* उल्टा तीर लेखक/लेखिका अपने लेख-आलेख ['उल्टा तीर टोपिक ऑफ़ द मंथ'] पर सीधे पोस्ट के रूप में लिख प्रस्तुत करते रहें. **(चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक, ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिखें ) ***आपके विचार/लेख-आलेख/आंकड़े/कमेंट्स/ सिर्फ़ 'उल्टा तीर टोपिक ऑफ़ द मंथ' पर ही होने चाहिए. धन्यवाद.
**१ अप्रैल २०११ से एक नए विषय (उल्टा तीर शाही शादी 'शादी पर बहस')के साथ उल्टा तीर पर बहस जारी...जिसमें आपका योगदान अपेक्षित है.*[उल्टा तीर के रचनाकार पूरे महीने भर कृपया सिर्फ और सिर्फ जारी [बहस विषय] पर ही अपनी पोस्ट छापें.]*अगर आप उल्टा तीर से लेखक/लेखिका के रूप में जुड़ना चाहते हैं तो हमें मेल करें या फोन करें* ULTA TEER is one of the well-known Hindi debate blogs that raise the issues of our concerns to bring them on the horizon of truth for the betterment of ourselves and country. आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं! *आपका - अमित के सागर | ई-मेल: ultateer@gmail.com

शनिवार, 1 नवंबर 2008

धार्मिक कट्टरता और आंतकवाद

इसमें कोई संदेह नही कि इस समय हमारे देश में आंतकवाद सबसे बड़ी चुनौती बनके उभर रहा है। आंतकवाद के विषय में हमारी पूर्व धारणाएं अब ग़लत साबित होती जा रही है। आंतक का रोज़ नया चेहरा हमारे सामने रहा है। हाल ही में मध्य प्रदेश की साध्वी की मालेगांव ब्लास्ट के मामले में गिरफ्तारी हुई है। सेना के पूर्व अधिकारीयों का नाम भी उभरकर सामने आया है। धर्म की आड़ में आतंकवाद की नई पौध तैयार हो रही है तो क्या अब ये ज़रूरी नही कि देश में चल रहे सभी कट्टर उन्मादी धार्मिक संगठनों पर रोक लगे?


"उल्टा तीर" पर इस पूरे महीने हमारी बहस का विषय है "आंतकवाद को रोकने के लिए सभी कट्टरधार्मिक संगठनों पर रोक लगाना उचित है?" कृपया बहस में भाग लीजिये, अपनी आवाज मुखर कीजिये, दिल खोलकर लिखिए, अपनी बात बेबाक कहिये। बहस में भाग लीजिये। साथ ही "उल्टा तीर निष्कर्ष" पर "क्या आज़ादी अपने आप में एक बड़ी बहस है?" बहस पर बहस का निष्कर्ष भी आज ही पढ़ें अपनी राय दें
उल्टा तीर

18 टिप्‍पणियां:

  1. इस बात का जवाब अपने ब्लॉग पर दे चुका हूँ. कृपया पधारें.

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी लोग हिन्दुओ से संयम की अपेक्षा करते है। इसका कारण हिन्दुओ की कमजोरी है या उनकी महानता ? यह मै नही समझ पा रहा हुं ..... लेकिन आपकी चिंता जायज है। धर्मिक रुप से इतने उदार देश मे धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार का आतंकवाद नही होना चाहिए। कौन करवा रहा है यह सब ? क्यो सरकार रोक लगाने मे असफल रह जाती है।

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या कोई देशवासी आज फिर विभाजन की सोचने को भी तैयार है सिवाय हमारे दुश्मनों के ? क्या यह सम्भव है कि हम अपने इन छोटे भाइयों (या आप पड़ोसी कह लें), जो इसी देश की संतान हैं , को विवश कर पायें कि जो हम कहें वे वही मान लें !

