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शनिवार, 11 अप्रैल 2009

जूता संस्कृति या विकृति !!!

[करमबीर पंवार]

पिछले साल जब इराक मे इराकी पत्रकार जैदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश पर जूता फैका --- इस घटना के बाद प्रतिक्रिया के लिहाज़ से समूचा विश्व दो पक्षों मे बट गया । ज़ाहिर तौर एक समूह जैदी के पक्ष में और एक उसके विरोध में । हमरे मुल्क में इस तरह की घटना कभी होगी । किसी ने भी नही सोचा था । लेकिन जैदी के विरोध का तरीका हमारे देश में भी हाल ही में दुहराया गया । उधर जैदी तो इधर जरनैल ।

गृह मंत्री पर जूता फैकने की घटना का भी बहुत जल्दी दोहराव हो गया हरियाणा में भी जूता फैका गया । जूते का भय नेताओं को भी सताने लगा है क्यूंकि वे आम चुनाव के कारण जनता के बीच में हैं । लेकिन सवाल उठता है "क्या अब सिर्फ़ जूता चलाना ही अपने आक्रोश और विरोध को दर्ज़ कराने का उचित तरीका है?"

सवाल और भी हैं जैसे जरनैल को एक समुदाय द्वारा समान्नित करना एक समुदाय की भावुकता तो नही ? जरनैल पत्रकार है ज़ाहिर बौद्धिक बिरादरी के हैं, उनके इस कृत्य से क्या समाज की इस बिरादरी की छबि पर भी कोई असर पड़ा है ?

८४ के दंगो के बरक्स भी कुछ सवाल होंगे, दिल्ली के दंगो के चस्मदीद को आख़िर देश की अदालत में आने से गुरेज़ क्यूँ हैं?

और अंत में सबसे महत्वपूर्ण सवाल जूते से विरोध का ये तरीका हमारे लोकतंत्र को किस दिशा में आगे ले जाएगा?
उल्टा तीर मंच अब आपको मौका देता है कि आप अपना मुद्दा, अपनी बहस अपने नाम से प्रस्तुत कर सकेंतो अगर आपके पास है कोई मुद्दा, कोई बहस तो उल्टा तीर को लिख भेजिए, अपने बारे में संक्षिप्त परिचय अपनी एक तस्वीर के साथ! अगले माह शायद आपका मुद्दा उल्टा तीर पर हो! [सम्पादक- उल्टा तीर]
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(लेखक राम राज्य मल्टीवर्सिटी के वाईस चांसलर व जन उद्धार सेवा समित के निदेशक हैं)

7 टिप्‍पणियां:

  1. अमित जी आपका और उल्टा तीर दोनों का बहुत-बहुत शुक्रिया एक नयी पहल के लिए आज मैंने उल्टा तीर पर आपका अन्य लोगो को मुद्दे उठाते देखा तो बेहद खुसी का अनुभव किया
    कर्मबीर जी ने सही समय पर सही सवाल उठाया है की क्या अब देश का हर बुद्धिजीवी कहलाना वाला तबका भी क्या अमेरिका का पिछलग्गू हो गया है या अपने देश के कानून से ऊपर अपने धर्म और जाति का ऊपर मानने लगा है दोनों ही सूरत मे देश के भविष्य पर सवालिया निशान उठाती है मे ये भी जोड़ना चाहुगी की सिख समुदाय पिछले कुछ वर्षो मे जिस तरह देश की राजनीती मे आगे आता जा रहा है वैसे ही उसका स्वभाव उग्र होता जा रहा है
    आपके द्वारा उठाये सभी मुद्दों को मे सही मानती हूँ और आशा करती हूँ देश के सभी धर्मो के मानने वालो से की वो सबसे पहले देश और कानून का सम्मान करे
    धन्यवाद्

    जवाब देंहटाएं
  2. अमित जी मै आपका शक्रिया अदा करता हूँ की आपने मेरे मुद्दे को अपने ब्लॉग मै चर्चा का मौका दिया लकिन आपने इस को इस कदर संपादित कर दिया है की मै इसे बिलकुल नए रूप मै पता हूँ कृपया मेरी टिप्पणी को जिसमे मै पूरी बहस को फिर से रखना चाहता हूँ
    जूता संस्कृति का आगाज अमेरिका से हुआ ( जार्ज बुश ) और आज भारत देश मे
    भी कोई हरियाणा से सांसद नविन जिंदल पर जूता फैक रहा है तो कल एक कच्चे
    पत्रकार जरनैल सिंह भारत के सम्मानित वित्मंत्री चिदम्बरम पर जूता फैक
    मुर्ख अथवा भावुक सिखों के हीरो बन गए लकिन क्या अब भारत देश मे वही सब
    होगा जो अमेरिका मे हो चूका होगा
    विरोध प्रदर्शन का क्या स्वरूप होना चाहिए इसके विषय मे आप क्या सोचते है
    ऐशा भी नहीं की देश मे सबसे लम्बा नरसंहार कश्मीर पीड़ित को दर्द, 1984 के
    दंगे या फिर भोपाल गैस कांड, मुंबई बोम्ब बलास्ट,गोधरा कांड जैसे अनेक
    कांड हुए जिनमे हजारो - लाखो की संख्या मे लोग मारे गए लेकिन क्या उनका
    कानून पर से विश्वास उठ गया या कानून उन लोगो ने हाथ मे लिया फिर आज
    कानून को अपने हाथ मे लेने वाले का साथ देने वाले क्या अपराधी तत्वों को
    बढावा नहीं दे रहे है
    फैसला अभी आया नहीं है बल्कि अभी ज़ंग जारी है फैसला आपको करना है ..............

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  3. आज का सबाल
    जे नही हे की किसीने क्या किया आज का सबल जे हे जे कियो हु रहा हे

    जवाब देंहटाएं
  4. sir ji...aapke kadhan me puri tarah sachayi hai ...aaj kal neta gooli se kam jute se jyada dar rahe hai.ye samaj ki vifalta hi kahiye ki...hamare samajh me bhi ye bekaar karye hone lage...hai...kher...schayiya ka suwaad kuch aalag hi hota hai....jai ho...............deepak..bedil

    जवाब देंहटाएं
  5. अमित,टिप्पणी कहाँ पोस्ट करूँ? yahan to ho gayee, mauje sagar pe nahee ho rahee...!

    Aur anusaran karta ka 'chinh' bhee nahee hai...!

    जवाब देंहटाएं

आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
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बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
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आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
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आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)