* उल्टा तीर लेखक/लेखिका अपने लेख-आलेख ['उल्टा तीर टोपिक ऑफ़ द मंथ'] पर सीधे पोस्ट के रूप में लिख प्रस्तुत करते रहें. **(चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक, ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिखें ) ***आपके विचार/लेख-आलेख/आंकड़े/कमेंट्स/ सिर्फ़ 'उल्टा तीर टोपिक ऑफ़ द मंथ' पर ही होने चाहिए. धन्यवाद.
**१ अप्रैल २०११ से एक नए विषय (उल्टा तीर शाही शादी 'शादी पर बहस')के साथ उल्टा तीर पर बहस जारी...जिसमें आपका योगदान अपेक्षित है.*[उल्टा तीर के रचनाकार पूरे महीने भर कृपया सिर्फ और सिर्फ जारी [बहस विषय] पर ही अपनी पोस्ट छापें.]*अगर आप उल्टा तीर से लेखक/लेखिका के रूप में जुड़ना चाहते हैं तो हमें मेल करें या फोन करें* ULTA TEER is one of the well-known Hindi debate blogs that raise the issues of our concerns to bring them on the horizon of truth for the betterment of ourselves and country. आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं! *आपका - अमित के सागर | ई-मेल: ultateer@gmail.com

शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

शादी से पहले बातचीत...?


यह विषय आज के समय को देखते हुए बड़ा जरुरी-सा विषय बनता जा रहा है! हालांकि इसकी आवशयकता है भी या नहीं ये परिस्थितियों पर बहुत निर्भर करता है, मेरे हिसाब से तो!इसका एक कारण बताया जाता है कि लड़की ओर लड़के की आपस में जानकारी बढ़ेगी और वो एक दुसरे को और अच्छी तरह जान पायेंगे! जिस से कि उनका आने वाला समय बेहतर होगा!

किन्तु कई बार इसका उल्टा हुआ है! उनकी आपस में एक दुसरे के बारे में जानकारी तो बढ़ जाती है, लेकिन एक रिश्ता जो बनने जा रहा था वो बन नहीं पाता! यहाँ तक कि शादी होने के बाद भी! क्योंकि वो जान जाते है एक दुसरे के बारे में,पहले ही! रोमांच सारा ख़त्म!

पहले क्या होता था, या गाँव-देहात में क्या होता है, लड़का-लड़की एक दुसरे से बात करना तो दूर, जानते भी नहीं, और शादी हो गयी जी! आधुनिक जगत को ये बात बहुत अखरती है! ऐसा कैसे हो गया, कैसे हो सकता है? पता नहीं वो एक दुसरे को समझ पायेंगे या नहीं? वो नहीं समझ पायेंगे तो सुखी कैसे रहेंगे? वगराह-वगराह!

वो ज्यादातर सुखी रहते है!

असल में सुखी रहने का रहस्य दुसरे को समझने में कम और खुद को समझने में अधिक छिपा है! ऐसा नहीं है के वो एक दुसरे को नहीं समझते, समझते है! लेकिन जब तक वो एक दुसरे को समझते है तब एक बहुत बड़ा कालखण्ड जीवन का बीत चुका होता है, जानने के रोमांच में! और जो आनंद मनुष्य दुसरे की जिन्दगी ने झाँक कर लेता है उसका शायद कोई विकल्प नहीं!वो आनंद ले रहे होते है 'किसी अपने' की जिंदगी में झाँकने का! जबकि यही काम यदि शादी से पहले किया जाए तो हम केवल 'किसी' लड़के या लड़की की जिंदगी में झाँक रहे होते है जो अभी तक हमारा कुछ नहीं है! भविष्य में हो सकता है, अभी कुछ नहीं है! सो एक एह्न्कार-सा मन में आ जाता है कि हम निष्पक्ष होकर किसी की जिंदगी में देखेंगे जो की हम कभी हो ही नहीं सकते! एह्न्कार में निर्णय ठीक ही हो इसकी सुनिश्चितता नहीं होती!

दूसरी और जब हम 'किसी अपने' की जिंदगी में झांकेंगे तो हमारे पास निष्पक्ष होने या रहने की मजबूरी नहीं होती! हम स्वाभाविक ही अपने का पक्ष ले सकते है! उसमे केवल अच्छा ही देखने की कोशिश करेंगे! कुछ बुरा यदि दिखाई दे भी जाए तो सोच लेते है की पहले रहा होगा, अब हम नहीं होने देंगे ऐसा! कमियाँ अब भी देखेंगे साथ ही उन्हें ख़त्म करने के उपाय भी!