    - अगर हम बड़े भाई का फ़र्ज़ अदा करने का सोचें तो सबसे पहले अपने छोटे भाइयों के सर से, हर समय शक में जीने का भय उतारना पड़ेगा ! हमें उनकी परेशानियाँ , रिश्ते नाते, ध्यान में रखते हुए फैसले लेने होंगे ! दुनिया में कोई भी तीसमार खां कौम पैदा नही हो पाई जो किसी दूसरे समुदाय को ख़त्म कर दे ! ऐसे उदाहरण हमारे सामने हैं ! हाँ नफरत पाल कर रहते चले आए पड़ोसी समुदायों के बच्चे तक शैशव अवस्था से ही मरने मारने की बातें जरूर करने लगे ! और यह सब उन्ही के बुजुर्गों ने दिया !

    -चंद उग्रवादियों और दहशतपसंदों की हरकतों का इल्जाम पूरी कौम के सर पर न डालने का फ़ैसला करना होगा ! और यह फ़ैसला करना होगा जनमानस को, इस सोच के साथ कि वे इस तरह का दूषित जहर फैला कर देश का सबसे बड़ा नुक्सान करने जा रहे हैं !

    इतिहास गवाह है कि अधिकतर देशों का नुकसान दुश्मन के फौजों ने नही किया मगर आंतरिक फूट और ग्रहयुद्ध ने किया ! और सबसे अधिक मौतें बच्चों और कमजोरों की हूई ! ऐसे देशों की न केवल नस्लें तबाह हो गयीं बल्कि ३०-४० वर्षों के बाद भी वे अच्छे नेतृत्व तक के लिए मुहताज हो गए !

    इस दुर्दशा को पहुंचाने वाले यही कमअक्ल लोग थे .....जो अपने आपको देशभक्त कहते हुए मुंह बजाते घूम रहे हैं, और जब इनकी बकवास सिरे चढ़ जायेगी, उस वक्त यह चूहे सबसे पहले अपने बिलों में घुस जायेंगे ! उस समय कमज़ोर पड़ते देश से इन्हे न अपना प्यार नज़र आएगा न धर्म !

    आज आवश्यकता है कि हम इन नफरत फैलाते हुए, देश के दुश्मनों की पहचान करलें , ऐसे लोगों की किसी भी प्रकार की, तारीफ़ करना भी मेरी नज़र में सिर्फ़ अपराध है ! एक मूर्ख मगर घातक विचारधारा को किसी भी हालत में फैलने से रोकने के लिए, प्रयत्न करने से बड़ा पुण्य कार्य, मैं और नही मानता !

    मगर दुःख है कि हमारे कुछ साथी अनजाने में ऐसे लोगों की पीठ थपथपाने में कोई कसर नही छोड़ते !
    मैं अपने मुसलमान भाइयों से भी अपील करता हूँ, कि वे ग़लत बातों के खिलाफ खुलकर सामने आयें, उग्रवादियों और उनके मंसूबों का विरोध करें ! हिंदू मज़हब के खिलाफ लिखने या मज़ाक बनाने वालों का खुल कर विरोध करें ऐसा करके निस्संदेह अधिकतर लोगों का गुस्सा शांत होगा !

    किसी भी धर्म की बखिया उधेड़ने का अधिकार किसी को नही है ! हजारों साल पहले अस्तित्व में आए धर्मों की व्याख्या आधुनिकता के नाम पर करने की इजाज़त किसी को नही होनी चाहिए ! मज़हब हमारी आस्था और श्रद्धा है, जो हमारे बुजुर्गों ने निर्देशित किया है, उस पर किसी और की व्याख्या, सिर्फ़ उसकी कमअक्ली है और कुछ नहीं !

