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शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

ये अंधा क़ानून है!




ये अंधा कानून है, 
ये अंधा कानून है,
ये.... अंधा....कानून....है....

जी हां आप सही सोच रहे हैं. ये लाईनें न्याय की देवी जो आँख पर पट्टी बांधे हैं उनके लिए है. जो न्याय की देवी दूध का दूध और पानी का पानी वाला फैसला देने के जानी जाती है, उस देवी के दर से आज एक देवी के आबरू से खेलने वाले और उसे आत्महत्या के लिए जिम्मेदार डीजीपी को पर्याप्त सबूत होने के बावजूद ६ महीने की साधारण सज़ा और एक हज़ार रुपये जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया.

१९ साल 
१९ साल से रुचिका गिरहोत्रा काण्ड का केस चल रहा था. पर्याप्त सबूत होने के बावजूद केस की सुनवाई में इतना लम्बा समय दर्शाता है कि हमारी न्याय प्रणाली कितनी लाचा और लाचार हो चुकी है. इसी कारण ऊंचे रसूख वाले न्याय को अपने हाथ की कठपुतली बना रखे हैं.

हाईस्कूल में पढ़ रही रुचिका गिरहोत्रा के यौन उत्पीड़न के लिए दोषी पूर्व डीजीपी एसपी सिंह राठौर को कोर्ट ने १९ साल बाद ६ महीने की सामान्य सज़ा और एक हज़ार रुपये जुर्माना लगाकर छोड़ दिया ? इस फैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. १४ वर्षीय टेनिस खिलाड़ी के साथ राज्य का सबसे बड़ा पुलिस अधिकारी बलात्कार का दोषी पाया गया ? रुचिका की आपबीती हलफ़नामे को कोर्ट ने नज़रंदाज़ कर दिया ? यह मुकदमा आम आदमी और खास आदमी के बीच न्यायसंगत था ? यह मुकदमा पुलिस के सचरित्र को दर्शाता है ?

बिना कारण रुचिका पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर स्कूल से निकाल दिया जाता है. भाई को पुलिस डराती है, धमकाती है, पीटती है, झूठे केस में फंसाती है. पूरा परिवार सदमें में जीने को अभिशप्त होता है. यह सब देखकर अल्पवयस्क रुचिका जहर खाकर अपनी जीवन लीला ख़त्म कर लेती है, ताकि उसके भाई और पिता को कोई परेशानी न हो. कब तक ऐसा होता रहेगा ? कब तक लड़कियों और महिलाओं को दूसरे की करनी भुगतनी पड़ेगी ? पुरुष प्रधान समाज में महिला सिर्फ उपभोग की वास्तु रह गई है ? " यत्र नार्यस्तु पूज्यते तत्र रमन्ते देवता ",  उक्ति वर्तमान में अपना अस्तित्व खो चुकी है ? घर - परिवार, देश और समाज संभालने वाली महिला की सुरक्षा किसी की नहीं है ? नारी को स्वतंत्रता का कोई अधिकार नहीं है ?

इन सवालों के जवाब हमें और आपको ही देने है. तभी एक स्वस्थ और विकसित समाज की कल्पना साकार होगी.
रुचिका मामले में गवाह बने उसकी सहेली के माता - पिता आनंद प्रकाश और श्रीमती मधु प्रकाश की जितनी तारीफ की जाए कम है. तमाम धमकियों के बावजूद पुलिस प्रशासन के प्रभाव में न आकर उन्होंने अपनी गवाही दी. जहां गवाह खरीदे और बेचे जाते हों, जहां गवाही को धनबल और बाहुबल से बदला जाता हो , वहां इन दोनों के हौसलों को सलाम...!!

न्याय की विडम्बना 
१. १४ साल की नाबालिग लड़की के साथ अधेड़ डीजीपी ने बलात्कार किया.
२. १९ साल बाद फैसला, वह भी न्यायसंगत नहीं.

३. तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख डलवाकर पूर्व डीजीपी राठौर ने अपने पद और पावर का बेहिसाब इस्तेमाल करते हुए  केस को १९ साल तक खींचा. पीड़िता के भाई और पिता को प्रताड़ित किया गया. गवाह बने आनंद प्रकाश और श्रीमती मधु प्रकाश को डराया, धमकाया गया.

४. बलात्कार पीड़िता ने आत्महत्या कर लिया.

५. पर्याप्त सबूत होने के बाद भी बलात्कारी राठौर को कोर्ट ने सामान्य सी सज़ा सुनाई.

६. कोर्ट का यह कहना बहुत ही हास्यास्पद है कि इतने लम्बे समय तक चले केस के कारण राठौर को लम्बी सज़ा नहीं दी जा सकती क्योंकि उनकी उम्र ६८ वर्ष हो चुकी है और हृदय की सर्जरी भी हो चुकीहै.

७. १९ साल तक चले केस से जिस परिवार को जो मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और सामजिक नुकसान हुआ उसकी भरपाई कौन करेगा ?

८. महिलायें कब तक अन्याय का शिकार होती रहेंगी ?

९. आम आदमी न्याय से हमेशा वंचित रहा है. इस फैसले ने इस बात को और पुख्ता कर दिया है.

१०. यह फैसला लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर अनास्था और विद्रोह की भावना पैदा करता है.

११. किसी नाबालिग लड़की की आबरू  को धूमिल करना और उसे ख़ुदकुशी के कगार पर पहुंचाने वाले राठौर की इतनी कम सज़ा काफी है ?

१२. अप्रासंगिक हो चुके भारतीय कानून को बदल देना चाहिए.

जो सज़ा पूर्व डीजीपी राठौर को कोर्ट ने सुनाई है, उस सज़ा से कौन अपराधी खौफ खायेगा ? ऐसे अपराधी की सज़ा मौत से कम स्वीकार नहीं, ताकि कोई बेटी, बहिन , बहू, बीवी की अस्मत पर बुरी नज़र डालने से पहले उसके अंजाम को सोचकर थर्रा उठे.

एक सवाल जज से
"जिस जज ने यह फैसला सुनाया है 
क्या उसके बेटी, बहिन , बहू या बीवी
के साथ ऐसा हादसा हुआ होता तो वे 
यही फैसला सुनाते ??"

प्रबल प्रताप सिंह

6 टिप्‍पणियां:

  1. ऎसी घटनाओं पर तो एक पुराना गाना याद आता है---
    कुछ न कहो, कुछ भी न कहो,
    क्या कहना है, क्या सुनना है,
    हमको पता है, तुमको पता है,
    =============
    दुःख ये होता है की इसी को हम लोकतंत्र कहते हैं?????

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  2. आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने!

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  3. प्रबल जी मै आप की इस बात से पूरी तरह सहमत हूं अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को बदलना अतयन्त आवशयक है...........।

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  4. प्राचीन काल के किसी शिल्पकार को यदि आज के जीवन की मूर्ती पत्थरों पर तराशनी हो तो नाकों चने चबाने होंगे ,क्या करें जीवन की विशंगातिया इतनी कठोर हो गयीं हैं की छैनी-हथौड़ी तो क्या यदि बरछी-भाले ले कर के भी प्रयास किया तो पर्याप्त नहीं होगा।
    इसी के साथ साथ हमारा ह्रदय भी अभेद हो चुका है । मानवता के नाम का शायद आज के मानव को अर्थ केवल यही मालूम है के संभवतः ये कही हमारी ही जड़ों से जुड़ा शब्द है।
    लेकिन उन जड़ों को खोद कर देखने का साहस किस्मे है ,क्या पता कही जीवन ही ना सूख जाय ???

    जवाब देंहटाएं

आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
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बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
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आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
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आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)