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मंगलवार, 19 जनवरी 2010

औरत है तू...!!!



औरत है तू, तूझे तो दु:ख देखने ही हैं, हमारे समाज में यह धारणा कितनी गलत है कि एक महिला को बस परेशानियां ही मिलती हैं. विवाह उपरान्त दहेज के लोभी उसे जला डालते है तो वह यदि वह अपना करियर बनाना चाहें तो वहां भी उसे उत्पीडन का शिकार होना पडता है, सबसे बडा उदाहरण रूचिका का मामला है जिसे सभी जानते है।

पढी-लिखी महिला तो इसका मतलब यह नही कि बस उसकी तकलीफे कम हो गयी, वह घर से बाहर काम भी करे घर में भी करे और दोनो मे सन्तुलन बनाने के चक्कर मे चक्करघिन्नी बन गयी है । दहेज के लालची उसे कही जला डालते है तो कही मासूम लडकियां हवस का शिकार बन जाती हैं। आखिर क्यों कब तक अपनी तकलीफों से आजिज़ आ कर एक पढी लिखी महिला ने कहा अच्छा करते हैं लोग अपनी बेटियों का कोख मे ही मरवा देते हैं. ऎसी मानसिकता वह भी उच्चशिक्षित महिलाओ में फिर अनपढ तो कही ज्यादा जागरूक होती है, अपने अधिकारों के प्रति।

दहेज के लोभी अपनी वधुओ को इसलिए जला देते हैं ताकि उन्हे उससे छुटकारा मिल जाये और वह दुबारा विवाह कर किसी और से दहेज रूपी धन की उगाही कर सके, ऎसा होता है अपने रोब व धन बल पर यह लोग सजा से भी बच जाते हैं और फिर अन्यत्र विवाह कर दहेज प्राप्त कर लेते हैं.  कुछ लोग तो धन दौलत देख कर विवाह करते है ताकि आजीवन उन्हे लडकी के मायके से भी लाभ मिलता रहे.  कितने तो ऎसे होते है जो दहेज रूप मे मिली सुख सुविधा के दम पर जीवन यापन करते हैं, उनके विवाह का मकसद आसानी से प्राप्त होने वाली सुख सुविधा व धन प्रप्ति ही तो था जो लडकी वाले अपने लडकी को धन से सुखी नही कर पाते उनकी लडकियों को ससुराल में ताने व दुख ही मिलते हैं यदि ससुराल वालो ने पैसों के मकसद से विवाह किया ओर जब उनकी मांगे पूरी नही हो पाती तो उस महिला का जीना मुशकिल हो जाता है दहेज के लालची तरह-तरह के बहानो से ज्यादा से ज्यादा लडकी के मायके वालो  से लाभ उठाना चाहते है क्यों शादी करके उन्होने अहसान जो किया है.

कभी रस्मो का बहाना बनाया जाता है कभी त्यौहारों का कभी किसी अवसर का बहाना तो कभी अन्य मकसद एक ही किसी भी तरह वधु के मायके से कुछ न कुछ मिल जाये आखिर बिना किसी मेहनत के जब इतना कुछ मिलता हो तो कोन न लेना चाहेगे। जब किसी की उम्मीदे पूरी नही हो पाती तो वह वधु उनके किस काम की जो धन उगाही का साधन न बन पायी वह उनके खीज उतारने का तानों का पर्याय तो बन ही सकती है उसे जला कर इन बातो से छुटकारा दे दिया जाता है तकि किसी और से वह धन का अपना मकसद तो पूरा कर सके कभी परेशान हो काई ब्हाता खुद की इहलीला समाप्त कर इस अत्याचार से मुक्ति पा लेती है।

समाज की इन्ही विसंगतियों से परेशान बेटी को कोख में मरवा देता है हमारा यह सभ्य समाज एक लडकी के माता-पिता बन तकलीफें सहन करने से अच्छा  समझता है  कोख में ही मार दो उसे जन्म ले का भी अधिकार नही जो ऎसा करते कभी उनके दिल में झांक कर देखो वह ऎसा कयों करते है? 

लडकी के माता-पिता चाहते हे उनकी लडकी विवाह उपरान्त सुखी रहे इसके लिए वह पर्याप्त कोशिशे भी करते है पर क्या वह ससुराल में दहेज लोभियों से बच पाती है मै यह नही कहती सभी ऎसे होते हैं.  यह सिर्फ उन लोगो के लिए हे जो विवाह को लेन देन का जरियां मानते है वह दहेज की चाहत रखते है।  