    जवाब देंहटाएं
  4. अमित जी आपके विचार पढ़े जिसे लगा की आप स्वयम अपने धर्म विशेष को पूरी सिह्दत से नही जीते होगे क्युकी धर्म के नाम पर न तो कोई किसी की जान लेता है और न ही कोई अपनी जान देता है वास्तविक रूप से तो व्यकित सबसे पहले अपने और अपने घर वालो के विषय मे सोचता है यदि परिवार मे कोई दुःख तकलीफ नही तो वो आस -पडोश के बारे मे सोचता है फ़िर देश और दुनिया के बारे मे हर धर्म इंसान को मानव धर्म को प्रमुखता से स्वीकार करने की शिक्षा देता है और अपने जीवन स्तर को ऊचा उठाने की प्रेरणा देता है इस लिए ये कहना की धार्मिक कट्टरता आतंकवाद का अहम् कारण है ग़लत है बल्कि इस तरह की बातें कहना की आतंकवाद है

    आतंकवाद कोई एक दिन की चुनोती नही है बल्कि आदि काल से चली आ रही कुछ दूषित मानसिकता ही है जो कमज़ोर को दबाने का प्रयाश है और ये कहना की धार्मिक कटरता के कारण आतंकवाद बढता है तो ये भी जब से मनुष्य ने धर्म की आड़ ली है तभी से है आपने जरूर पड़ा होगा की इसाई - मुस्लिम , मुस्लिम - हिंदू , मुस्लिम - सिख और सिख - हिंदू दंगो के विषय मे और इससे ये साबित भी हुआ है की जब कोई एक धर्म ताकतवर हुआ उसने दूसरे धर्म के समर्थको को काम ,दाम ,दंड ,भेद कैसे भी अपना धर्म अपनाने के लिए विवश किया जिसके कारण धार्मिक कट्टरता बड़ी लकिन आजकल जो आतंकवाद दिखाई देता है वो मेरे अनुमान से केवल धार्मिक कट्टरता के कारण नही है बल्कि रोज़ी -रोटी के संकट के कारण है यदि किसी व्यकित को इस तरह का संकट नही तो वो जल्द ही अपना धर्म नही बदल सकता लकिन एक भूखे का धरम तो सर्व्पर्थम पेट भरना है जो कोई धर्म या नेता जो अक्सर निर्बल का सहारा होने का ढोंग भर करते है लकिन वास्तव मे वो केवल अपना उल्लू सीधा कर रहे होते की शरण मे चले जाते है आज विश्व भर मे कोई भी दल अपना व्यक्तिगत - दलगत हित से आगे बड़कर नही सोचता यही वास्तविक कारण है

    अमित जी
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  5. amit ji aapki chinta jayej hai parntu ham jnhe apna aadarsh mante aaye hai unki aad me ya fir darmik roop se kisi ko haq nahi banta ki desh me aatankvad ko badhava de. mera manna hai ki yeh aatankwad kyon ho raha hai? kya iske liye baerojgari nahi jemmedar hai? rahi bat kttarpanthiyo ki to unki ab niyet hi ban gayi hai ki desh ko khush n dekhne k liye.

