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शुक्रवार, 23 मई 2008

बहस के पूरक प्रश्न : ज़रा ये भी सोचिये ? बहस वही (२)










जरा ये भी सोचिये...

बहस के पूरक प्रश्न...

...
पुलिस ने आरुषी हेमराज हत्या का परदा फाश कर दिया आरोपी और कोई नही बल्कि आरुषी के पिता ने ही उसकी हत्या की आरुषी की मौत बीते पूरे हफ्ते मीडिया की सबसे अहम् खबर रही
टेलिविज़न की ख़बरों मे पिछले हफ्ते केवल आरुषी मर्डर ही मुख्य हेडलाइन रहा और तो और इस ख़बर के कारण जयपुर ब्लास्ट जैसी अहम् ख़बर भी नेपथ्य में चली गयी इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने अपनी पूरी ऊर्जा और ताक़त संसाधन बस नॉएडा के इस डबल मर्डर पर ही झोंक दी हर घर मे हर गली में जेम्स बोंड /गोपीचंद जासूस पैदा हो गए ? ये मर्डर लोगो की पे चढ़ गया, कुछ मुद्दे दब गए, कयासों का बाज़ार गर्म हो गया लोग इस पहेली को अपने अपने ढंग से सुलझाने लगे हमारे सवाल इस मर्डर की गुत्थी से भी बड़े हैं "क्या बड़े शहरों मे मानवीय संवेदनाएं दम तोड़ने लगी है ? " परिवार टूटने और बिखरने लगे हैं ? रिश्तो के मायने बदलने लगे हैं? नारीवाद पर हमारी बहस अब अभी भी जारी है...इस मर्डर केस ने एक तरह से हमारे उस दावे को मजबूती दे दी है जिसमे हमारे एक पाठक ने ये कहा था कि वक्त गया है कि अब टूटते बिखरते परिवारों को सँभालने के लिए महिलाये घर के भीतर कर परिवारों को सहारा दे कुदरती तौर से महिलाएं प्रेम शक्ती की अद्भुत कृति हैं महिलाएं परिवार के दायित्व को समझे तभी जाकर भविष्य में इस तरह की वारदात नही घटेंगी आज बड़े शहरों मे माँ और बाप काम पे चले जाते हैं बच्चे घर मे दोनों के प्यार के लिए तरसते रह जातें हैं नई पीढ़ी माँ बाप के प्रेम से वंचित है आरुषी का केस इसलिए (खास तौर से समूची नारी जाति के लिए एक आई ओपनर है यही घड़ी है नारी समाज अब समाज राष्ट्र भावी पीढ़ी के हित में घरो की ओर अपना रुख कर ले कहीं ऐसा हो कोई आरुषी फिर शिकार बन जाए ..ज़रा सोचिये !!

अपनी राय प्रतिक्रियाएँ भेजते रहिये क्योंकि बहस अभी जारी है मेरे दोस्त...
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ये तो हुआ बहस का एक पहलू जो हमे एक पाठक ने भेजा है। इस राय पर अपने विचार दीजिये क्योंकि बहस अभी बाकी है मेरे दोस्त !! "उल्टा तीर" पढ़ते रहिये.

**उल्टा तीर मे प्रकाशित किसी भी विचार के लिए ब्लॉग मोडरेटर की कोई जिम्मेवारी नही है। पाठक के अनुरोध पर उनका नाम गोपनीय रखा गया है
(उल्टा तीर:तीर वही जो घायल कर दे )

4 टिप्‍पणियां:

  1. अमित जी आपके सवाल का जवाब मैंने यहाँ दिया है ..आपके विचार वहाँ आमंत्रित हैं ..क्यूंकि वाकई अभी बहस जारी है :)

    http://ranjanabhatia.blogspot.com/2008/05/blog-post_24.html

    जवाब देंहटाएं
  2. अमितजी ,आपकी बहस ने वाकई में कई सवाल खडे कर दिए हैं .लेकिन मैं आपके ब्लोग पर इस बहस के सूत्रधार (आपके पाठक ) से कुछ मामलों मे नारी होते हुए भी सहमत हूँ .यकीनन ये बात सौलह आने सच है कि समाज में संस्कारों अच्छे विचारों और मानवीय मूल्यों की जननी सिर्फ और सिर्फ नारी ही है . बहस के सूत्रधार से मैं इस बात पर भी सहमत हूँ कि प्रकृति ने नारी जाति को भावनाओं से भरकर समाज को एक नया अर्थ प्रदान किया है . अब सवाल उठता है कि क्या केवल नारी की ही ये जिम्मेदारी है .दरअसल , पुरुष और नारी ये रथ के वो पहिये है जो साथ साथ चलकर ही समाज को परिवार को नयी दिशा दे सकते हैं .परिवार को बचाने के लिए नारी इस त्याग के लिए भी तैयार हो भी जाये और घर मे बैठ जाये तब भी क्या पुरुष उसे वो सम्मान और हक देगा मेरा यही सवाल है . ये बहस वाकई में गंभीर है ..इसकी गंभीरता बनी रहे ..मेरी यही राय है.