इन्ही कारणों कितनी की लडकियां ऎसी भी हे जो विवाह की इच्छुक नही होती यदि किसी महिला पर अत्याचार होता है तो चाहे वह किसी भी बात को लेकर हो तब समाज का क्या रोल होता है वह केवल मूकदर्शक ही होता है यदि काई किसी का प्रताडित करता भी है तो उसे तमाशा बन न देखे रोकने की कोशिश करे युवावर्ग मे बहुत शक्ति होती हे यदि वह थोडा सा भी इस ओर ध्यान दे तो बहुत हद तक रोक लग सकती है पर ऎसा होता बहुत कम है आज के युवा का अपने स्टाइल,फैशन,इन्टरटेनमेन्ट,गर्लफेंन्डस ,बायफ्रेंडस व डेटिगों से फुर्सत ही कहां जो वह इस ओर ध्यान दे वह काई समाज सुधारक थोडे ही है फिर किसी के मामले में पडकर उनका नुकसान ही होगा किसी के मैटर में हम क्यों पडें यही भावनायें है जो युवा शक्ति को किसी बहन, बेटी, बहु,बुजुर्ग पर होते अत्याचार को देखते ही रहने पर मजबूर कर देता है   काश सब यह सोचे कि यह सब किसी के साथ भी हो सकता उनके अपने अजीजों  के साथ भी।   कुछ जो महिलाये दूसरी महिला के साथ ईष्या वश पुरूष को दुसरी महिला को प्रताडित करने का भाव रखती है उसे भी यह सोचना चाहिए ऎसा  उसके अपने के साथ भी हो सकता है।व्यवहार व माहौल भी इन बातो को हवा देता है। इसी तरह महिलायें शोषण का दहेज का घरेलू हिसां का यौन शोषण का शिकार होती है ,होती रही है, होती रहेगी जब तक हम देखते रहेगे केवल तमाशाबीन  बनकर। 
सुनीता शर्मा 
स्वतंत्र पत्रकार 

मंगलवार, 12 जनवरी 2010

ये आग कब बुझेगी...?







       


घटना - एक - टेस्ट ट्यूब बेबी को गर्भ में मारने की कोशिश, डाक्टर पिता गिरफ्तार 
कानपुर,( मेआसु  ). लाला लाजपत राय अस्पताल में कार्यरत डाक्टर नीना मोहन रायजादा ने छह दिसम्बर को महिला थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि पति डाक्टर मनीष मोहन, सास, ससुर मदन मोहन सक्सेना और ननद डाक्टर ज्योत्सना मोहन व रश्मि सक्सेना ( दोनों बहनें शादी शुदा हैं और बच्चों के साथ मायके में ही रह रही हैं ) ने उसे बुरी तरह से पीटकर भ्रूण को नष्ट करने का प्रयास किया. भादंवि की धारा ४९८ ए, ३२३ और ३१६/५११ के तहत रिपोर्ट लिखी गई. इस रिपोर्ट में पीड़िता ने कहा कि उनके गर्भ में करीब सात हफ़्ते का भ्रूण है जो टेस्ट ट्यूब बेबी है. इस बेबी के लिए उन्होंने छह लाख रुपए खर्च किए हैं जिसमें पति ने एक रुपए नहीं दिए. दहेज़ की मांग पूरी नहीं होने पर सास ससुर, पति व ननदों ने बीते नौ नवम्बर और फिर पंद्रह नवम्बर को उसे बुरी तरह पीटा जिससे रक्तस्राव होने लगा और भ्रूण नष्ट होते-होते बचा. इससे पहले भी ससुरालवालों ने उन्हें पीटकर तीन माह के गर्भस्थ शिशु की जान ले ली थी. दो साल पहले उन्होंने तलाक का मुकदमा भी दाखिल किया था जो अदालत ने खारिज कर दिया था. उनकी शादी चार साल पहले हुई थी. उसी के बाद ससुरालवालों के जुल्म और बढ़ गए थे. महिला थानाध्यक्ष की आगुवाई वाली टीम ने सोमवार(११-०१-१०) को डा. मनीष मोहन को घर से गिरफ़्तार कर लिया. ताजा घटनाक्रम के बाद आरोपी ससुरालीजन भूमिगत   भूमिगत हो गए. पुलिस ने मुख्य आरोपी को कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें चौदह दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया.

घटना-दो- दहेज़ लोभियों ने वधू को जलाया, हालत गंभीर




कानपुर, ( मेआसु ). बच्चा न होने तथा दहेज़ की मांग पूरी न होने पर चकेरी क्षेत्र में एक महिला को उसके ससुरालवालों ने जला दिया और फरार हो गए. मकर संक्रांति पर खिचड़ी देने पहुंचे भाई को मामले की जानकारी हुई. महिला को शहर के उर्सला अस्पताल में भारती कराया गया है. हालात गंभीर बनी हुई.