    जवाब देंहटाएं
  6. भाई सागर जी नमस्कार
    मेरी मान्यता तो बस ये है की धर्म (धर्म से मेरा आशय केवल सनातान्मत से है .बाकी धर्मो के बारे में बहुत नही जनता हूँ .)
    सदाशयता ,नैतिकता .मानवता और सबसे बड़ी बात मनुष्यता की सीख देता है .धर्म के विचारो की स्थापना के लिए ,प्रतिबद्ध और कट्टर संगठनों पर प्रतिबन्ध मेरे विचार में ठीक नही है .प्रतिबंध के स्थान पर वर्तमान सोच और स्वरुप में बदलाव बेहतर कदम हो सकता है .
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. आतंकवाद केवल भारत मे ही नही बल्कि पूरी दुनिया मे है और धर्म इसके लिए कारक है लकिन केवल एक मात्र कारण नही है इसके लिए हमे उस देश के इतिहास और लोगो के जीवन स्तर को भी देखना होगा जहाँ लोगो को दैनिक जीवन सुखी होगा वहां आतंकवाद उतना ही कम होगा यदि कट्टर धार्मिक संगटन पर रोक लगा भी दे तो क्या ये प्रत्येक व्यक्ति को स्वीकार होगा नही होगा क्युकी कुछ लोगो को जीवन की प्रेरणा धर्म ही देता है और वो दिन दुखी लोगो की सेवा भी करते है और उसके द्वारा वो उस परम पिता परमात्मा का आशीर्वाद पाते है
    अमित जी हमे सबसे पहले सभी लोगो को रोटी - कपड़े और माकन की सुविधा देनी होगी साथ ही यह भी निश्चित करना होगा की सभी की आवश्यकता पूर्ति हो उन्हें नकारा न बना दिया जाए जैसे भिक्षा के मामले मे होता है हमे लोगो को भिखारी नही बनाना है बल्कि मान सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार देना है जो उनका हक भी है इस लिए उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार रोज़गार भी देना होगा और यदि वह कुशल नही है तो उन्हें पर्शिक्षण देकर योग्य बनाना होगा तब कोई भी व्यक्ति जल्द ऐसे किसी भी कार्य मे किसी स्वार्थी और ताकतवर लोगो का साथ नही देगा जिससे आत्नाक्वाद फैले आपसे को सुझाव और अनुरोध दोनों ही है की आप और आपके लेख को पड़ने वाले जितने भी व्यक्ति हो वो सब अपने -अपने स्तर पर भी इस कार्य को करेगे तो देर सही पर भविष्य मे यह होकर रहेगा
    इसलिए कहते भी है की …………….
    “एक पत्थर यार आसमान मे उछालो तो सही कौन कहता है
    की आसमान मे छेद नही हो सकता”

    जवाब देंहटाएं
  8. bandhu, vibhajan ke liye kam se kam hindoo jimmedar nahi the, pahli cheej, doosri baat, jin deshon men muslim bahusankhyak hain, wahan kya sthiti hai, swayam aakalan karen, teesri cheej khud anubhav karen ki jin bastion me jansankhikiya anupaat badla hai, wahan kya haalat huyi hai aapko uttar mil jaayega. upaay yah hai ki badhti huyi jansankhya par turant rok lagayi jaaye, sabhi dharmik aayojan ghar tak seemit kiye jaayen, har dharmik juloos par rok lagayi jaaye, sadak ke kinare bane sabhi dharmik sthal bulldozer se tod diye jaayen.

    जवाब देंहटाएं
  9. बॉस अपन आपके कोने में आते रहतें हैं आज एक लम्बी पोस्ट लिख रहा हूँ फ़िर बहस में भाग लेता हूँ

    जवाब देंहटाएं
  10. Very good blog Amit. I added this in my fev list.

    जवाब देंहटाएं
  11. आतंक वाद का कारण केवल धार्मिक कट्टरता ही है यह समझना बहुत बड़ी भूल होगी | इसकी जड़ में क्षेत्रीयता ,संकीर्णता ,कानून अवम न्याय प्रणाली से जनता का विश्वास उठना,राजनीतिक भ्रस्टाचार तथा सामाजिक व आर्थिक पिछडापन भी है अत: केवल धार्मिक संगठनो पर रोक लगाने से क्या होगा ? कानून व न्याय प्रणाली को निष्पक्ष एवम प्रभावी ढंग से लागू करना होगा |

