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गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

...क्या जरूरी है शादी से पहले?


दोस्तों, काफी दिनों के बाद [उल्टा तीर] पर इस बार हम शादी जैसे एक अलहदे मुद्दे पर चर्चा करेंगे! जिसके सन्दर्भ में भूमिका के तौर पर बस इतना ही कहूंगा कि दो लोगों के बीच के इस उम्र भर के बंधन में बंधने की प्रक्रिया ही लड़के और लड़की के लिए आज के दौर में जटिलता बनती जा रही है. जिंदगी का इक़ पढ़ाव पार करने के बाद भावी पति-पत्नी के रूप में जीवन साथी के साथ इक़ नए जीवन में प्रवेश का अहम फैसला व एक सही जीवन साथी को चुनना इस दौर में कई तरह से जटिल सा हो गया है. बड़े शहरों, महानगरों में शादी करना मतलब एक प्रायोजित किसी घटना या सभा को एक अंजाम देने की प्रक्रिया सा है. जिसको सम्पूर्ण आकर देने के लिए अपनी-अपनी विधा के तमाम कार्यकारियों की सेवायें लेना आज की जरूरत बन गई है.  भारत के बड़े शहरों, महानगरों में जहां पश्चिमी सभ्यता ने विवाह बंधन की प्रक्रिया में अपनी मौजूदगी दी है वहीं लड़के या लडकी को अपने मन मुताबिक़ जीवन साथी चुनने की आजादी भी...हांलांकि यह मेरा बेहद उथला बयान है.  

तमाम राज्यों के देहात-गाँव में जब दशकों पहले शादियाँ होती थीं तो संभवतः लड़के या लडकी को सुहागरात वाले दिन ही इक-दूसरे का चेहरा देखने को मिलता था, जान-पहचान या स्वभाव की बातें दूर की बातें थीं. हांलांकि आज के समय में थोड़ा बदलाव आया है मगर गाँव शहर नहीं हुए हैं. यह होना जरूरी है या नहीं, यह विषय हमारा कतई नहीं.

बहुत हद तक चीज़ें वैसी ही हैं जैसे कि पिछले काल में बिना कंप्यूटर के भी सभी काम होते  थे, मगर आज नहीं होते! हम पहले भी जीते थे मगर आज हमारी जिंदगी में बहुत सी चीज़ें इस क़दर प्राथमिक हो चुकी हैं कि हम 'इनके बिना' जीने की कल्पना तक नहीं कर पाते! वैसे ही, जहां चाँद को हाथ से पकड़कर देख लेने जैसी उपलब्धियां हमने पा ली हैं वहीं जीवन के तमाम छोरों पर हमने नई जटिलताएं और चुनौतियां भी पाई हैं. मेरे ख्याल से इतने भर को भी मध्य-ए-नज़र रखा जाए तो हम इस विषय पर चर्चा करना लाज़मी पते हैं कि- शादी की सही प्रक्रिया और जीवन साथी का सही चुनाव कैसे हो? क्या शादी से पहले लड़के और लड़की के बीच बातचीत होनी चाहिए? जीवन के इतने बड़े फैसले (शादी करना) को अमली जामा किस तरह से पहनाया जाना चाहिए?

मुझे यह समस्या गाँव-देहातों की तरफ की ज्यादा दिखती है. बेशक शहरों से नई डिजायन के कपडे, चश्मे, मोबाइल, बोलियाँ, आधुनिकता, सेक्स, सेक्स, सेक्स की जानकारी, तरीके-, परिवेश जैसी तमाम चीज़ों ने गाँव और शहरों तक के सफ़र के द्वारा पलायान किया है. चीज़ें बदलीं हैंमगर दूसरे अन्य बदलाओं को भी खडा किया है? प्रश्न की तरह?

मैं आप लोगों को एक छोटी सी कहानी सी (मगर हकीकत) बताता हूँ, जिनके कहने और जिनकी शादी में हो रही समस्या ने ही इस विषय को उठाने की प्रेरणा दी है. असल में.