छोटी गुटैया स्वरुप नगर निवासी चंदू प्रसाद यादव ने अपनी पुत्री उमा ( ३२ वर्ष ) की शादी चार साल पहले श्याम नगर नटियन चकेरी निवासी कार चालक राजेन्द्र यादव के साथ की थी.सोमवार ( ११-०१-१० ) सुबह उमा का छोटा भाई सुनील मकर संक्रांति पर खिचड़ी देने बहन की ससुराल पहुंचा. सुनील ने जब मुख्य द्वार खटखटाया तो वह अपनेआप  खुल गया. अन्दर पहुंचने पर सुनील को जब कोई दिखाई नहीं दिया तो वह छत पर बने कमरे में गया. कमरे में कदम रखते ही सुनील की चीख निकल पड़ी. बहन उमा जली अवस्था में अचेत पड़ी थी. सुनील ने शोर मचाकर पड़ोसियों को एकत्र  किया और उनकी मदद से बहन उमा को उर्सला अस्पताल में भारती कराया. उमा के परिजनों ने ससुरालवालों के खिलाफ़ चकेरी थाने में तहरीर दी है. सुनील ने आरोप लगाया कि शादी के बाद से ही उमा के ससुरालवाले दहेज़ में तीस हज़ार रुपए और मांग कर रहे थे. मांग पूरी न होने पर उमा का उत्पीड़न करने लगे. शादी के दो साल बीत जाने पर ससुरालवाले उसे बच्चा न होने का ताना भी देने लगे और मारपीट करने लगे. पति राजेन्द्र दूसरी शादी की धमकी भी देने लगा. सुनील का आरोप है कि दहेज़ और बच्चे के लिए उसकी बहन उमा को ससुरालवालों ने मिट्टी का तेल डालकर जाला दिया.
                                  (स्रोत: राष्ट्रीय सहारा,१२-०१-१० )
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आज राष्ट्रीय युवा दिवस है. स्वामी विवेकानंद जी का जन्म दिन है. भारत सरकार ने आज के दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने कि घोषणा की है. उपरोक्त दोनों घटनाओं के मुख आरोपी युवा जगत से ताल्लुक रखते हैं. बढ़ते भौतिकवाद, बाजारवाद और वैश्वीकरण के सबसे ज्यादा शिकार युवा जगत ही है. जिस मुल्क की सत्तर प्रतिशत से ज्यादा आबादी युवा है, उस मुल्क की बहन, बेटियां सुरक्षित नहीं है. यह एक विचारणीय मुद्दा है. सिर्फ सांस्कृतिक आयोजनों से राष्ट्रीय युवा दिवस की सार्थकता सिद्ध नहीं होगी.

कहीं किसी की बेटी जला दी जाती है, कहीं किसी की बहन के साथ बलात्कार होता है. राह चलते लड़कियों पर अभद्र शब्द-बाण चलाए जाते है. इन सब बुरी हरकतों में भारत के उसी सत्तर फीसदी युवा पीढ़ी के नुमाइंदे लिप्त होते हैं. फिर कैसे मनाएं हम राष्ट्रीय युवा दिवस ? काहे का राष्ट्रीय युवा दिवस ? यह तो सरासर स्वामी विवेकानंद के उसूलों के साथ बलात्कार होगा. उनकी छवि धुल धूसरित होगी.

उपरोक्त दोनों घटनाओं को प्रस्तुत करने का मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि ऐसी घटित होने वाली घटनाओं में प्रमुख भूमिका युवाओं की ही होती है. युवाओं को अपनी भूमिका का नए सिरे से मूल्यांकन करना होगा. ये आग वो आग है जो मुद्दतों से हमारे परिवार और समाज को जलाती आ रही है. ये आग कब बुझेगी....?? इस सवाल का जवाब हम राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर ढूंढ सके तो उचित होगा. सही मायनों में तभी विवेकानंद जयंती अपने राष्ट्रीय युवा दिवस की सार्थकता को सिद्ध कर पाएगी. हम सत्तर फीसदी से अधिक भारतीय युवा आज मिलकर ये शपथ लें कि भविष्य में किसी की बहन, बेटी और माँ दहेज़ और बच्चे के लिए आग में न जलने पाए.

अंत में भारत के नौजवानों का आह्वान करती मेरी ये ग़ज़ल>

नौजवां हो तो ज़ख्मे-वतन की दवा बनो
ढलती शबे-चश्म के लिए सहर बनो.
बेज़ा उठती वहशी तमन्नाओं और
वहशी आवाज़ों के लिए कहर बनो.
गरम है तुम्हारी रगों का खून जो
लंगड़ों की लाठी, अंधों के लिए नज़र बनो.
गरजते बादल, बरसते बादल से बचने को
नादान परिंदों के लिए शज़र  बनो.
अधूरे रिश्ते के राहों को मंजिल मिले 
उस रास्ते के रिश्तों के लिए हमसफ़र बनो.
जिस नज़र से चाहते हो दुनिया देखे 
उस दुनिया की " प्रताप " पहले नज़र बनो.

जय हिंद...!
प्रबल प्रताप सिंह
"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)