सभी सुधि पाठकों रचनाकारों ब्लोग्गेर्स को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि सामाजिक विचारों के मंच उल्टा तीर द्वारा विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर "दिनकर " पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है । इस वर्ष राष्ट्र कवि "रामधारी सिंह दिनकर " का जन्म शताब्दी वर्ष भी है । दिनकर पत्रिका में आप सभी के रचनात्मक सहयोग के हम हार्दिक अभिलाषी हैं । विश्व हिन्दी दिवस और दिनकर जी का जन्म शती वर्ष हम सभी साहित्य धर्मियों के लिए एक अवसर है , जहाँ हम सभी मिलके हिन्दी की दिशा दशा पर सामूहिक चिंतन करे ।
अपने लेख आलेख, कवितायें, कहानियाँ, दिनकर जी से जुड़ी स्मृतियाँ आदि हमें कृपया मेल द्वारा 17 सितम्बर -०८ तक भेजें । उल्टा तीर पत्रिका के विशेषांक "दिनकर" में आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
साथ ही उल्टा तीर पर भाग लीजिये बहस में क्योंकि बहस अभी जारी है । "उल्टा तीर पत्रिका" (जश्ने-आज़ादी-८) आपको कैसी लगी आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में ;
अमित के. सागर
(उल्टा तीर)
चलिए यह देखकर अच्छा लगा कि आप दिनकर पर चीजें देने की कोशिश कर रहे हैं दिनकर की पुस्तक चक्रवाल पढते हुए ही मैंने कविताई आरंभ की थी, दिनकर की एक कविता कारवां पर है आरंभ में ही कविताएं शीर्षक से कुछ कविताएं हैं , उनमें ही,उसे चाहें तो आप ले सकते हैं ...
जवाब देंहटाएंआपका प्रथम प्रयाश बहुत ही सुंदर था अब आप हिन्दी दिवस पर पत्रिका ला रहे है जिसकी खबर मुझे मिली तो मुझे हार्दिक खुशी हुई इसके लिए आरम्भं मे ही मेरी और से आप को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंहिन्दी पर शुरु से ही काफी लिखा जा रहा है क्युकी ये आम हिन्दुस्तानी की भाषा है आपके द्वारा ये प्रयाश ब्लॉग की दुनिया मे बहुत ही बढ़िया है इसके लिए और भी बहुत कुछ लिखा और खा जा सकता है जिसका कुछ भाग मे आप को लिख कर जल्द ही भेज दूंगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्
बहुत अच्छी पहल है, बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रयास है आपका..राष्ट्र ...राष्ट्रभाषा ..और राष्ट्रकवि पर जानकारियों का सम्मिश्रण...हिन्दी-दिवस पर... इंतज़ार रहेगा...
जवाब देंहटाएंआज के दौर में नेताओं की जयंती मनाने का चलन है। कवि गुरु रवींद्र नाथ टैगोर हों, मैथिली शरण गुप्त या अन्य कोई महान साहित्यकार, सरकारें हमारे साहित्यक पुरखों को जिस तरह नजंरदाज कर रही हैं, वह चिंतनीय है। ऐसे में दिनकर जी जैसे महान व्यक्तित्व की स्मृति अपनी जड़ों की ओर लौटने जैसा है। इस सोच के लिए साधुवाद। आपका -पवन निशान्त
जवाब देंहटाएंआज के दौर में नेताओं की जयंती मनाने का चलन है। सरकारें हमारे साहित्यक पुरखों को जिस तरह नजंरदाज कर रही हैं, वह चिंतनीय है। ऐसे में दिनकर जी जैसे महान व्यक्तित्व की स्मृति अपनी जड़ों की ओर लौटने जैसा है। इस सोच के लिए साधुवाद। आपका -पवन निशान्त
जवाब देंहटाएं"उल्टा तीर" पर आप सभी के अमूल्य विचारों से हमें और भी बल मिला. हम दिल से आभारी हैं. आशा है अपनी सहभागिता कायम रखेंगे...व् हमें और बेहतर करने के लिए अपने अमूल्य सुझाव, कमेंट्स लिखते रहेंगे.
जवाब देंहटाएंसाथ ही आप "हिन्दी दिवस पर आगामी पत्रका "दिनकर" में सादर आमंत्रित हैं, अपने लेख आलेख, कवितायें, कहानियाँ, दिनकर जी से जुड़ी स्मृतियाँ आदि हमें कृपया मेल द्वारा १० सितम्बर -०८ तक भेजें । उल्टा तीर पत्रिका के विशेषांक "दिनकर" में आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
साथ ही उल्टा तीर पर भाग लीजिये बहस में क्योंकि बहस अभी जारी है। धन्यवाद.
अमित के. सागर
भाई एपी जो काम कर रहे हैं निसंदेह स्तुत्य है.
जवाब देंहटाएंजश्ने-आजादी के बाद कवि दिनकर पर केन्द्रित अंक के संयोजन मैं आप लगे हैं.
दिल्ली जैसे शहर की मसरूफियत से भाई आप परिचित अवश्य होंगे.
मन तो था कि दिनकर पर कुछ लिखता , पर किन्तु-परन्तु तक बात टिक जाती है.
समय ने साथ दिया और मन-दिमाग ने भी तो आपकी पत्रिका के लिए ज़रूर कुछ भेजूंगा.
amit bhai deri ke liye chhama chahunga.
जवाब देंहटाएंaapka pryas hindi ko gati dene wala hai, isme koi sandeh nahi hai. anokhe jvalant muddon ko uthaya hai. sath hi un logon ko hindi ke nazariya badalne aur matra bhasa ke prti protsahit kiya hai. iske liye ham aapke aur ultateer ke sabhi sathio ko hardik badhi dete huye kahana chahenge ki aage bhi is tarah ke anokhe pryas karte rahen. bahut bahut dhanyvad.
Teer woh achaa kehlaataa hai jo binaa ghayal kiye hi dil ke andar tak sandesh ko utaar detaa hai .ulti duniyaa ko jhakjhorne ke liye ulte teer bahut kaamgaar sidh ho sakte hain .aankhon ke teeron ke baad ab jhalla aapke teeron se ghayal hua hai .iske liye saadhuvaad aur jhalee ke blog par aane ke liye dhanyaavaad .Teer fekte rahiye bridg ban hi jayegaa .
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