272010-10-23T19:25:04.256+05:302010-10-23T19:25:04.256+05:30bahut hee sargabhit aalekh..bahut bahut badhai...bahut hee sargabhit aalekh..bahut bahut badhai...VIJAY KUMAR VERMAhttps://www.blogger.com/profile/06898153601484427791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7695654499245448037.post-91153516216872207662010-10-13T04:46:20.389+05:302010-10-13T04:46:20.389+05:30किसी भी प्रकार से मै किसी की भावनाओं को आहात नहीं ...किसी भी प्रकार से मै किसी की भावनाओं को आहात नहीं करना चाहता ,अगर ऐसा होता है तो क्षमा प्रार्थी हूँ !<br /><br />इस विषय के पिछले लेखों पर दृष्टि डाली , पूर्ण रूप से नहीं समझ पा रहा हूँ के "मुद्दा " क्या है. अगर आज युवा वर्ग प्रेम परिभाषाओं को नहीं समझ पा रहा है तो आश्चर्य क्यूँ? कहीं किसी पृष्ठ पर दृष्टि गयी थी .. लिखा था "प्रेम आत्मा की अभिव्यक्ति है , इसे अंगीकार करने के ले दो बरसात विरह आवश्यक है " अब मुझे कोई ये बताये के आज के दौर में किसी के पास "दो बरसात" रुकने का समय है ?<br />युवाओं का क्या दोष है ?वो इतनी भागमभाग में पैदा हुए है , उन्हें सिर्फ दौडना आता है , और इसमें तो कोई दोहराय नहीं की आज देश अगर उन्नति कर रहा है तो इन्ही की "बदौलत " है . शारीरिक संबद्ध आज ही नहीं पहले भी बिना प्रेम के बनाये जाते थे भले ही उनका मापदंड अलग रहा हो. आज बस "फर्क" केवल यही है के कोई हिचकिचाहट नहीं है . मै ये बात स्पष्ट कर दूँ के आज ३५ बरस के ऊपर के पुरुष या औरतों को ये बात नहीं हजम हो सकती के कैसे युवक युवतियां खुलें बाँहों में बाहें दल कर घूम सकते है ,शायद इसलिए की ये आजादी उनके समय में नहीं थी ,होती तो वो भी ऐसी ही किसी चर्चा का शिकार होते . "friends with benefits" कहा जा रहा है के भारतीय सभ्यता पर पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव है , लेकिन अगर गौर करें तो पाएंगे की ये हमारी है धरोहर है , ऐसा पहले भी था , जग जाहिर है लेकिन फिर कहना चाहूँगा के तरीका अलग था . ये जरूरी नहीं के पहले जो होता था वो अच्चा था और जो अब हो रहा है वो गलत है .रजत घिल्डियालhttp://www.unmuktvichar.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7695654499245448037.post-44020066145516850672010-09-25T20:41:29.700+05:302010-09-25T20:41:29.700+05:30bahut hi achhe vichaar hain...
humse baantne ke li...bahut hi achhe vichaar hain...<br />humse baantne ke liye dhanyawaad,....<br />मेरे ब्लॉग पर इस बार धर्मवीर भारती की एक रचना...<br />जरूर आएँ.....Anonymousnoreply@blogger.com