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शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008

इस बार बहस नहीं !



आंतकवाद से लडाई में हम सब साथ हैं। यही वो समय है जब हम सबको एकजुटता के साथ मजबूती से इस समस्या से मिलकर लड़ना होगा । कहते हैं "युद्ध के समय शान्ति की बात बेमानी हो जाती है " आतंकवादियों का कोई मजहब कोई दीन ईमान नही है। इनकी फितरत केवल हिंसा दहशत गर्दी और मौत का तांडव करना है । इस बार "उल्टा तीर" सम्पादकीय बोर्ड ने तय किया है कि आंतकवाद के मुद्दे पर अब हम कोई भी बहस नही करेंगे। क्योंकि उल्टा तीर की नज़र में आंतकवाद जेरे बहस का मुद्दा नही। बल्कि एक ऐसा नासूर है जिसका इलाज हर कीमत पर होना चाहिए। इस बार हम पूरे महीने आंतकवाद से कैसे लड़े इस बिन्दु पर आपके साथ विमर्श करेंगे। हम सभी मिलकर इस लड़ाई में अपनी अपनी भूमिका तय करेंगे। नो डिबेट ओनली एक्शन के मूल मंत्र के साथ आप भी हमसे अपने विचार अपने तरीके हमारे देश विदेश में बैठे सभी सुधि पाठकों के साथ बाटें। उल्टा तीर आपका अपना मंच है। हम सभी मिलकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लडेंगे।

"ये बात समस्या केवल विचारों की नही
इस लड़ाई को हमें आचरण में लाना होगा "

आपकी भावनाओं का इस मंच पर हार्दिक स्वागत है
एक अच्छा कल लाने के लिए हम सब मिलकर लड़े

चलते चलते आप सभी के लिए "उल्टा तीर" के हमारे सहयोगी "अमिताभ" की मुंबई धमाके पर एक कविता "हम भूले" प्रस्तुत है।


मैं चाहूँगा अब ये दर्द
हम में से कोई भी भूले
तबाही की काली रात का मंज़र
हमारे दिलो में अब जिंदा रहे

एक आग बनकर
एक तड़प एक टीस
दिलों में जिंदा रहे

हम भूले
हम भूले

हमें इस दर्द से ही अब
धधकते अंगारे सीने में जलने होंगे
सीने में आग जले

मैं चाहूँगा अब ये दर्द
हम में से कोई भी भूले
कोई सांत्वना नही
कोई दिलासा नही

घावों पर कोई अब
मरहम भी नही

मैं आँखे खोल के रखना चाहता हूँ
इस दर्द इन घावों से
आँख मिलाना चाहता हूँ

मुझे अब मायूसी में
मातम नही करना है
मुझे अब शोक में
मोमबत्तियों भी नही जलानी

मैं तो आग लगाना चाहता हूँ
अब इस वहशत का अंत चाहता हूँ

सीने में अब ये आग जलती रहे
पीड़ा ये सुलगती रहे
घाव हमें दिखते रहे

ये दर्द अब हौसला बने
ये दर्द अब फ़ैसला बने

इस दर्द से आँख मिलाये हम सभी
इस दर्द को हम भूले अब कभी
इस दर्द को बना ले
अपनी ताक़त हम सभी
!!

(सौजन्य :दिलसेअमित)

उल्टा तीर सम्पादकीय मंडल

9 टिप्‍पणियां:

  1. आतंकवाद के विरुद्ध किए जा रहे आप के प्रयासों की जितनी भी सराहना की जाए, कम है. बहुत अच्छा... लगे रहें...

    From-
    ‘मेरी पत्रिका’
    Link : www.meripatrika.co.cc

    जवाब देंहटाएं
  2. "ये दर्द अब हौसला बने ये दर्द अब फ़ैसला बने"

    यही कहना चाहता हूँ . कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद .

    जवाब देंहटाएं
  3. हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
    इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए.

    पहला कदम- जनप्रतिनिधियों को नेगेटिव वोटिंग के आधार पर वापस बुलाने की प्रक्रिया सरल की जाए.

    जवाब देंहटाएं
  4. अमित भाई, आपने ये काम बड़ा अच्छा किया कि आतंकवाद जैसे मुद्दे पर शब्दों की बयानबाजी बन्द कर लोगों को कुछ करने के लिए उकसाया. आतंकवाद के नाम पर लोग मरते हैं और इसका दर्द हम अपने सीनों में लिए फिरने के लिए मजबूर होते हैं, तो फिर वो कौन से कारण हैं कि हम आजतक ये सब चुपचाप सहते आ रहे हैं?
    क्यों हम इन नालायक राजनेताओं के बहलावे में आते हैं? क्यों हमें कुछ चन्द स्वघोषित बुद्धिजीवी कभी मुस्लिम आतंकवाद, कभी हिन्दू आतंकवाद और जब कुछ नहीं बचता तो वर्ग विभेद के नाम पर फुसलाते रहते हैं?
    हम खुद क्यों नहीं तय कर सकते हैं कि हमारे लिए उचित क्या है और इसके लिए हम अपना हक़ क्यों नहीं छीनते हैं (माँगने से वो मिलता नहीं)? वक़्त आ गया है (शायद बहुत पहले ही आ गया था) कि अब हम अपनी ज़िन्दगियों का फैसला खुद करें. किसी नेता, किसी स्वघोषित बुद्धिजीवी के हाथों में इसकी डोर न जाने दें.

    अजित सिंह

    जवाब देंहटाएं
  5. जैसे भी हो, एक मत हो कर, एक जुट हो कर जनता ही आतंकवाद से लोहा लेने का रास्ता निकाल सकती है!... राजकीय नेताओं को हम आजमा चुके है!...उनसे कुछ नही हो रहा... सिवाय आश्वासन के वे कुछ नहीं दे सकते!... आपके विचारों से मै सहमत हूँ!

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरे ब्लॉग (मेरी माला, मेरे मोती) पर देखिए... कविता ' आतंकवाद को नेस्त-नाबूद कर दो यार ' कविता में मैंने ऐसा ही कुछ कहा है!

    जवाब देंहटाएं
  7. इस दर्द से आँख मिलाये हम सभी
    सुंदर लिखा है आपके ये विचार की अब हमे एक होकर लड़ना होगा भारत देश अब आतंक नही देखे इस दुआ के साथ .....
    हम आपके साथ है

    जवाब देंहटाएं
  8. क्या बात है आपकी कविता वाह वाह वाह!नए साल की ................. हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
--
बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
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आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
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आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)