जबकि शादी से पहले केवल कमियाँ ही दिख पाती है, उपाय तक जाने की कोशिश ही नहीं की जाती! करे भी क्यों? किसके लिए? "ये नहीं तो और सही" वाली खिड़की होती है अभी हमारे पास! वो भी खुली हुई! कोई चिंता ही नहीं!

हालांकि इसका कभी-कभी लाभ भी होता है दोनों को! पर मैंने अब तक ऐसा कम ही देखा है! वैसे जो अनुभव हमारा है वो केवल हमारा ही है! जरूरी नहीं जिन परिस्थितियों में 'क' जो करेगा वही उन्ही परिस्थितियों 'ख' के लिए भी सही रहेगा!
[कुंवर जी]

12 टिप्‍पणियां:

  1. तलाक के सामान्‍यीकरण पर भी सोचना चाहि‍ये। यानि‍ प्रेम या वि‍वाह के बाद समझौते जैसी परि‍स्‍थि‍तयां हो तो कानूनी रूप से मुक्‍त होने के प्रावधान सरल कि‍ये जायें, नहीं ???

    जवाब देंहटाएं
  2. Vivah antme ek jua hai...ek saath rahne bina koyi samajh nahi sakta ki,qismat me kya likha hai..

    जवाब देंहटाएं
  3. अमित जी
    पोस्ट में चित्र जोड कर व संपादित कर आपने इसमें जान डाल दी है।
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. सुनीता जी,
    बहुत-बहुत शुक्रिया आपका!
    चूँकि मैं ब्लॉग को अधिक समय तो नहीं दे पा रहा हूँ मग़र कोशिश करता हूँ कि आपके सबके योगदान की प्रस्तुति और भी बेहतर हो सके.
    -
    आप सभी का आभारी हूँ. साथ बने रहिए!
    -
    कुछ न कुछ करते हुए कुछ तो कर ही जाएंगे
    आलमे-मसले ओ-माद्दे कुछ तो संवर ही जाएंगे
    ---
    अमित के सागर
    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. शादी की सफलता और असफलता फ्लेक्सिबिलिटी पर निर्भर है. फ्लेक्सिबिलिटी अर्थात एक दूसरे के लिये स्पेस और समझने की क्षमता.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही शानदार , अच्छा और intellectual लेख....

    जवाब देंहटाएं
  7. सागर जी मेरी बात को कुवर जी ने बेहद सुन्दर तरीके से आपको कहा है इसलिए आप मेरी राय अपने मित्र को कहे की यदि आपके मित्र के लायक लड़की नहीं मिल रही है तो इसमें यक़ीनन आपके मित्र मै दोषहै

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही शानदार और अच्छा लेख....

    जवाब देंहटाएं
  9. आजकल के जमाने में खासकर बड़े शहरों में लड़की से बात करने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए....एक तरफ नारी सशक्तितकरण की बात होती है एक तरफ किसी उसे भावनात्मक तौर पर कमजोर करने वाली घटना को ही महिमामंडित करना अनुचित है.लड़कियां ही अब रिजेक्ट कर देती है...तो क्या लड़के का स्वाभिमान आहत नहीं होता....लड़की अपने से कम पढे लिखे ल़ड़के से शादी नहीं करती...करती है तो समाज कहता है कि लड़का मिला नहीं होगा....लडका कम पढी लिखी लडकी से शादी करता है तो उसका इगो हर्ट नहीं करता....अगर ज्यादा पढी लिखी लड़की ढूढता है तो ताना मिलता है कि खुद कितना पढ़ा लिखा है....समाज हमेसा दोहरा चरित्र अपनाता है....लड़कियां भी वहीं कर रही हैं जो पहले लड़के करते थे. यानि बदला लेने का..समाज को बराबर करना है, तो मानसिकता को बदलिए....शादी से पहले एक दो बार बातचीत करने से रोमांच भी नहीं समाप्त होता....एक दो बातचीत में फैसला नहीं हो पाए तो समझिए रिश्ता बनने के आसार कम ही हैं.....

    जवाब देंहटाएं
  10. राम राम जी,

    भई साहब आप बोले तो बिंदास है पर अपनी बात थोडा शान्ति से,आराम से कहते तो शायद और अधिक अच्छी तरह से कह पाते,स्पष्ट कर पाते!बहरहाल आपका शुक्रिया,अपने अमूल्य विचारो से अवगत कराने का!

    कुंवर जी,

    जवाब देंहटाएं

आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
--
बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
--
आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
--
आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)