    जवाब देंहटाएं
  12. भारत माता ने हजारो सालो से आतंकवाद को देखा है देव -राक्षेश , सिकंदर ,मुह्मुद- गौरी -गजनी -से पुर्तगाली -डच -अंग्रेज सभी जब तक मुमकिन हुआ हम पर ताकत के बल पर राज किया और इसके लिए हजारो लाखो भारतीयों को यातना दे देकर जान से मारा आज़ादी के बाद भी बटवारा और चीन ,पकिस्तान के साथ युद्ध मे भी इसी जुल्म या आतंकवाद की झलक देखि जा सकती है ये वक्त की सच्चाई है और रहेगी जब भी मतभेद होंगे और एक ताकतवर और एक कमज़ोर होगा तो कमज़ोर छुप कर हमला करेगा इसके लिए वह ताकतवर के अन्दर एक डर पैदा नही कर देता जब तक वो ऐसे ही आतंक का जाल फैलाता रहेगा
    धार्मिक होते हुए भी कामन मैन से सहमत हूँ की सभी धार्मिक आयोजनों पर पाबन्दी लगे और ये व्यक्ति विशेष का मामला है तो व्यक्ति विशेष केवल अपने घरो तक ही धर्म को रखे नही तो जैसे आज मराठा और बिहारी और पूर्वाचल वालो की तरह और भी नए -नए फसाद होते रहेगें वैसे भी आप सभी सहमत होगे की किस तरह अक्सर समाज को अपाहिज बना दिया जाता है धार्मिक आयोजन के चलते इसी प्रकार रोड के किनारे बने सभी धार्मिक स्थलों को तो दिया जाना चाहिए जिसे ऐसे स्थलों के आस -पास लगने वालो जाम और अव्यस्था समाप्त हो सके खासकर गुरूद्वारे मै आपने देखा होगा की अनेक दूकान खोली जाती है जो अक्सर रोड पर आ जाती है ये धर्म के नाम पर केवल आम जनता की जगह का ग़लत इस्तेमाल है और इन्हे राजनीती के मैदान के तोर पर इस्तेमाल किए जाते है जो आपने अक्सर सरदार और मुस्लिम और हिंदू सभी को राजनीती करते देखा होगा ही
    धर्म जब तक व्यक्ति को प्रेरित करता है जब तक ठीक है लेकिन जब धर्म राजनातिक ताकत का जरिए बन जाता है तो वो आतंकवाद का जरिए बन जाता है
    यहाँ मै कर्मबीर जी से सहमत हूँ की जबतक सभी पराक्रतिक रूप से आज़ादी नही पा लेते ये वर्ग संगर्ष है जो मार्क्सवाद या समाजवाद का मूल आधार है बना रहेगा और इसका अंत एक वर्ग रहित समाज के द्वारा ही सम्भव है इसको पूंजीवाद के समर्थक आतंकवाद का नाम देते है लकिन देखते नही की कुछ लोग कैसे पूरी दुनिया पर राज करना चाहते है
    त्रेता युग मे राम हुए थे
    रावण का संहार किया
    द्वापर मे श्री कृष्ण आ गए
    कंस का बंटाधार किया ।
    कलियुग भी है राह देखता
    किसी राम कृष्ण के आने की
    भारत की पावन धरती से
    दुष्टों को मार भगाने की।
    आओ हम सब राम बनें
    कुछ लक्ष्मण सा भाव भरें
    नैतिकता और बाहुबल से
    आतंकवाद को खत्म करें।

    जवाब देंहटाएं
  13. har baar dharm bich mai aaya hai aur aata rahega......
    yahan kaun aatankwadi hai koi nahi sirf hai to ladai hai dharmo ki ye bhed-bhav ye aatankwaad jab tak nahi mitega jab tak sab dharm ek nahi ho jate...
    iska matlab ye hua ye ye aatankwaad ye bhedbhav kabhi nahi khatm hoga ...
    akshay-mann

    जवाब देंहटाएं
  14. अब गुंडे, हत्यारे और अपराधियों को रोकने और सज़ा दिलाने के लिए ही प्रशासन होता है न या फ़िर सिर्फ़ भाषणबाजी, भाई-भतीजावाद और रिश्वतखोरी के लिए?
    हर अपराधी को सज़ा मिलनी चाहिए - उन अपराधियों को भी जो अपने कुकर्मों को धर्म का नाम देते हैं. दूसरे शब्दों में "धार्मिक कट्टरता और आंतकवाद" भी किसी भी अन्य अपराध की तरह ही हैं और इनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. असली समस्या यह है की हमारे यहाँ सत्यनिष्ठा, अनुशासन, ईमानदारी आदि गुणों की उतनी ही भारी किल्लत है जितनी कि क़ानून व्यवस्था और सुशासन की.
    भाई सतीश सक्सेना की बात पर इतना ही कहूंगा कि धर्म की बखिया वे लोग ही उधेड़ रहे हैं जो अपने अपराधों को खुलेआम दुनिया भर में धर्म का जामा पहनाते रहे हैं.