मेरे मित्र हैं डोंगरे. मूलतः मध्य प्रदेश के एक जिला से हैं. ३ वर्षों से दिल्ली में रह रहे हैं. एक राष्ट्रीय अखबार में काम कर रहे हैं. उम्र पूरी तरह से 'शादी' करने की हो गई है. अब समस्या यह है कि उन्हें अपने समुदाय में अपने राज्य के आस-पास के जिले में काफी मशक्कत के बाद भी अब तक प्रोफेसनल लडकी नहीं मिली, जिससे भावी जीवन की थोड़ी सी चर्चा करके वो यह ज्ञात कर सकें कि यह लड़की उनके अच्छी जीवन साथी बन सकती है और फिर वो शादी कर ही लें. यही प्रतिक्रिया वो लड़की की और से भी चाहते हैं कि उनसे शादी करने से पहले लड़की उनसे भावी जीवन के बारे में, उनके या उनके स्वभाव, इत्यादी के बारे में बात करे और उसके बाद फिर निर्णय करे कि क्या वो लड़का उसके लिए ठीक है...आदि...इत्यादी! अंग्रेज़ी भाषा में या पश्चिमी सहूलियत से इसे 'डेटिंग' कहिये! मगर यह स्वच्छंदा की हद कतई नहींकमसे कम इक बार की, घंटे भर तक की बातचीत तक तो होनी ही चाहिए! मगर तमाम रिश्तों की पड़ताल के बाद यही पाया- लड़की के माँ-बाप इसके लिए तैयार नहीं! वहीं इक दिलचस्प बात यह है कि जो लडकियां ठीक-ठाक पढ़-लिखकर नौकरी पेशा हैं, और जो अब तक अविवाहित हैं- दबी जुबान में उनका मानना है कि शादी करने से पहले उनका भावी पति शादी की प्रक्रिया में अगर उनसे खुलकर बात करे तो उन्हें बेहद खुशी होगी, और वो काफी सहज महसूस करेंगीं- मगर ऐसा नहीं होता!

अब आप लोग अपनी अपनी राय दीजिये! आपको क्या लगता है! आपके लेख-आलेख भी आमंत्रित हैं!

[उल्टा तीर के लिए]
अमित के सागर

8 टिप्‍पणियां:

  1. ये मुद्दा सही उठाया गया है. आजकल बहुत जरूरी है ये कि शादी से पहले क्या हो? इसके अलावा ये भी विषय होना चाहिए शादी से सम्बंधित कि क्या-क्या जरूरी हो शादी के लिए?
    आजकल बहुत से अच्छे रिश्ते कुंडली, जाति, धर्म के चक्कर में बनने के पहले ही मर जाते हैं.
    अच्छा विषय उठाने के लिए बधाई.
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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  2. यह बेहतर है कि शादी करने वाले युवक-युवती आपस में बातचीत कर एक दूसरे के बारे में जान लें. आखिर पूरी जिन्दगी उन्हें साथ रहना है. अभिभावकों को इस तरफ ध्यान देना चाहिये.

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  3. शादी एक ऎसी समझ है जो साथ रहते ही पैदा होती है एक दो घन्टे की बातचीत में आप क्या समझ लेगे व क्या जान लेगे मै इस बात से सहमत नही हू कि डेटिग आदि के बाद समझ जायेगे व विवाह हो जायेगा यह एक ऎसा बन्धन है जिसे निभाने की भावना मन में है तो साथ निभेगा एक दूसरे की कमियों के साथ भी

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  5. आपकी पोस्ट बिल्कुल सही है। ये ज़रूरी है कि दोनों ही अपने होनेवाले जीवन साथी के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

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  6. Sunita ji ke vicharo se main sahamat hoon. Agar ladka-ladki ke vicharo me bahut jyaada antar ho to kuch ghanto ki mulakat se pata lagaya ja sakta hai, parantu shaadi jaise najuk aur mahatvpurn rishte ko nibhane ke liye aapsi samajh sabse jaroori hai.

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  7. बस जरूरी है एक अच्छा इन्सान होना. सारी समस्यायें सुलझ जायेंगी.

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  8. मै नवयुवक हूँ या नहीं ये तो मुझे कहने की आवश्यकता नहीं लकिन मेरी शादी आज से दस बरस पहले २३ वर्ष की उम्र मे हुई मेरी पत्नी की चाहत थी की वो मुझसे कुछ बात करे लकिन शादी से पहले दो साल तक रिश्ता रहा और मैंने एक बार भी अपनी भावी पत्नी से बात करना जरूरी नहीं समझा मै दिल्ली के एक महाविद्यालय से स्नातक तक पड़ा लिखा था और मेरी पत्नी १२ पास वो हरियाणा से और मै दिल्ली से
    आपके एक सवाल का जवाब तो मेरे इतनी बातो से ही मिल जाता है की गाँव या शहर की दिवार हर जगह सही नहीं है

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आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
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बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
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आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
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आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)