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  3. mere vichar se upbhoktawadi sanskriti iske liye kafi jimmedaar hai.aaj na to sanukt pariwar hai aur na hi kisi ke paas samay ki woh apne pariwar ko dhang se de sake.
    shyad ye aapke poorak prashno ke uttar ke kuchh ansh ho sakte hain.

    जवाब देंहटाएं

आप सभी लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया जो आप अपने कीमती वक़्त से कुछ समय निकालकर समाज व देश के विषयों पर अपनी अमूल्य राय दे रहे हैं. इस यकीन के साथ कि आपका बोलना/आपका लिखना/आपकी सहभागिता/आपका संघर्ष एक न एक दिन सार्थक होगा. ऐसी ही उम्मीद मुझे है.
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बने रहिये हर अभियान के साथ- सीधे तौर से न सही मगर जुड़ी है आपसे ही हर एक बात.
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आप सभी लोगों को मैं एक मंच पर एकत्रित होने का तहे-दिल से आमंत्रण देता हूँ...आइये हाथ मिलाएँ, लोक हितों की एक नई ताकत बनाएं!
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आभार
[उल्टा तीर] के लिए
[अमित के सागर]

"एक चिट्ठी देश के नाम" (हास्य-वयंग्य) ***बहस के पूरक प्रश्न: समाधान मिलके खोजे **विश्व हिन्दी दिवस पर बहस व दिनकर पत्रिका १५ अगस्त 8th march अखबार आओ आतंकवाद से लड़ें आओ समाधान खोजें आतंकवाद आतंकवाद को मिटायें.. आपका मत आम चुनाव. मुद्दे इक़ चिट्ठी देश के नाम इन्साफ इस बार बहस नही उल्टा तीर उल्टा तीर की वापसी एक चिट्ठी देश के नाम एक विचार.... कविता कानून घरेलू हिंसा घरेलू हिंसा के कारण चुनाव चुनावी रणनीती ज़ख्म ताजा रखो मौत के मंजरों के जनसत्ता जागरूरकता जिन्दगी या मौत? तकनीकी तबाही दशहरा धर्म संगठनों का ज़हर नेता पत्नी पीड़ित पत्रिकारिता पुरुष प्रासंगिकता प्रियंका की चिट्ठी फ्रेंडस विद बेनेफिट्स बहस बुजुर्गों की दिशा व दशा ब्लोगर्स मसले और कानून मानसिकता मुंबई का दर्दनाक आतंकी हमला युवा राम रावण रिश्ता व्यापार शादी शादी से पहले श्रंद्धांजलि श्री प्रभाष जोशी संस्कृति समलैंगिक साक्षरता सुमन लोकसंघर्ष सोनी हसोणी की चिट्ठी amit k sagar arrange marriage baby tube before marriage bharti Binny Binny Sharma boy chhindwada dance artist dating debate debate on marriage DGP dharm ya jaati Domestic Violence Debate-2- dongre ke 7 fere festival Friends With Benefits friendship FWB ghazal girls http://poetryofamitksagar.blogspot.com/ my poems indian marriage law life or death love marriage mahila aarakshan man marriage marriage in india my birth day new blog poetry of amit k sagar police reality reality of dance shows reasons of domestic violence returning of ULTATEER rocky's fashion studio ruchika girhotra case rules sex SHADI PAR BAHAS shadi par sawal shobha dey society spouce stories sunita sharma tenis thoughts tips truth behind the screen ulta teer ultateer village why should I marry? main shadi kyon karun women

[बहस जारी है...]

१. नारीवाद २. समलैंगिकता ३. क़ानून (LAW) ४. आज़ादी बड़ी बहस है? (FREEDOM) ५. हिन्दी भाषा (HINDI) ६. धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद . बहस नहीं विचार कीजिये "आतंकवाद मिटाएँ " . आम चुनाव और राजनीति (ELECTION & POLITICS) ९. एक चिट्ठी देश के नाम १०. फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स (FRIENDS WITH BENEFITS) ११. घरेलू हिंसा (DOMESTIC VIOLENCE) १२. ...क्या जरूरी है शादी से पहले? १३. उल्टा तीर शाही शादी (शादी पर बहस- Debate on Marriage)