    जवाब देंहटाएं
  15. धारण करे सो धरम है, घट-घट रहा समाये,
    मंदिर में मोहन बना, मस्जिद में मुस्काए|

    अजीब सी बात है आज मेरे हाँथ ही कांप रहे हैं जब इसके सन्दर्भ कुछ लिखने के लिए सोच रहा हूँ| धर्म और कट्टरता हमेशा से कहीं न कहीं एक दुसरे से जुडी रही है|चाहे वो धर्म कोई भी हो |हमेशा लोग इसी धरम के चक्की में पिसते रहे हैं| जो धरम कभी मानवता और मानव को संगठित करने के लिए बनाया गया था,आज वही लोगों को कुचल रहा है|आतंकवाद के मसले पे हम बहस बाद में करें और सोचें की ये धरम आज हमारी मानसिकता को कहाँ तक गर्त में ले गयी है या यूँ कहें की हमने धरम की आड़ में अपनी मानसिकता कहाँ तक गिरा ली है| हाँ आतंकवाद का कोई धरम नहीं है और सायद यही मुख्य कारण है की आज आतंकवाद की जड़ें मजबूत होती दिख रही है| और जिस् धरम को हम पकडे बैठे हैं आज उन भेड़ियों के हथियार बने हुए हैं|हम कब उपर उठेंगे ?? क्या हम यूँ ही ये सब देखते रहेंगे? अरे मैं तो कहता हूँ की जब कोई धरम आदमी को आदमी काटने को कहे तो वो कभी धरम हो ही नहीं सकता चाहे वो धरम कोई भी हो|अब एक दुसरे पे आरोप लगाने से बेहतर है की खुद हमसब आगे आयें और मानव और मानवता का आलिंगन करें....ये बोलना और करने में लगता है की काफी कठिन है परन्तु एइसा नहीं है...आप अपनी एक हाँथ आगे तो बढाएं, बाँहों का आलिंगन ही मिलेगा|

    धरम वही है जो मानवता के लिए दिल में धारण करने योग्य हो|बाकी सब कुछ धरम के विपरीत है जो आदमी को आदमी से अलग करने की बातें करता हो| और ये मुद्दा बहस करने के लिए नहीं, चिँतन करने की है |

    स्नेह सहीत
    सुमन रॉय

    जवाब देंहटाएं
  16. dhnyabad, bahot hi sundar, mai apke es blog ko apne list me shamil karta hun, dhnyabad

    जवाब देंहटाएं
  17. सभी धार्मिक संगठनों पर रोक लगाने से एक नया आतंकवाद पैदा हो सकता है।.... आतंकवाद को रोकने के लिए देश भक्ति की भावना पर कार्य करने वाले नेताओं के आगे आने पर ही देश में शांति स्थापित हो सकती है।

    जवाब देंहटाएं
  18. Kattartaa har cheez ki buri hoti haibeshak woh kisi dharam yaa majhab kihi kyoon naa ho .Kattartaa par pratibandh lagaane se achaa oose alag thalag karnaa hai .jhalle vicharaanusaar yadi sabhi dharam waale karkaa mankaa tyaag karke mankaa mankaa ko prathmiktaa den to oonkaa ,oonke dharam,majhab aur rashtra, moolk, chetr kaa bhalaa hogaa .

    जवाब देंहटाएं

आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
--
बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
--
आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
--
आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)